कुंभ मेले में अखाड़ों और साधु संतों का जोरदार स्वागत, हेलिकॉप्टर से हुई फूलों की बरसात
इस बार हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है। इस अवसर पर भगवान की इस नगरी को भव्य तरीके से सजाया गया है।
उत्तराखंड। इस बार हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है। इस अवसर पर भगवान की इस नगरी को भव्य तरीके से सजाया गया है। मेले में अखाड़ों का आना शुरू हो गया है। सभी अखाड़े, ढोल नगाड़ों के साथ प्रवेश कर रहे हैं। हाथी-घोड़ों पर सवार नागा सन्यासी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। नगरवासियों ने हर-हर महादेव के साथ सभी साधु संतों का स्वागत किया।
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सभी अखाड़े पेशवाई के माध्यम से अपनी-अपनी छावनियों में प्रवेश कर रहे हैं। मंगलवार को श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा और आह्वान अखाड़ा के रमता पंचों ने कुंभ में प्रवेश किया। शुक्रवार को आनंद अखाड़े और आह्वान अखाड़े ने अपनी भव्य पेशवाई निकाली। इस दौरान साधु संतों और नागाओं ने लोगों को आशीर्वाद भी दिया। स्थानीय लोग सभी साधुओं का जोरदार स्वागत कर रहे हैं।
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कुंभ में शामिल होने वाले इन अखाड़ों की अगवानी मेला अधिकारी, जिलाधिकारी, एसएसपी कुंभ द्वारा की जा रही है। पेशवाई के दौरान सबसे आगे हाथी, उसके बाद ऊंट फिर नागा साधु इष्ट देव की पाली और आचार्य महामंडलेश्वर का रथ और उसके बाद अन्य महामंडलेश्वरों के रथ चल रहे हैं।
कुंभ पहुंच रहे अखाड़ों पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए जा रहे हैं। पेशवाई के दौरान बड़ी संख्या में नागा साधु पैदल चल रहे हैं। आपको बता दें कि पेशवाई किसी भी अखाड़े के लिए विशेष महत्व रखती है। पेशवाई के समय अखाडा़ अपने धनबल, समृद्धि और वैभव का प्रदर्शन करता है।शुक्रवार को आनंद अकाड़े ने शाही अंदाज में कुंभ में प्रवेश किया। अखाड़े की पेशवाई जेएन कॉलेज परिसर स से शुरू हुई। अखाड़े ने कनखल बाजार और शिवमूर्ति वाल्मीकि चौक से होते हुए अपनी छावनी में प्रवेश किया।
वहीं पंचदशनाम आह्वान अखाड़े की पेशवाई ने ढोल नगाड़ों के साथ हनुमान मंदिर स्थित अपनी छावनी में प्रवेश किया। इस दौरान नागा सन्यासियों ने शानदार करतब दिखाए जिन्हें देखकर लोग आश्चर्यचकित होते दिखे। मालूम हो कि कुल सात संन्यासी अखाड़ों की पेशवाई निकाली जानी है। अभी तक निरंजनी अखाडे, जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, आनंद अखाड़ा और आह्वान अखाडे़ की पेशवाई निकली है। अब 8 मार्च को महानिर्वाणी अखाड़े और 9 मार्च को अटल अखाड़े की पेशवाई निकाली जाएगी।
क्यों
12
साल
बाद
आता
है
कुंभ
समुद्र
मंथन
के
दौरान
देवताओं
और
राक्षसों
के
बीच
12
साल
तक
युद्ध
चला
और
इस
दौरान
जहां-2
अमृत
की
बूंदें
गिरीं,
वहां-2
12
वर्ष
बाद
कुंभ
मनाया
जाता
है।