दूसरे राज्यों की मदद से उत्तराखंड में कैसे होगा भाजपा का मिशन 60 प्लस पूरा, जानिए
हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के कार्यकर्ता संभालेंगे उत्तराखंड का जिम्मा
देहरादून, 9 दिसंबर। उत्तराखंड में मिशन 60 प्लस के लिए भाजपा ने संगठन स्तर से पूरी ताकत झौंक दी है। इसके लिए केन्द्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष को जिम्मेदारी सौंपी गई है। बीएल संतोष ने देहरादून आकर सरकार और संगठन से फीडबैक लेने के साथ ही खास रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार-प्रसार तक की जिम्मेदारी, रिपोर्ट और मॉनिटरिंग के लिए संगठन महामंत्री ने उत्तराखंड के बाहर के कार्यकर्ताओं को बुलाने का निर्णय लिया है। जिससे किसी भी तरह की सिफारिश या काम में दखलअंदाजी न हो सके। इसके लिए वार रूम तैयार किया जाएगा। जिसमें दूसरे राज्यों से भाजपा के विश्वस्त कार्यकर्ता बुलाए जाएंगे।
बीएल संतोष ने संभाला मोर्चा
केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश पर राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष ने देहरादून में सरकार और संगठन के पदाधिकारियों के साथ लंबी चर्चा की है। जो कि करीब 2 घंटे तक चली। इस बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, सह प्रभारी रेखा वर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और प्रदेश महासचिव संगठन अजेय से विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा हुई है। इस बैठक में बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को एक्टिव करने पर रणनीति तैयार की गई। पार्टी ने 70 विधानसभा सीटों पर विजय संकल्प यात्रा और संकल्प रथों के संबंध में भी रणनीति तैयार की। भाजपा पीएम नरेंद्र मोदी के विजय संकल्प महारैली से उत्साहित कार्यकर्ताओं के जोश को कायम रखने के लिए 11 दिसंबर को संकल्प रथों को सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों के लिए रवाना करेगी। इसके साथ ही घोषणा पत्र को लेकर भी इस दौरान जनता से सुझाव लिए जाएंगे।
पड़ोसी राज्यों से आएंगे कार्यकर्ता
इस बार पार्टी हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश से भाजपा के कार्यकर्ताओं को बुलाने पर विचार कर रही है। 2017 और 2012 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा इसी रणनीति पर काम कर चुकी है। तब बिहार, झारखंड, यूपी समेत दूसरे राज्यों से भाजपा संगठन के कार्यकर्ताओं को भाजपा प्रदेश कार्यालय में जिम्मेदारी सौंपी गई थी। चुनाव शुरू होने से पहले और चुनाव संपन्न होने तक इन्हीं कार्यकर्ताओं को प्रदेश कार्यालय की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। जो कि चुनाव निपटते ही अपने राज्यों में चले जाते हैं। ये कार्यकर्ता भाजपा के सबसे विश्वस्त कार्यकर्ता होते हैं। जो कि आरएसएस पृष्ठभूमि के भी होते है। जो कि अच्छे रणनीतिकार माने जाते हैं।
संघ बनाएगा समन्वय
सरकार और संगठन में समन्वय बनाने और चुनावी रणनीति पर फोकस करने के लिए भाजपा फिर से संघ की शरण में भी पहुंच चुकी है। इसके लिए राष्ट्रीय संगठन महामंत्री, सीएम, प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों के साथ समन्वय बैठक भी कर चुके हैं। इस दौरान सरकार के कामकाज को जनता तक ले जाने और कमजोर कड़ी पर काम करने पर जोर दिया गया है। इसके लिए भाजपा संघ के सर्वे को भी आधार बना रही है। चुनाव में टिकट बंटवारे से लेकर रणनीति को लेकर भाजपा में संघ की राय को अहम माना जाता है। जिसके लिए आरएसएस पहले से ही रिपोर्ट तैयार कर चुका है। जिसकी रिपोर्ट भी टिकट बंटवारे से लेकर रणनीति में अहम मानी जाती है।