होटल की चाबी तो मिल गई लेकिन ताला कब खुलेगा, जानिए क्या है मसला, कांग्रेस भी लगा रही गंभीर आरोप
देहरादून, 28 मई। उत्तरप्रदेश से परिसंपत्तियों के बंटवारे में अलकनंदा होटल उत्तराखंड को मिल जाने के बाद भी अभी तक होटल शुरू नहीं हो पाया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 मई को अलकनंदा होटल को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा था। उन्होंने अपने हाथों से इस होटल की चाबी सीएम धामी को सौंप कर इस होटल के संचालन का अधिकार उत्तराखंड सरकार को दिया था, मगर यह अधिकार मिलने के बाद से यह होटल बंद पड़ा है। इसको लेकर विपक्ष भी सरकार पर होटल को पीपीपी मोड़ पर देने का आरोप लगा रही है।

17 साल बाद हुआ समाधान
17 साल तक उत्तरप्रदेश के साथ चल रहे उत्तराखंड के साथ परिसंपत्तियों के बंटवारे का पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय समाधान किया गया। तब हरिद्वार में अलकनंदा होटल भी उत्तराखंड को लौटाने पर सहमति बनी। इसके एवज में उत्तरप्रदेश के लिए अलकनंदा के पास ही राज्य सरकार ने जमीन उपलब्ध कराई। जिसके बाद भागीरथी होटल तैयार हुआ। हरिद्वार में 43.27 करोड़ रुपये से 2,964 वर्गमीटर में फैला 100 कक्षों वाले भागीरथी पर्यटक आवास गृह का निर्माण हुआ है। जो कि पिछले 5 मई को उत्तरप्रदेश को मिल गया है। इसको लेकर कांग्रेस शुरू से ही मुखर रही है और इस पूरे प्रकरण पर आपत्ति दर्ज करा चुकी है। इसके बाद ये उम्मीद लगाई गई कि होटल मिल जाने के बाद इसका राजस्व राज्य सरकार को मिल जाएगा। जिससे राज्य सरकार की परिसंपत्तियों को लेकर चल रही परेशानी का भी समाधान होगा। लेकिन अब 22 दिन के बाद भी अलकनंदा होटल का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। इसके पीछे की वजह होटल को पीपीपी मोड में देने की बात की जा रही है।
हरदा ने उठाए सवाल, पीपीपी मोड पर देना चाह रही सरकार
अलकनंदा के उत्तराखंड को मिल जाने के बाद भी होटल बंद होने को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने गंभीर आरोप लगाया है। हरीश रावत ने तंज कसते हुए कहा है कि क्या कहूं कुछ कहा भी ना जाये और बिन कहे रहा भी ना जाये। ये पुरानी फ़िल्मी कहावत मुझपर आजकल सही साबित हो रही है। हरीश रावत ने कहा कि यदि वर्तमान सरकार की कुछ विफलताओं को उठाता हूँ तो भाजपा वाले डांट देते है की इतनी बार हार गए अब भी अकल नही आयी। हरदा ने कहा कि अब अलकनंदा इस राज्य की एक सुनहरी सम्पति थी पहले तो उसको उत्तरप्रदेश से शोषण करने दिया गया, और फिर जब अलकनंदा उत्तराखंड को देने की बात आई तो उसके एवेज में उसके सामने प्राइम लैंड देकर के उत्तरप्रदेश वालों को एक भव्य होटल वहां बनाने की अनुमति दे दी गयी, और जमीन दे दी गयी। हरदा ने आरोप लगाया कि हमने तब भी आपत्ति की, फिर हमने आपत्ति की की कुछ हो गया है खटर-पटर, लेन-देन और अलकनंदा को प्रॉपर्टी के रूप में खत्म किया जा रहा है, और कही दिनों से इसको बंद रखा गया और अब समझ में आ गयी बात, किसी प्राइवेट व्यक्ति की नजर है उसपर और राज्य सरकार उस प्राइवेट व्यक्ति को देकर हरिद्वार को भी स्विट्ज़रलैंड बना देना चाह रही हो।
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