गैरसैंण बनी उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी, राज्यपाल ने त्रिवेंद्र सरकार के प्रस्ताव को दी मंजूरी
देहरादून। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी के तौर पर भराड़ीसैण (गैरसैंण) को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है। त्रिवेंद्र रावत सरकार के तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं और इस मौके पर गैरसैंण को राजधानी बनाकर जनता से किए वादे को पूरा किया है। भाजपा ने 2017 के चुनाव में घोषणापत्र में गैरसैंण को राजधानी बनाने की बात कही थी।
मार्च
में
की
थी
गैरसैंण
को
राजधानी
बनाने
की
घोषणा
गैरसैंण
चमोली
जिले
में
है।
जब
उत्तर
प्रदेश
से
अलग
उत्तराखंड
राज्य
बनाने
के
लिए
आंदोलन
चल
रहा
था
तब
आंदोलनकारियों
की
मांग
थी
कि
गैरसैंण
को
इसकी
राजधानी
बनाई
जाय।
उत्तराखंड
राज्य
के
लिए
संघर्ष
में
36
आंदोलनकारी
शहीद
हो
गए
थे।
जब
वर्ष
2000
के
नवंबर
में
उत्तराखंड
अलग
राज्य
बन
गया
तो
गैरसैंण
में
सुविधाएं
नहीं
थीं
जिस
वजह
से
देहरादून
को
इसकी
अस्थाई
राजधानी
बनाई
गई।
भाजपा
को
2017
चुनाव
में
मिली
57
सीटें
उत्तराखंड
बनने
के
बाद
गैरसैंण
को
राजधानी
बनाने
की
मांग
लगातार
उठती
रही।
भाजपा
ने
2017
के
चुनावी
घोषणापत्र
में
इसका
जिक्र
किया
और
वादा
किया
कि
गैरसैंण
को
ग्रीष्मकालीन
राजधानी
बनाकर
वहां
सारी
सुविधाएं
देने
पर
विचार
किया
जाएगा।
2017
के
चुनाव
में
भाजपा
को
जनता
ने
भारी
बहुमत
से
जिताया
और
प्रदेश
के
इतिहास
में
पहली
बार
57
सीट
के
साथ
कोई
पार्टी
सत्ता
में
आई।
मुख्यमंत्री
त्रिवेंद्र
सिंह
रावत
ने
तीन
साल
पूरे
होने
पर
जनता
के
साथ
किए
वादे
को
पूरा
किया।
गैरसैंण
को
राजधानी
बनाने
का
प्रस्ताव
को
राज्यपाल
बेबी
रानी
मौर्य
ने
मंजूरी
दे
दी
है।
सीएम
ने
इस
बारे
में
कहा
मुख्यमंत्री
त्रिवेंद्र
सिंह
रावत
ने
राज्यपाल
की
मंजूरी
के
दस्तावेज
को
ट्वीट
करते
हुए
लिखा
कि
सवा
करोड़
उत्तराखंडवासियों
की
भावनाओं
का
सम्मान
करते
हुए
मुझे
बेहद
खुशी
हो
रही
है
कि
आज
भराड़ीसैंण
(गैरसैंण)
को
ग्रीष्मकालीन
राजधानी
घोषित
किए
जाने
की
अधिसूचना
जारी
कर
दी
गई
है।
राज्य
आंदोलनकारियों,
मातृशक्ति
व
शहीदों
के
सपनों
को
साकार
करने
की
दिशा
में
यह
मील
का
पत्थर
साबित
होगा।
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