उत्तराखंड: 500 प्रवासी श्रमिकों ने किया नेपाल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, बोले-वापस नहीं बुला रहे
देहरादून। उत्तराखंड के बनबसा और चंपावत में करीब 500 प्रवासी श्रमिकों ने नेपाल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। श्रमिकों का कहना है कि नेपाल सरकार उन्हें वापस आने की अनुमित नहीं दे रही है। गुरुवार को नेपाली श्रमिक बॉर्डर पर एकत्र हुए और नेपाल के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शन की सूचना पर एसीडीएम दयानंद सरस्वती भी मौके पर पहुंच गए।
एसीडीएम ने बताया कि लगभग 500 लोग यह एकत्र हुए है। हमने नेपाल सरकार को सूचित किया है लेकिन हम डीएम के निर्देशानुसार काम करेंगे। वहीं, इस मामले में उत्तराखंड के बीजेपी सांसद अजय भट्ट ने कहा कि नेपाल सरकार ने अभी तक अनुमति नहीं दी है। लोगों को पास दिए जा चुके हैं। मैंने एमओएस होम नित्यानंद राय से बात की है, उन्होंने कहा गृह मंत्री अमित शाह से भी बात करूंगा।
इससे एक दिन पहले ही नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने नेपाल की संसद में चौंकाने वाला बयान दिया था। उन्होंने देश में बढ़ते कोरोना वायरस केसेज के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा डाला है। उन्होंने कहा, 'जो लोग गैर-कानूनी तरीके से भारत से नेपाल आ रहे हैं, वो देश में वायरस को काफी तेजी से फैला रहे हैं। उनके साथ स्थानीय प्रतिनिधि और पार्टी के नेता भी भारत से बिना टेस्टिंग के लोगों को नेपाल में लाने के लिए जिम्मेदार हैं।' ओली ने कहा कि बाहर से आने वाले लोगों की वजह से कोरोना वायरस पर लगाम लगाना बहुत मुश्किल हो गया है। इसके बाद ओली बोले, 'भारतीय वायरस अब चीनी और इटैलियन वायरस से ज्यादा जानलेवा लगने लगा है। बहुत से लोग संक्रमित हो रहे हैं।'
सीमा
विवाद
पर
दी
भारत
को
धमकी
ओली
के
इस
बयान
के
बाद
भारत
में
हंगामा
हो
गया
है
और
अधिकारियों
में
खासा
गुस्सा
है।
ओली
ने
अपने
इसी
भाषण
में
भारत
को
धमकी
भी
दे
दी
और
कहा
वह
कालापानी-लिमपियाधुरा-लिपुलेक
इलाके
की
जमीन
किसी
भी
कीमत
पर
वापस
लेकर
रहेंगे।
भारत
और
नेपाल
के
बीच
1800
किलोमीटर
का
बॉर्डर
है
जो
पूरी
तरह
से
खुला।
लिपुलेख
पास
पर
नेपाल
1816
में
हुई
सुगौली
संधि
के
तहत
अपना
दावा
जताता
है।
इसके
अलावा
नेपाल
ने
लिम्पियाधुरा
और
कालापानी
पर
भी
अपना
दावा
किया
है।
साल
1962
में
चीन
के
साथ
हुई
जंग
के
बाद
यहां
पर
भारतीय
सेनाएं
तैनात
हैं।