चमोली त्रासदी: तपोवन सुरंग से मिले 12 और शव, सात दिनों से जारी है बचाव और राहत अभियान
Uttarakhand Glacier Burst, चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने से आई भीषण आपदा को सात दिन बीत चुके हैं। इस आपदा में फंसे लोगों को बचाने के लिए दिन और रात रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। लेकिन तपोवन पावर प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे लोगों तक बचाव दल अभी भी नहीं पहुंच सका है। इस बीच रविवार की सुबह रेस्क्यू टीम ने तपोवन सुरंग से दो शव बरामद किए हैं। वहीं, अब 10 और शव बरामद किए है। इसके साथ इस त्रासदी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 50 हो चुके है।
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उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने ताजा अपडेट देते हुए बताया कि रविवार की सुबह तपोवन में मुख्य सुरंग से आज दो शव बरामद हुए थे। वहीं, अब दस और शव सुरंग से निकाले गए हैं। उत्तराखंड पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान सभी शवों को बाहर निकाल लिया हैं। सात फरवरी को आई आपदा के बाद से सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए दिन-रात अभियान चल रहा है। वहीं, चमोली जिलाधिकारी स्वाति भदोरिया ने बताया कि छह शवों की बरामदगी के बाद चमोली के तपोवन में खोज और बचाव अभियान तेज कर दिया गया है। बता दें कि इस त्रासदी में 204 लोग लापता हो गए थे, इनमें से 50 लोगों के शव टनल से निकाले जा चुके है वहीं, 154 लोग अभी भी लापता हैं।
टनल
के
अंदर
मलबा
बना
मुसीबत
तपोवन
टनल
(सुरंग)
के
अंदर
मोड़
हैं,
जिसे
टी
पॉइंट
कहा
जाता
हैं।
ऐसा
माना
जा
रहा
हैं
उस
मोड़
के
पास
सभी
लोग
फंसे
हो
सकते
हैं।
वहां
तक
पहुंचने
के
लिए
करीब
44
मीटर
तक
मलबा
हटाना
होगा।
बचाव
दल
जितना
मलबा
हटाती
है
उतना
मलबा
पीछे
से
पुनः
वापस
आ
जाता
हैं।
जिसकी
वजह
से
रेस्क्यू
टीम
के
सामने
दिक्कतें
आ
रही
हैं।
डीएम
स्वाति
भदोरिया
ने
तपोवन
सुरंग
के
ताजा
हालातों
पर
अपडेट
देते
हुए
कहा
कि
सुरंग
के
अंदर
136
मीटर
तक
खुदाई
की
जा
चुकी
है।
इसके
अलावा
खुदाई
करने
वाले
रैनी
गांव
भी
पहुंचे,
जहां
शुक्रवार
को
एक
और
शव
मिला
था।
उन्होंने
कहा
कि
इस
हादसे
में
रैनी
गांव
सबसे
ज्यादा
प्रभावित
हुआ
है।
बैराज
की
तरफ
से
भी
हटाया
मलबा
एनटीपीसी
के
जीएम
आरपी
गहरवार
के
मुताबिक,
सुरंग
में
ड्रिल
करने
का
प्रयास
अभी
भी
जारी
है।
शुक्रवार
तक
सुरंग
में
75
मिमी
व्यास
का
छेद
कर
लिया
गया
था,
अब
इस
छेद
को
300
मिमी
का
किया
जा
रहा
है।
ड्रिल
के
लिए
रेल
परियोजना
की
अत्याधुनिक
मशीनें
मंगाई
गई
है।
वहीं,
एनडीआरएफ,
एसडीआरएफ
के
जवान
पहली
बार
शनिवार
को
बैराज
की
तरफ
से
नदी
में
उतर
कर,
बहे
लोगों
को
पता
लगाने
का
प्रयास
किया।
अब
बैराज
की
तरफ
से
भी
मलबा
हटाने
और
नदी
का
बहाव
बंद
करने
के
प्रयास
किए
जा
रहा
हैं।
साथ
ही,
रैणी
गांव
में
स्थित
ऋषिगंगा
पावर
प्रोजेक्ट
से
भी
मलबा
हटाने
का
प्रयास
तेज
किया
गया।
डीएम
स्वाति
भदौरिया
के
मुताबिक,
स्थानीय
लोगों
की
जानकारी
के
आधार
पर
भी
चिन्हित
स्थानों
से
मलबा
हटाया
जा
रहा
है।