उत्तराखंड में तीर्थ पुरोहितों की राज्य सरकार से नाराजगी बरकरार, एसओपी और देवस्थानम बोर्ड को लेकर मुखर
उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड और चारधाम यात्रा को लेकर तीर्थ पुरोहित सरकार से नाराज
देहरादून, 22 सितंबर। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले चारधाम यात्रा खुलने से धामी सरकार ने भी राहत की सांस ली है। लंबे समय से तीर्थ पुरोहित और स्थानीय लोगों का यात्रा खुलवाने को लेकर विरोध चल रहा था। लेकिन हाईकोर्ट में राज्य सरकार की मजबूत पैरवी से यात्रा खुली, जिसके बाद तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी काफी हद तक दूर हो गई है। फिलहाल चारों धाम में राज्य सरकार के खिलाफ चल रहा विरोध शांत हो गया है। अब देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा सुलझाना सरकार के लिए चुनौती है। जो कि फिलहाल सीएम पुष्कर सिंह धामी के आश्वासन के बाद आंदोलन रुका हुआ है। हालांकि तीर्थ पुरोहित चारधाम यात्रा को लेकर जारी एसओपी और देवस्थानम बोर्ड को लेकर एक बार फिर से आंदोलन की रणनीति बनाने की तैयारी में है।
चुनाव
में
बड़ा
फेक्टर
होगा
देवस्थानम
बोर्ड
उत्तराखंड
में
भाजपा
सरकार
के
सामने
चुनावों
से
पहले
पिछली
सरकार
के
लिए
गए
कुछ
फैसलों
को
सुधारने
का
आखिरी
मौका
है।
आचार
संहिता
से
पहले
अगर
धामी
सरकार
ने
इन
फैसलों
पर
स्थानीय
लोगों
को
शांत
करवा
दिया
तो
चुनाव
में
इसक
फायदा
भाजपा
को
होना
तय
है।
इसमें
सबसे
बड़ा
मुद्दा
देवस्थानम
बोर्ड
का
है।
देवस्थानम
बोर्ड
का
मुद्दा
हिंदू
वोटर
के
साथ
ही
गढ़वाल
की
10
से
ज्यादा
सीटों
को
प्रभावित
करता
है।
तीर्थ
पुरोहित
और
हकहकूक
धारी
देवस्थानम
बोर्ड
को
भंग
करने
की
मांग
कर
रहे
हैं।
जिसके
लिए
सीएम
पुष्कर
सिंह
धामी
ने
हाईलेवल
की
कमेटी
बनाकर
30
अक्टूबर
तक
का
समय
मांगा
है।
तीर्थ
पुरोहित
भी
बोर्ड
भंग
न
होने
पर
1
नवंबर
से
विरोध
और
आंदोलन
तेज
करने
का
ऐलान
कर
चुके
हैं।
ऐसे
में
सरकार
के
पास
1
माह
का
समय
है।
जिसमें
सरकार
स्थानीय
लोगों
और
तीर्थ
पुरोहितों
के
साथ
हकहकूक
धारियों
को
अपने
पाले
में
लाकर
चुनावी
लाभ
ले
सकती
है।
अगर
राज्य
सरकार
इस
मसले
को
नहीं
सुलझा
पाई
तो
आने
वाले
चुनावों
में
इसका
लाभ
कांग्रेस
को
हो
सकता
है।
कांग्रेस
देवस्थानम
बोर्ड
को
लेकर
पहले
से
ही
मुखर
है।
साथ
ही
कांग्रेस
के
प्रदेश
अध्यक्ष
गणेश
गोदियाल
ने
अपनी
सरकार
आते
ही
सबसे
पहले
बोर्ड
को
भंग
करने
और
चुनावी
मैनिफेस्टो
में
इस
मुद्दे
को
रखने
की
बात
की
है।
साफ
है
कि
कांग्रेस
के
लिए
चुनावी
साल
में
देवस्थानम
बोर्ड
सबसे
बड़ा
मुद्दा
रहेगा।
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सरकार
की
मंशा
पर
उठाए
सवाल
चारधाम
तीर्थ
पुरोहित
हकहकूकधारी
महापंचायत
के
अध्यक्ष
कृष्णकांत
कोठियाल
ने
राज्य
सरकार
की
मंशा
पर
सवाल
खड़े
किए
हैं।
उन्होंने
कहा
कि
एक
तरफ
राज्य
सरकार
तीर्थ
पुरोहितों
से
देवस्थानम
बोर्ड
को
फ्रीज
करने
की
बात
कहती
है,
दूसरी
तरफ
सरकार
चारधाम
यात्रा
को
लेकर
देवस्थानम
बोर्ड
की
एसओपी
जारी
और
मॉनिटरिंग
करवा
रही
है।
कोठियाल
ने
कहा
कि
मसूरी
से
लेकर
टूरिस्ट
प्लेसेज
में
सरकार
ने
छूट
दे
दी
है।
तो
धामों
में
सख्ती
क्यों
है।
जब
की
यात्रा
एक
माह
की
रह
गई
है।
उन्होंने
सरकार
से
इसमें
जल्द
बदलाव
की
मांग
की
है।
उन्होंने
कहा
कि
सरकार
की
इस
दोहरी
नीति
से
धामों
में
तीर्थ
यात्री
नहीं
जा
रहे
हैं।
कोठियाल
ने
कहा
कि
चारधाम
यात्रा
के
अनुभवों
को
देखकर
सरकार
की
देवस्थानम
बोर्ड
को
लेकर
मंशा
ठीक
नहीं
लग
रही
है।
ऐसे
में
एक
बार
फिर
से
आंदोलन
तेज
करना
होगा।
इसके
लिए
गुरूवार
को
आगे
की
रणनीति
बनानी
होगी।
कृष्णकांत कोठियाल ने कहा कि-
देवस्थानम बोर्ड को लेकर रणनीति बनाई जा रही है। सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को फ्रीज करने का दावा किया था, लेकिन चारधाम यात्रा को लेकर देवस्थानम बोर्ड सक्रिय है। ऐसे में सरकार की मंशा साफ नजर नहीं आ रही है। देवस्थानम बोर्ड और यात्रा को लेकर रणनीति बनाई जा रही है।