तो हरक सिंह से लिखित माफीनामा लिखाकर ही माने हरीश रावत, जानिए क्या है वायरल पत्र की सच्चाई
सोशल मीडिया में वायरल हो रहा पत्र, हरक का माफीनामा
देहरादून, 22 जनवरी। उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने अपनी बहू अनुकृति गुंसाई के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया है, लेकिन सोशल मीडिया में एक वायरल पत्र में दावा किया जा रहा है कि हरक सिंह की एंट्री लिखित माफीनामा के साथ हुई है। इसका कारण पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की शर्त को माना जा रहा है। इस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरक सिंह प्रकरण के जरिए अपनी बात भी मनवा ली और हरक सिंह को बिना शर्त कांग्रेस में वापसी करवाई है।
वायरल हो रहा पत्र, बताया जा रहा हरक का माफीनामा
भाजपा से निष्कासित होने के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की कांग्रेस में एंट्री 5 दिन के बाद हुई है। लेकिन हरक सिंह की एंट्री कांग्रेस में इतनी आसानी से हुई है ये कहना मुश्किल होगा। जिस तरह 5 दिन तक कांग्रेस हरक सिंह को लेकर गहरे मंथन में जुटी रही, उसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अपनी मांग पर अड़े रहे। माना जा रहा है कि अपनी बहू अनुकृति गुंसाई को राजनीति में लाने के लिए हरक सिंह ने सभी शर्तों को मानने में ही अपनी भलाई मानी है। ऐसे में कांग्रेस के नेताओं की ओर से एक पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें हरक सिंह ने माफीनामा लिखा है।
भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप
सोशल मीडिया में जो पत्र वायरल हो रहा है, उसके अनुसार हरक सिंह ने लिखा है कि
भाजपा नेताओं ने 2014 लोकसभा चुनावों में जनता से बहुत बड़े-बड़े वादे कर अच्छे दिनों के सपने दिखाए। जनता से भाजपा ने वादे किए थे कि महंगाई कम होगी। युवाओं को रोजगार मिलेगा, विदेशों से काला धन लाकर हर व्यक्ति को 15-15 लाख देंगे आदि- आदि। हमें व उत्तराखंड की महान जनता को भरोसा दिलाया कि डबल इंजन की सरकार बनने पर ये तमाम किए गए वायदों के साथ पहाड़ों की जवानी व पहाड़ों का पानी बर्बाद न होने का वायदा भी इन वायदों की इस सूची में जोड़ दिया। इन वायदों से मुझे उम्मीद जगी कि उत्तराखंड में पलायन की समस्या, बेरोजगारी व शिक्षा स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी दूर करने में केंद्र सरकार से विशेष सहायता मिलेगी। 2016 प्रकरण को लेकर पत्र में लिखा गया है कि भाजपा नेताओं ने 2016 में भी मुझे भरोसा दिलाया कि उत्तराखंड में भाजपा सरकार बनने पर तमाम समस्याओं को सुलझाने में केंद्र सरकार से विशेष सहायता मिलेगी। यही वायदे दोबारा 2017 के विधानसभा चुनावों में भी दोहराए गए। 2017 के चुनावों में भाजपा सरकार बनने पर मैं इन वायदों को पूरा करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं से बार-बार आग्रह करता रहा, जिसे हर बार यह कहकर टालते रहे कि विचार-विमर्श चल रहा है। सरकार का कार्यकाल समाप्त होने पर भी ये तमाम वादे पूरे नहीं हुए और ये वादे सिर्फ जुमले साबित हुए। भाजपा के मुख्यमंत्री बदलने से उम्मीद जगती थी, जो कुछ समय में धूमिल हो गई। सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के समय भी मैंने बार-बार भाजपा नेताओं को आगाह किया कि चुनावी वायदों को पूरा करो, लेकिन जब कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हुई तो अंततः मैंने भाजपा को छोड़ने का फैसला ले लिया।
हरीश रावत की तारीफ
वायरल पत्र में हरीश रावत सरकार को अब तक की सबसे बेहतर सरकार मानते हुए लिखा है कि
आज मैं जब पूर्व की घटनाओं का अवलोकन कर रहा हूं और भाजपा व पूर्व कांग्रेस सरकार का तुलनात्मक अध्ययन कर रहा हूं तो इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उत्तराखंड की समस्याओं को सुलझाने व उत्तराखंड के चहुंमुखी विकास में कांग्रेस की सरकारों का बेहतरीन योगदान रहा है। पूर्व की इन घटनाओं के अवलोकन से ऐसा महसूस होता है कि कांग्रेस छोड़ने का फैसला मेरे राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल थी, जिसके लिए मैं कांग्रेस के तमाम कार्यकर्ताओं व नेताओं तथा उत्तराखंड की महान जनता से क्षमायाचना करता हूं। उत्तराखंड के विकास में हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार के आगे भाजपा सरकार दूर-दूर तक भी कहीं मुकाबला नहीं कर पाई। जनता से झूठे वायदे कर ठगने वाली और लोकतंत्र को अपमानित करने वाली भाजपा ने आगामी चुनावों में वोट मांगने का नैतिक अधिकार भी खो दिया है। आज मुझे अहसास हुआ कि उत्तराखंड का तभी भला होगा जब उत्तराखंड में पूर्ण बहुमत की स्थिर सरकार बनेगी। इसीलिए मैं कांग्रेस सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत से प्रयास करूँगा, ताकि जो सपने उत्तराखंड बनाने वाले आंदोलनकारियों ने देखे थे, वह पूरे हो सकें। 2016 में भाजपा ने कांग्रेस सरकार को अस्थिर सरकार पर अपनी सरकार बनाने के लिए कांग्रेस विधायकों दुरूपयोग किया और लोकतंत्रात्मक तरीकों को तार-2 कर दिया था।
इस वायरल पत्र में सच्चाई को लेकर कांग्रेस के कई नेताओं ने इसे हरक सिंह का माफीनामा बताया है। इस वायरल पत्र से ये तो साफ है कि इस तरह का माफीनामा के जरिए कांग्रेस का हरीश रावत समर्थकों को जनता और कांग्रेस के नाराज कार्यकर्ताओं के सामने अपना पक्ष रखने में आसानी होगी। जिसमें ये संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि हरक सिंह से लिखित माफीनामा लिखाकर ही कांग्रेस ने अपने परिवार में शामिल करवाया है