Kartik Kansal UPSC: IIT रुड़की से बने ISRO के वैज्ञानिक, व्हीलचेयर से भरी और ऊंची उड़ान
रुड़की। देवभूमि उत्तराखंड में रुड़की के चावमंडी निवासी कार्तिक कंसल की प्रतिभा और हौसले से बहुत से युवा सीख ले सकते हैं। कार्तिक दिव्यांग हैं। वह इसरो के वो युवा वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने दूसरी बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की है। हाल में जारी हुए रिजल्ट में उन्होंने 271वीं रैंक हासिल की। इनके बारे में खास बात यह भी है कि, ये व्हीलचेयर पर ही रहते हैं। इन्होंने आइआइटी रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की थी। उसके बाद इन्हें इसरो में सेवा मिली। आइए यहां इनके सुनहरे सफर पर डालते हैं एक नजर..

कहानी रुड़की के दिव्यांग कार्तिक कंसल की
कार्तिक कंसल रुड़की के चावमंडी निवासी हैं। व्हीलचेयर पर रहने वाले पच्चीस वर्षीय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के इस वैज्ञानिक के हौसले बुलंद हैं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा सेंट गेब्रियल से हुई थी। इनके पिता हरिद्वार में लेखपाल हैं। वहीं, मां ममता गुप्ता हाउस वाइफ हैं। भाई वरुण कंसल ने भी बीटेक किया है और वह एक कंपनी में कार्यरत हैं।

IIT रुड़की से पढ़कर ISRO के वैज्ञानिक बने
कार्तिक के भाई ने कहा कि, कार्तिक का सपना इसरो के जरिए देश को नई बुलंदियों पर ले जाने का है। उन्होंने बताया कि, हमारे पिता एल.पी. गुप्ता राजस्व विभाग में राजस्व निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं और वह राजकीय पुलिस एवं भूलेख प्रशिक्षण संस्थान अल्मोड़ा में ट्रेनिंग पर भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि, कार्तिक शुरू से ही पढ़ाई में काफी मेधावी छात्र रहे। साल 2018 में ही उसने आईडी रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर ली थी।
UPSC:
पंजाब
की
गामिनी
सिंगला
की
आई
देश
में
तीसरी
रैंक,
ढोल
बजवाकर
यूं
खुशी
से
नाचा
पूरा
परिवार

2 बार UPSC की, श्रीहरिकोटा में हैं वैज्ञानिक
वर्ष 2020 में कार्तिक कंसल ने यूपीएससी में 813वीं रैंक हासिल की थी। उन्हें पोस्टल विभाग मिला था, लेकिन उस समय उन्होंने ज्वॉइन नहीं किया था। पिता ने कहा कि, कार्तिक और बेहतर करना चाहता था। इसलिए, अपनी मेहनत से दोबारा तैयारी की और अब 271 रैंक हासिल की है। 2018 से इसरो के वैज्ञानिक होते हुए अब यूपीएससी की परीक्षा में उत्तीर्ण होना उनके बारे में यह जाहिर करता है कि उनके हौसले आसमान पर हैं। अब वह श्रीहरिकोटा स्थित इसरो में वैज्ञानिक है।