उत्तराखंड:राज्यपाल के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ विधानसभा का पहला सत्र, सीएम ने रखा 21,116.21 करोड़ का लेखानुदान
देहरादून, 29 मार्च। उत्तराखंड की 5वीं विधानसभा का पहला सत्र मंगलवार को राज्यपाल के अभिभाषण के साथ शुरू हो गया। राज्यपाल ने अभिभाषण में शिक्षा, रोजगार, पलायन, स्वास्थ, पर्यटन और विकासपरक योजनाओं पर जोर दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए चार माह का 21,116.21 करोड़ का लेखानुदान सदन के पटल पर रखा। विपक्ष ने राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा की मांग करते हुए जमकर हंगामा काटा। विपक्ष बिना नेता प्रतिपक्ष और मंत्री बिना विभागों के ही सदन में शामिल हुए।

राज्यपाल ने रखा विकास कार्यों का रोडमैप
मंगलवार को विधानसभा का सत्र राज्यपाल के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ। अभिभाषण में राज्यपाल ने सरकार के विकास कार्यों का ब्योरा पेश किया, साथ ही राज्य सरकार के विजन को भी सामने रखा। जिसमें संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने, चारधाम कनेक्टविटी पर जोर दिया। इसके साथ ही राज्यपाल ने प्रदेश में हिम प्रहरी योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर प्रदेश में मुख्यमंत्री किसान प्रोत्साहन निधि की शुरुआत करने, महिला स्वयं सहायता समूह की व्यावसायिक पहल को सहायता प्रदान करने के लिए एक विशेष कोष गठित करने के बारे में जानकारी दी। राज्यपाल ने कहा कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग कर रही है। संस्कृत शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मातृ शिशु सेवा में सुधार हो रहा है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत तीन हज़ार रुपये दिए जा रहे हैं। बुजुर्गों व दिव्यांगों को पेंशन दी जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए चार माह का 21,116.21 करोड़ का लेखानुदान सदन में प्रस्तुत किया।
विपक्ष अभिभाषण चर्चा पर अड़ा
राज्यपाल का अभिभाषण शुरू होते ही विपक्ष ने सदन में महंगाई को लेकर जमकर घेरने की कोशिश की। हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत ने दुपट्टे पर स्लोगन लिखकर विरोध भी जताया। राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विपक्ष राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा की मांंग पर अड़ा रहा। विपक्ष ने राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा करने की मांग की। जिस पर संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि कार्यमंत्रणा के बाद सदन से अभिभाषण पास हो चुका है। विपक्ष की तरफ से प्रीतम सिंह और यशपाल आर्य ने अभिभाषण पर चर्चा की मांग की। इसके बाद सदन कल तक के लिए स्थगित हो गया।
क्यों पड़ी लेखानुदान की जरुरत
राज्यों में फरवरी या मार्च में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजट प्रस्तुत करने की परंपरा है। लेकिन विधानसभा चुनाव की वजह से इसमें कुछ बदलाव किया जाता है। नई सरकार की बजट के लिए अपनी प्राथमिकताएं होती हैं। वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले उसे आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजटीय प्रावधान करना होता है। इसलिए तात्कालिक तौर पर वह लेखानुदान, जिसे मिनी बजट भी कहा जाता है, पेश करती है। धामी सरकार 4 माह का मिनी बजट लेकर आई है।
क्या होता है लेखानुदान
लेखानुदान राजस्व और खर्चों का लेखा जोखा होता है। इसमें तीन या चार महीनों के लिए सरकारी कर्मचारियों के वेतन, पेंशन अन्य सरकारी कार्यों के लिए राजकोष से धन लेने का प्रस्ताव होता है। सांविधानिक व्यवस्था के तहत राजकोष से धनराशि निकाले के लिए विधानसभा की मंजूरी आवश्यक होती है।