उत्तराखंड में हरिद्वार के बाद देहरादून जिला भी लंपी बीमारी की चपेट में, दो दिन में ही आंकड़ा 100 के पार
देहरादून में लंपी की चपेट में 100 के पार मवेशियों की संख्या
देहरादून, 20 अगस्त। उत्तराखंड में हरिद्वार के बाद देहरादून जिला भी लंपी बिमारी की चपेट में है। जिससे अब तक दो दिन में ही आंकड़ा 100 के पार हो गया है। संक्रमित मवेशियों की संख्या 142 तक पहुंच गई है। बिमारी से उपाय को विभाग के पास पर्याप्त टीके तक नहीं हैं। टीकों के लिए दूसरे राज्यों से संपर्क किया जा रहा है।
जागरूक करने के साथ टीकाकरण भी किया जा रहा
पशुपालन विभाग के मुताबिक वायरस तेजी से कमजोर मवेशियों में फैल रहा है। विभाग के 58 विशेष केंद्रों पर दो दिन में कई मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि दून में अभी तक इस बीमारी से किसी मवेशी की मौत नहीं हुई है। विभाग की टीम संक्रमण वाले क्षेत्रों में लगातार भेजी जा रही है। आमजन को जागरूक करने के साथ टीकाकरण भी किया जा रहा है। जिले में शीशमबाड़ा, विकासनगर, हरबर्टपुर, सुभाष नगर, अजबपुर, रायपुर के संक्रमित क्षेत्रों में 350 गोटपॉक्स की डोज विभाग की ओर से लगाई जा चुकी है। इसके साथ ही लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
विभाग
लगा
रहा
गोटपॉक्स
टीका
पशुपालन
विभाग
के
अस्पतालों
में
गोटपॉक्स
टीका
उपलब्ध
कराया
जा
रहा
है।
बीमारी
से
बचाव
के
लिए
कोई
विशेष
टीका
नहीं
बना
है।
इसमें
बकरियों
में
लगाया
जाने
वाला
गोटपॉक्स
टीका
असरदार
साबित
हो
रहा
है।
इसकी
वजह
से
विभाग
इसी
टीके
को
लगा
रहा
है।
पशु
चिकित्साधिकारियों
के
अनुसार
लंपी
बीमारी
एलएसडीवी
वायरस
के
जरिये
फैल
रही
है।
पशु
चिकित्सा
अधिकारियों
के
मुताबिक
लंपी
वायरस
तीन
प्रकार
का
होता
है
जिसमें
कैप्रीपॉक्स,
गोटपॉक्स
और
शीपफॉक्स
शामिल
हैं।
सबसे
पहले
हरिद्वार
जिले
में
गाय
व
भैंस
में
लंपी
बीमारी
तेजी
से
फैली।
हरिद्वार
में
लंपी
बिमारी
से
मवेशियों
की
मौत
के
मामले
भी
सामने
आए
थे।
लंपी स्किन बीमारी एक वायरल बीमारी
लंपी स्किन बीमारी एक वायरल बीमारी है, जिसमें गाय भैंस या बैल के शरीर पर गांठे होने लगती है। ये गांठें मुख्य रुप से इन पशुओं के जननांगों सिर और गर्दन पर होती है। उसके बाद वो पूरे शरीर में फैलती है। फिर धीरे धीरे ये गांठें बड़ी होने लगती है। वक्त के साथ ये गांठें घाव का रुप ले लेती है। इस पीड़ा से ज्यादातर पशुओं को बुखार आने लगता है। दूधारु पशु दूध देना बंद कर देते है। कई गायों का इस पीड़ा से गर्भपात भी हो जाता है और कई बार मौत भी हो जाती है।