कालापानी पर नेपाल के पीएम ओली के बयान पर बोले सीएम रावत, 'भारत का हिस्सा है, भारत में ही रहेगा'
देहरादून। कालापानी को लेकर भारत और नेपाल के बीच चल रहे विवाद को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ा बयान दिया है। त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि भारत का जो हिस्सा है, वो भारत का ही रहेगा। नेपाल भारत का मित्र राष्ट्र है, ऐसे में उन्हें उम्मीद है यह मसला बातचीत से हल किया जा सकता है। नेपाल की कार्य संस्कृति इस तरह की नहीं रही है कि वह इस तरीके से बात करे।
पीएम ने दिया पहला आधिकारिक बयान
दरअसल, भारत ने दो नवंबर को नया नक्शा जारी किया था। इस नए नक्शे में कालापानी को भी भारत की सीमा में दिखाए जाने पर नेपाल नाराज है। नेपाल के पीएम की तरफ से बुधवार को इस स्थिति पर नाराजगी जाहिर करते हुए एक आधिकारिक बयान जारी किया गया है। ओली ने कहा है, 'सरकार किसी को भी अपनी जमीन का एक इंच हिस्सा भी नहीं लेने देगी।' उन्होंने आगे कहा, 'पड़ोसी देश को तुरंत हमारी सीमा से अपनी सेना को वापस बुलाना पड़ेगा।' वहीं, भारत की तरफ से इस स्थिति पर कहा गया है कि उसने नेपाल से सटी सीमा के साथ किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। बल्कि नया नक्शा भारत की वास्तविक संप्रभु सीमाओं को दर्शाता है। नेपाल ने बुधवार को इस बात पर विरोध दर्ज कराया था कि कालापानी को भारतीय सीमा के हिस्से के तौर पर दिखाया जा रहा है।
नेपाल अपनी जमीन हासिल करे
ओली ने 17 नवंबर को कहा था कि मैप को सही करने की जगह बेहतर होगा नेपाल अपनी जमीन हासिल करे। उन्होंने कहा कि सरकार को राष्ट्रीयता और राष्ट्रीय अखंडता के लिए सभी का पूरा समर्थन हासिल है। ओली ने इस मुद्दे पर सरकार को मिल रहे समर्थन के लिए भी सबका शुक्रिया अदा किया है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि देशभक्ति के नाम पर अनैतिक गतिविधियों को अंजाम देना ठीक नहीं है। इस मुद्दे को कूटनीतिक जरिए से सुलझाया जाएगा।
भारत की वास्तविक सीमाओं को दर्शाता नक्शा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार की ओर से कहा गया है, 'हमारा नक्शा भारत की संप्रभु सीमा को वास्तविक तौर पर दर्शाता है। नेपाल के साथ दिखाई गई सीमाओं को मौजूदा तंत्र के तहत सुलझाया जा रहा है। हम करीबी और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को ध्यान में रखकर बातचीत के जरिए इस मसले का हल निकालने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।' रवीश कुमार ने कहा कि दोनों पड़ोसियों को अपने हितों को ध्यान में रखकर मतभेदों को सुलझाने की जरूरत है।