हाईकोर्ट का आदेश, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को 6 महीने के अंदर देना होगा बंगले का किराया
Dehradun news, देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व सीएम को मुफ्त में सरकारी बंगला आवंटित करने संबंधी सभी सरकारी आदेशों को निरस्त करते हुए आदेश दिया है कि ऐसी सुविधाओं का उपयोग करने वाले सभी एक्स सीएम बाजार दर से मकान किराया सरकारी खाते में जमा कराएं। इसके लिए छह माह की मोहलत दी गई है। समय सीमा बीतने पर सरकार को पूरी रकम वसूल करने का आदेश दिया है। इस फैसले की जद में प्रदेश के पांच पूर्व मुख्यमंत्री आए हैं। एन डी तिवारी की मौत हो चुकी है। हाईकोर्ट ने एनडी तिवारी के बारे में किराया वसूलने का फैसला सरकार पर छोड़ दिया है। इस संबंध में वर्ष 2001 से 2016 तक सरकार द्वारा जारी किये गये सभी आदेश निरस्त कर दिये गये हैं।
स्वयं सेवी संस्था 'रुलक' (रुरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केन्द्र) राज्य सरकार के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित आवास को गैरकानूनी बताते हुए उनसे बंगला खाली कराने और उपयोग करने की अवधि का किराया बाजार दर के हिसाब से वसूल करने की मांग की थी। आवास खाली किया जा चुका है। रुलक की ओर से अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता की ओर से दायर की गयी पीआईएल पर 26 फरवरी को ही सुनवाई पूरी हो गई थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। अदालत ने इस फैसले की जद में आने वाले सभी मुख्यमंत्रियों को छह माह के भीतर किराये का भुगतान करने का आदेश दिया है। साथ ही यह भी आदेशित किया गया है कि बंगले में निवास के दौरान सरकार की ओर से रंग रोगन , मेंटीनेंस व अन्य तरह की दी गई सुविधाओं पर किये गये खर्च का भी भुगतान करना होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी पर 47,57,758 रुपये, स्व. एनडी तिवारी पर 1,12,98182 रुपये, पूर्व सीएम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक पर 40,95,560 रुपये, भुवनचंद्र खंडूड़ी पर 46,59,776 रुपये व पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर 37,50,638 रुपये बकाया है। कुल रकम 2.85 करोड़ रुपये है। भगत सिंह कोश्यारी ने तर्क दिया था कि वह किराया चुकाने की स्थिति में नहीं है। रमेश पोखरियाल निशंक और विजय बहुगुणा की ओर से अदालत को बताया गया था कि उन्होंने सरकार द्वारा निर्धारित किराया जमा करा दिया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि निशंक और बहुगुणा ने एक रुपये की दर से किराया जमा कराया है जो गलत है। किराया बाजार भाव से जमा होना चाहिए। अदालत ने इस तर्क को मान लिया।