पुलवामा में आंतकियों से हुई मुठभेड़ में शहीद हुआ उत्तराखंड का लाल, आज पहुंच सकता है पार्थिव शरीर
चंपावत। दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतीपोरा में मंगलवार को आतंकियों से 50 राष्ट्रीय राइफ ल्स (आरआर), सीआरपीएफ और एसओजी के जवानों की मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ में चंपावत के जांबाज जवान राहुल रैंसवाल और पुलिस के एक एसपीओ शहीद हो गए। इस मुठभेड़ में दो आतंकियों के भी मारे जाने की सूचना है, लेकिन अब तक उनके शव बरामद नहीं किए जा सके हैं। बता दें कि राहुल का पार्थिव शरीर आज देर शाम तक उत्तराखंड आने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि प्रशासन अभी इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ख्रीव के जंतरंग इलाके में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के दो से तीन आतंकियों के छिपे होने की सूचना 21 जनवरी को सुरक्षाबलों को मिली थी। सूचना के आधार पर सेना की 50 राष्ट्रीय राइफ ल्स (आरआर), सीआरपीएफ और एसओजी के जवानों ने सुबह करीब 11 बजे इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान चलाया। भारी बर्फ बारी और जंगल क्षेत्र होने से सुरक्षाबलों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। घेरा सख्त होने पर वहां एक मकान में छिपे आतंकियों ने जवानों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, तो सुरक्षा बलों ने भी जवाबी फायरिंग की।
आतंकियों के हमले में 18 कुमाऊं (अभी 50 आरआर) के जवान राहुल रैंसवाल शहीद हो गए। उनके अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस के एसपीओ राजोरी निवासी शाहबाज अहमद भी शहीद हो गए। दो आतंकियों के मारे जाने की भी सूचना आई, लेकिन तलाशी के दौरान किसी का शव बरामद नहीं हो पाया। इलाके में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन लगातार जारी है। बता दें कि राहुल के शहादत की खबर मिलते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। पड़ोसी शहीद के परिजनों को ढाढस बंधा रहे हैं।
शहीद राहुल रैंसवाल (25) के पिता वीरेंद्र सिंह रैंसवाल इस वक्त पत्नी हरू देवी के साथ चंपावत के कनलगांव में रहते हैं। राहुल रैंसवाल 2012 में फौज में भर्ती हुआ था। जबकि शहीद का बड़ा भाई राजेश रैंसवाल भी 2009 से फौज में है और इस वक्त 15 कुमाऊं में लखनऊ में तैनात है। राहुल के दादा भी फौज में ही थे। अपर जिलाधिकारी टीएस मर्तोलिया ने बताया कि शहीद राहुल रैंसवाल का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा।