चंपावत हादसा: शिक्षिका मां और 4 साल की मासूम के लिए भी काल बनकर आई बरात की गाड़ी, बन गया आखिरी सफर
सड़क हादसे में मां और 4 साल की मासूम की मौत
देहरादून, 23 फरवरी। उत्तराखंड के चंपावत जिले में सोमवार को हुए दर्दनाक सड़क हादसे में 14 जिदंगियां लील हो गई। इनमें से 12 लोग तो बराती थे, लेकिन जो दो और जिदंगी भी इस हादसे का शिकार हुए, उनमें एक मां और 4 साल की मासूम बेटी भी शामिल थी। मां बेटी के लिए ये सफर अंतिम सफर साबित हुआ। जो कि गाड़ी न मिलने से बरात की गाड़ी में ही बैठ गए। मां बेटी को शायद इस बात का एहसास भी नहीं रहा होगा, कि ये सफर दोनों का अंतिम सफर होगा। अब मां बेटी की मौत की खबर सुनते ही परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। हर कोई मासूम को याद कर आंसूओं को नहीं रोक पा रहे हैं।
स्कूल ज्वाइन करने के लिए निकली थी घर से
चंपावत जिले में सोमवार को हुए सड़क हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई है। इन 14 लोगों ने 35 साल की शिक्षिका बसंती भट्ट और उनकी चार साल की बेटी दिव्यांशी का नाम भी शामिल है, ये दोनों बारात में शामिल नहीं थी, बसंती अपने स्कूल ज्वाइन करने के लिए घर से निकली थी। इस रास्ते में गाड़ियां कम ही चलती है। ऐसे में वह रात को ही स्कूल के लिए निकलकर अपने घर पहुंचना चाहती थी। वह रास्ते में गाड़ी का इंतजार कर रही थी, तो जब देर तक गाड़ी नहीं मिली तो उसी वाहन में बैठ गई, जिसमें 12 बाराती बैठे हुए थे। लेकिन कुछ दूर चलते ही गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई और इस हादसे में बसंती और उसकी बेटी दिव्यांशी भी हादसे का शिकार हो गई।
बरात की गाड़ी ही पकड़ी
ग्रामीणों ने बताया कि बसंती को चंपावत से अपने मायके डांडा जाना था, लेकिन वाहन नहीं मिल पाने के कारण वह शाम को रोडवेज की बस से टनकपुर चली गई, उन्हें उम्मीद थी कि वहां से डांडा के लिए बस मिल जाएगी, लेकिन काफी इंतजार के बाद भी उसे कोई बस नहीं मिली। बसंती को पता था कि डांडा से टनकपुर बारात आई है। कुदरत का कहर देखिए बसंती अपनी बेटी के साथ बारात की मैक्स में सवार होकर अपने गांव डांडा के लिए निकल पड़ी, जो बीच रास्ते में हादसे का शिकार हो गई और खाई में गिरने से 14 लोगों की मौत हो गई। घटनास्थल पर पहुंचे लोगों का ये भी कहना है कि अंतिम समय तक मां ने अपनी बेटी को अपने गले से लगाकर रखा। हालांकि न मां बच पाई और नहीं मासूम।
शिक्षिका थी बसंती, पति भी हैं शिक्षक
बसंती के पति नारायण दत्त भट्ट राजकीय इंटर कॉलेज धौन में शिक्षक हैं। इस घटना के बाद मृतका के घर और मायके में कोहराम मच हुआ है। बंसती भी नारायण दत्त भट्ट प्राथमिक विद्यालय डांडा में शिक्षिका थीं। उनका ससुराल चम्पावत के जूप गांव में है। बरात की ये गाड़ी बारातियों के लिए तो काल बनी पर अपनी मासूम के साथ अपनी ड्यूटी जा रही बसंती के लिए भी ये बरात की गाड़ी काल बनकर आई। पति नारायण दत्त का रो-रो कर बुरा हाल हैं। वे बताते हैं कि अक्सर वे अपनी कार से ही स्कूल छोड़ा करते थे, लेकिन इस बार किसी व्यस्तता के कारण वे अपनी पत्नी और बच्ची को छोड़ने नहीं आ पाए। इसका उन्हें जिदंगी भर मलाल रहेगा।