'चेज हिमालय मॉडल' से विमल मलासी ने दिखाई स्वरोजगार की राह
Uttarakhand news, गोपेश्वर। पूरे देश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सीमित होते जा रहे हैं। ऐसे में हमारे बीच कई ऐसे युवा भी है जिनके बुलंद हौसलों से लोगों को सीख लेने की जरूरत है। ऐसे ही एक युवा हैं मायापुर (पीपलकोटी) के विमल मलासी। आज रोजगार सृजन के लिए विमल मलासी का 'चेज हिमालय माॅडल' युवाओं के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है। विमल का अपनी माटी, थाती और पहाड़ से ऐसा लगाव था कि पहाड़ की इन्हीं वीरान कंदराओं में उन्होंने ट्रेकिंग के जरिए स्वरोजगार की नई मिशाल पेश की है।
संघर्षमय
रहा
जीवन
बहुमुखी
प्रतिभा
के
धनी
विमल
मलासी
मूल
रूप
से
जनपद
चमोली
के
मायापुर
(पीपलकोटी)
के
रहने
वाले
हैं।
विमल
मलासी
का
जीवन
बेहद
संघर्षमय
रहा।
विमल
मलासी
बताते
हैं
कि
बचपन
से
ही
कुछ
अलग
करने
की
ललक
उनके
मन
मस्तिष्क
में
घर
गई
थी।
पढ़ाई
पूरी
करने
के
बाद
लंबे
समय
तक
कम्प्यूटर
के
क्षेत्र
में
कार्य
किया।
तत्पश्चात
विभिन्न
स्वयंसेवी
संस्थाओं
के
जरिये
सामाजिक
सरोकारों
से
जुड़
गये।
लेकिन
मन
ही
मन
कुछ
अलग
करने
की
धुन
सवार
थी।
रुद्रनाथ
की
पगडंडीयों
नें
दिखलाई
राह
2008
में
विमल
मलासी
अपने
दोस्तों
के
साथ
चतुर्थ
केदार
भगवान
रुद्रनाथ
के
दर्शन
के
लिए
गये
थे।
इस
दौरान
रुद्रनाथ
की
हांफती
चढ़ाई
और
पगडंडीयों
नें
उन्हें
एक
आईडिया
दिया
की
यदि
लोगो
को
इन
पहाड़ों
की
सैर
कराई
जाय
तो
इससे
न
केवल
घूमने
का
मौका
मिलेगा
अपितु
रोजगार
भी।
इस
दौरान
विमल
नें
अपने
दोस्तों
के
संग
इस
पर
परिचर्चा
की
और
2017
में
इस
विचार
को
मूर्त
रूप
दिया
गया।
इसमें
सबसे
अहम्
भूमिका
विमल
के
भाई
नें
निभाई,
जिन्होंने
विमल
को
10
हजार
की
मदद
की
और
हौंसला
और
भरोसा
दिलाया।
भाई
से
मिले
प्रोत्साहन
नें
विमल
की
उम्मीदों
को
पंख
लगे।
विमल
ने
ट्रैकिंग
का
कार्य
शुरू
कर
दिया।
10
हजार
से
शुरू
हुआ
विमल
का
ये
सफर
अब
अपनी
मंजिल
की
ओर
तेजी
से
दौड़
पड़ा
है।
आज
विमल
के
पास
ट्रैकिंग
के
लगभग
चार
लाख
रुपये
का
खुद
का
सामान
है।
तीन
सालों
में
तीन
सौ
लोगों
को
ट्रैकिंग,
इन
जगहों
पर
कराते
हैं
ट्रैकिंग
विमल
मलासी
चेज
हिमालय
