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टिकट बंटवारे में लेन देने के गंभीर आरोप, महिला और युवा फेक्टर भूले सियासी दल, परिवारवाद पर भी लगी मुहर

भाजपा, कांग्रेस के 70 सीटों पर प्रत्याशी मैदान में

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देहरादून, 28 जनवरी। उत्तराखंड में अब भाजपा, कांग्रेस समेत सभी दलों ने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है। भाजपा, कांग्रेस से जिन्हें टिकट मिले वो जीत का दावा कर रहे हैं, जिनके टिकट कट गए, वे गंभीर आरोप लगा रहे हैं। सबसे ज्यादा गंभीर आरोप भाजपा के सिटिंग विधायकों ने लगाए हैं। रुद्रपुर से टिकट कटने से नाराज राजकुमार ठुकराल का दावा है कि उनके टिकट का सौदा 5 करोड़ में हुआ है। जबकि टिहरी से धन सिंह नेगी ने आरोप लगाया कि किशोर उपाध्याय ने 10 करोड़ में भाजपा का टिकट खरीदा। इससे पहले यमुनोत्री से कांग्रेस में टिकट न मिलने से नाराज संजय डोभाल ने कांग्रेस पर 5 करोड़ में टिकट का सौदा करने का आरोप लगाया है। टिकट कटने से नाराज विधायकों और प्रबल दावेदारों के आरोपों में कितनी सच्चाई है ये तो पार्टी नेतृत्व ही जाने लेकिन इस तरह के गंभीर आरोप अगर प्रमुख सियासी दलों पर लग रहे हैं तो फिर इसकी गंभीरता को समझना भी जरुरी है। दलबदल और निर्दलीय चुनाव लड़ना लोकतंत्र में हर नेता का अधिकार हो सकता है, लेकिन जिस तरह से देवभूमि में टिकट का करोड़ों में सौदा होने के गंभीर आरोप लग रहे हैं ये बड़ा गंभीर सवाल बन गया है।

Serious allegations of giving lane in ticket distribution, political parties forgot women and youth factor, familyism also stamped

भाजपा ने आठ और कांग्रेस ने पांच महिलाओं को टिकट दिए

अब बात भाजपा, कांग्रेस के टिकट बंटवारों की। टिकट बंटवारे से पहले हर दल टिकट बंटवारे के फॉर्मूले को लेकर मंथन करते हैं। लेकिन जब टिकट बंटने शुरू हुए तो​ फिर सभी फॉर्मूले फेल हो जाते हैं। आधी आबादी यानि महिलाओं के प्रतिनिधित्व की बात हर सियासी दल करते हैं, लेकिन टिकट बंटवारे में कहीं पीछे छूट जाते हैं। भाजपा ने आठ और कांग्रेस ने सिर्फ पांच महिलाओं को टिकट दिए। युवा सरकार की बात करने वाली भाजपा ने युवा मोर्चा के किसी भी नेता को टिकट नहीं दिया। जबकि कांग्रेस ने युवा कांग्रेस के दो नेताओं को टिकट दिया है।

परिवारवाद को लेकर सियासी दलों की सच्चाई कुछ ओर

परिवारवाद को लेकर सियासी दल कुछ भी दावे करें लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। भाजपा ने दिवंगत विधायक हरबंस कपूर की पत्नी सविता कपूर, पिथौरागढ़ से प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत, सल्ट में दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना, कोटद्वार में पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु भूषण खंडूड़ी, सितारगंज में पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा, काशीपुर में विधायक हरभजन सिंह चीमा के बेटे त्रिलोक सिंह चीमा और खानपुर विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन की पत्नी कुंवरानी देवयानी को टिकट देकर परिवारवाद को आगे बढ़ाने का संदेश दिया है। कांग्रेस पहले ही दिन से एक परिवार एक टिकट का नारा दे रही थी, लेकिन अंतिम सूची आते ही नारा कहीं भूल गई। यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य को सिटिंग विधायक के रुप में पहले ही एक परिवार एक टिकट से बाहर कर दिया। लेकिन हरीश रावत और बेटी अनुपमा रावत दोनों को ​ही टिकट देकर कांग्रेस ने इतिहास दोहरा दिया। इसके साथ ही हरक सिंह को भले ही पार्टी ने टिकट न दिया हो लेकिन बहू अनुकृति गुंसाई को लैंसडाउन से टिकट दे दिया। इसी तरह र्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे नरेंद्र चंद सिंह को पार्टी ने काशीपुर से टिकट दिया है।

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English summary
Serious allegations of giving lane in ticket distribution, political parties forgot women and youth factor, familyism also stamped
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