हनुमान के अवतार माने जाते हैं नीम करौली बाबा, जिनका कैंची धाम है विश्व प्रसिद्ध, जानिए क्या है पूरी कहानी
नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर पर स्थित है कैंची धाम
देहरादून, 15 जून। आज नीम करौली आश्रम कैंची धाम का स्थापना दिवस है। जहां देश विदेश से भक्त पहुंचते हैं। दो साल बाद इस बार कैंची धाम का 58वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। भंडारे और मेले के लिए पुलिस प्रशासन सहित मंदिर समिति ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। पहली बार गैस के भट्ठों पर मालपुओं का प्रसाद बनाया जाएगा। मंदिर में करीब 8 से 10 छोटे-बड़े गैस के भट्ठे लगाए गए हैं। अब तक यहां लकड़ी के चूल्हों पर मालपुआ बनाए जाते थे। 15 जून को कैंची धाम में नीब करौली बाबा के मेले में मालपुआ का प्रसाद बांटा जाता है। बाबा को हनुमान का अवतार माना जाता है और कैंची धाम कैसे विश्व प्रसिद्ध है। आइए जानते हें।
कौन हैं नीम करौली बाबा या नीब करौरी बाबा या महाराज जी
नीम करौली बाबा या नीब करौरी बाबा या महाराज जी की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है। जिनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फिरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश है,जो कि हिरनगांव से 500 मीटर दूरी पर है। बाबा का जन्म 1900 के आसपास हुआ था। नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा किरहीनं ग्राम में हुई। 11 वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह एक सम्पन्न ब्राम्हण परिवार की कन्या से हो गया था। लेकिन विवाह के कुछ समय बाद ही इन्होंने घर छोड़ दिया। घर छोड़ने के बाद नीम करोली बाबा गुजरात चले गए। वहां पहले एक वैष्णव मठ में दीक्षा लेकर साधना की। उसके बाद अन्य कई स्थानों पर साधना की। लगभग 9 वर्षों तक गुजरात में साधना करने के बाद महाराजजी भ्रमण पर निकले और वापस फिरोजाबाद के नीम करोली नामक गांव में रुके। यहीं जमीन में गुफा बनाकर पुनः साधनारत हुए। यहां उन्होंने गोबर की बनी एक हनुमान प्रतिमा की भी स्थापना की। जोकि अब बहुत प्रसिद्ध है। किसी परिचित ने बाबा के पिता को इसके बारे में बताया तो बाबा को फिर से गृहस्थ आश्रम में आना पड़ा। गृहस्थ आश्रम में बाबा को दो पुत्र और एक पुत्री की प्राप्ति हुई। लेकिन 1958 के लगभग महाराजजी ने पुनः घर त्याग दिया। और बहुत से स्थानों का भ्रमण करते हुए कैंची ग्राम पहुंचे। 9 सितंबर 1973 को बाबा कैंची धाम से आगरा के लिए निकले। 10 सितंबर 1973 को मथुरा स्टेशन पर पंहुचते ही महाराज जी बेहोश हो गए। और उन्होंने शरीर को त्याग दिया। नीम करौली बाबा की समाधि मन्दिर वृन्दावन में है।
कैंची धाम कहां स्थित हैं
नैनीताल
से
लगभग
17
किलोमीटर
पर
स्थित
है
कैंची
धाम
कैंची
धाम
नैनीताल
अल्मोडा
मार्ग
पर
नैनीताल
से
लगभग
17
किलोमीटर
एवं
भवाली
से
9
किलोमीटर
पर
स्थित
है।
इस
आधुनिक
तीर्थ
स्थल
पर
बाबा
नीब
करौली
महाराज
का
आश्रम
है।
इस
स्थान
का
नाम
कैंची
मोटर
मार्ग
के
दो
तीव्र
मोडों
के
कारण
रखा
गया
है।
कैंची,
नैनीताल,
भवाली
से
7
किमी
की
दूरी
पर
भुवालीगाड
के
बायीं
ओर
स्थित
है।
कैंची
मन्दिर
में
प्रतिवर्ष
15
जून
को
वार्षिक
समारोह
मानाया
जाता
है।
इस
दिन
यहां
बाबा
के
भक्तों
की
विशाल
भीड़
लगी
रहती
है।
ऐसा
माना
जाता
है
कि
जब
तक
महाराज
जी
17
वर्ष
के
थे,
तब
वह
सबकुछ
जानते
थे।
उनको
इतनी
छोटी
सी
आयु
मे
सारा
ज्ञान
था।
भगवान
के
बारे
में
संपूर्ण
ज्ञान
था।
जिनके
हनुमान
गुरु
हैंं।
बाबा
के
भक्तों
का
दावा
है
कि
बाबा
हनुमान
जी
के
अवतार
हैं।
बाबा
नीब
करौरी
ने
कैंची
धाम
आश्रम
की
स्थापना
1964
में
की
थी।
बाबा
1961
में
पहली
बार
यहां
आए
और
उन्होंने
अपने
पुराने
मित्र
पूर्णानंद
जी
के
साथ
मिल
कर
यहां
आश्रम
बनाने
का
विचार
किया
था।
1964
में
बाबा
ने
यहां
हनुमान
मंदिर
की
स्थापना
की
थी।
आम से लेकर खास सब हैं बाबा के भक्त
बाबा के भक्तों में आम आदमी से लेकर कई वीआईपी शामिल हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं। बाबा का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं।
कई चमत्कार जुड़े हैं मंदिर के साथ
बाबा नीब करौरी के नाम के साथ कई चमत्कार जुड़े हैं। स्थानीय लोगों और भक्तों का दावा है कि एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। इसके अलावा एक बार नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। इस तरह के कई चमत्कार बाबा के नाम के साथ जुड़े हैं। जिस वजह से देश विदेश से लोग यहां खीचें चले आते हैं। भक्त इस धाम को किस्मत बदलने वाला धाम भी कहते हैं।
ये भी पढ़ें-उत्तराखंड बजट सत्र: विधानसभा में 22 साल में पहली बार महिलाओं के लिए एक विशेष पहल