तो इस मायने में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड
देहरादून, 25 मार्च। उत्तराखंड की धामी सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए राज्य सरकार ने विशेषज्ञों की समिति बनाने का ऐलान किया है। इस तरह यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की तरफ प्रदेश का ये पहला कदम माना जा रहा है। इस दिशा में कदम बढ़ाने और यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर उत्तराखंड पूरे देश में पहला ऐसा राज्य होगा, जो कि इसे लागू करेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव के दौरान भी इसे लागू करने का वादा किया था। हालांकि गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड पहले से लागू है। लेकिन वहां की आजादी से पहले पुर्तगाली सिविल कोड 1867 से लागू था। जब गोवा आजाद हुआ तो ये एक्ट वहां जारी रहा। जिसे अब यूनिफॉर्म सिविल कोड के तौर पर जानते हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता है कैबिनेट के जरिए खुद प्रस्ताव लाने वाला उत्तराखंड पहला प्रदेश बन जाएगा।

कमेटी तैयार करेगी ड्राफ्ट
उत्तराखंड की नवनिर्वाचित धामी सरकार की पहली कैबिनेट नें निर्णय लिया कि राज्य में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि नई सरकार ने अपने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद पहली कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया कि न्यायविदों, सेवानिवृत्त जजों, समाज के प्रबुद्ध जनो और अन्य स्टेकहोल्डर्स की एक कमेटी गठित करेगी जो कि उत्तराखंड राज्य के लिए 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' का ड्राफ्ट तैयार करेगी। इस यूनिफॉर्म सिविल कोड का दायरा विवाह-तलाक, ज़मीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिये समान क़ानून चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों, होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम होगा और संविधान की भावना को मूर्त रूप देगा। ये भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 की दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा, जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की संकल्पना प्रस्तुत करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी समय-समय पर इसे लागू करने पर ज़ोर दिया है। साथ ही, इस महत्वपूर्ण निर्णय में हमें गोवा राज्य से भी प्रेरणा मिलेगी जिसने एक प्रकार का 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' लागू करके देश में एक उदाहरण पेश किया है।
उत्तराखंड में जल्द से जल्द 'यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने से राज्य के सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों को बल मिलेगा। इससे राज्य में सामाजिक समरसता बढ़ेगी, जेंडर जस्टिस को बढ़ावा मिलेगा, महिला सशक्तिकरण को ताकत मिलेगी, और साथ ही देवभूमि की असाधारण सांस्कृतिक आध्यात्मिक पहचान को, यहाँ के पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी मदद मिलेगी। उत्तराखंड का 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' दूसरे राज्यों के लिए भी एक उदाहरण के रूप में सामने आएगा।
गोवा में यह व्यवस्था पिछले 155 सालों से लागू
उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का कहना है कि समान नागरिक संहिता के लिये अक्सर गोवा राज्य का उदाहरण दिया जाता रहा है। जबकि हकीकत यह है कि वहां यह व्यवस्था पिछले 155 सालों से लागू है। गोवा के भारत संघ में विलय के बाद भारत की संसद ने इसे जारी रखा है। यह व्यवस्था गोवा के साथ ही यह दमन और दियू द्वीप समूहों में भी लागू है। विदित ही है कि गोवा पुर्तगाल का उपनिवेश रहा है और वहां लागू समान नागरिक संहिता वाला पुर्तगाली कानून सन् 1867 से ही '' द पोर्टगीज सिविल कोड 1867'' के नाम से लागू था। भारत की आजादी के बाद पूर्तगाल सरकार की आनाकानी के बाद 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने गोवा, दमन, दीव के भारतीय संघ में विलय के लिए ऑपरेशन विजय के साथ सैन्य संचालन किया और इसके परिणाम स्वरूप गोवा, दमन और दीव भारत का एक केन्द्र प्रशासित क्षेत्र बना। 30 मई 1987 को इस केंद्र शासित प्रदेश को विभाजित कर गोवा भारत का पच्चीसवां राज्य बनाया गया। जबकि दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश ही रहे। गोवा के अधिग्रहण के साथ ही उसके प्रशासन के लिये भारत की संसद के द्वारा ''द गोवा दमन एण्ड दियू (प्रशासन) अधिनियम 1962 बना, जिसकी धारा 5 में व्यवस्था दी गयी कि वहां निर्धारित तिथि (अप्वाइंटेड डे) से पूर्व के वे सभी कानून तब तक जारी रहेंगे जब तक उन्हें सक्षम विधायिका द्वारा निरस्त या संशोधित नहीं किया जाता। प्रकार इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं रही।
क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता का मतलब है कि देश में मौजूद सभी धर्म, लिंग, जाति या अन्य वर्ग के लोगों के शादी, उत्तराधिकार, दहेज, संपत्ति या अन्य सिविल मामलों के लिए एक समान कानूनी व्यवस्था। तीन शब्दों से मिलकर बना यूनिफॉर्म, सिविल, कोड में 'यूनिफॉर्म' का मतलब है सभी लोग सभी परिस्थितियों में समान हैं जबकि 'सिविल' लैटिन शब्द 'civils' से लिया गया है जिसका अर्थ सिटीज़न होता है। वहीं लैटिन शब्द 'codex'यानी 'कोड' का मतलब किताब से है। समान नागरिक संहिता का आशय है कि सभी नागरिकों के लिए सभी परिस्थितियों में एक समान नियम जो एक ही पुस्तक में संहिताबद्ध हों। इस संहिताबद्ध किताब में किसी जाति, धर्म, लिंग, जन्मस्थान आदि के आधार पर सिविल मामलों में किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।