के
जरिये
तीन
सालों
में
लगभग
तीन
सौ
लोगों
को
हिमालय
की
सैर
करवा
चुके
है।
जिससे
उन्हें
अच्छी
खासी
आमदनी
हुई
है।
वे
पर्यटकों
को
पंच
केदार,
पंच
बदरी,
फूलों
की
घाटी,
हेमकुंड,
स्वर्गारोहणी,
कुंवारी
पास,
लार्ड
कर्ज़न
रोड,
द्रोणागिरी,
दयारा
बुग्याल,
पंवालीकांठा,
पिंडारी
ग्लेशियर,
कागभूषंडी
ताल,
देवरियाताल,
चोपता,
तुंगनाथ,
रूपकुंड,
घुत्तु
सहित
दर्जनों
ट्रैक
की
सैर
करा
चुके
हैं।
वर्तमान
में
चेज
हिमालय
के
जरिये
विमल
पांच
लोगों
को
प्रत्यक्ष
रोजगार
दे
रहें
हैं
जबकि
अपने
हर
ट्रैक
के
दौरान
विमल
स्थानीय
गाइडों
से
लेकर
पोर्टरो,
गाड़ी
वालों,
घोडे-खच्चरो
से
लेकर
कई
स्थानीय
लोगों
को
अप्रत्यक्ष
रूप
से
रोजगार
दिलाते
है।
रोजगार
के
बदले
हिमालय
को
स्वच्छ
और
सुन्दर
रखने
की
शपथ
विमल
मलासी
चेज
हिमालय
के
जरिये
पहाड़ों
की
वीरान
कंदराओं
से
रोजगार
की
मशाल
तो
जगा
रहे
हैं
वहीं
इसके
बदले
उन्होंने
हिमालय
को
स्वच्छ
और
सुन्दर
रखने
की
शपथ
ली
हुई
है।
वे
जब
भी
अपने
ग्रुप
के
साथ
ट्रैकिंग
पर
जातें
हैं
तो
वहां
की
साफ
सफाई
का
बहुत
ख्याल
रखते
हैं।
उन्हें
ट्रैक
पर
जो
भी
कचरा
मिलता
है,
उसे
अपने
बैग
में
उठाकर
लाते
हैं।
कई
मर्तबा
वे
ट्रैक
पर
आये
लोगों
से
पौधरोपण
भी
कराते
हैं।
साथ
ही
उन्हें
हिमालय
को
स्वच्छ
और
सुन्दर
रखने
की
शपथ
भी
दिलाते
हैं।
पहाडों
में
रोजगार
को
लेकर
चेज
हिमालय
के
प्रबंधक
विमल
मलासी
से
लंबी
बातचीत
हुई।
बकौल
विमल
मलासी,
पहाडों
में
रोजगार
की
अपार
संभावनाएं
हैं।
उत्तराखंड
में
ट्रैकिंग
व्यवसाय
आज
हजारों
लोगों
को
रोजगार
दे
रहा
है।
परंतु
राज्य
बनने
के
19
साल
बाद
भी
हमारे
पास
कोई
ठोस
नीति
नहीं
है।
यदि
एक
सुनियोजित
तरीके
और
दीर्घकालीन
सोच
के
तहत
ट्रैकिंग
को
प्रोत्साहित
किया
जाय
तो
इससे
लाखों
लोगों
को
रोजगार
के
अवसर
मिल
सकते
हैं।
सरकार
को
चाहिए
की
ट्रैकिंग
को
हर
स्तर
पर
बढ़ावा
दिया
जाय।
वास्तव
मे
देखा
जाय
तो
उत्तराखंड
में
ट्रैकिंग
के
क्षेत्र
मे
रोजगार
की
असीमित
संभावनाएं
हैं।
विमल
मलासी
के
चेज
हिमालय
माॅडल
से
हमें
भी
सीख
लेने
की
आवश्यकता
है।
जो
युवा
पांच-दस
हजार
रूपये
की
नौकरी
के
लिए
दिल्ली,
मुंबई
की
ओर
जा
रहे
हैं
उन्हें
विमल
मलासी
से
सीख
लेने
की
दरकरार
है।