पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा चुनाव न लड़ने का किया ऐलान, मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
देहरादून, 19 जनवरी। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बार विधानसभा का चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर अपनी इच्छा जता दी है। साथ ही त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भाजपा में रहकर काम करने की बात की है। जिससे त्रिवेंद्र रावत को चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी देने की चर्चा तेज हो गई है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इससे पहले झारखंड प्रभारी, उत्तर प्रदेश में सहप्रभारी के साथ ही, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ, हिमाचल आदि कई राज्यों में चुनाव में अहम भूमिका निभा चुके हैं।

डोईवाला से विधायक त्रिवेंद्र, सर्वे रिपोर्ट में स्थिति नहीं बेहतर
उत्तराखंड में टिकट बंटवारे से पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। लेकिन इस बार चुनाव की आहट होते ही त्रिवेंद्र रावत के डोईवाला से चुनाव न जीतने सोशल मीडिया में खबरें सामने आती रही है। सर्वे से लेकर धरातल पर जब भी भाजपाई डोईवाला सीट की बात करते तो त्रिवेंद्र सिंह रावत के सीट पर कमजोर होने की बात सामने आती रही हैं। बीते दिनों हरक सिंह रावत के डोईवाला सीट से चुनाव मैदान में आने की खबरों ने भी त्रिवेंद्र के चुनाव न लड़ने की खबरें सियासी गलियारों में आती रही हैं। हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से हटने के साथ ही डोईवाला से चुनाव को लेकर संशय होने लगी थी। राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखे पत्र में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार बनाने का संकल्प दोहराया है। इधर भाजपा सूत्र त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनावों में बड़ी भूमिका देने का दावा करने लगे हैं। हालांकि खबरें ये भी सामने आ रही हैं कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद के समर्थकों के लिए कुछ सीटों पर टिकटों की मांग की है। जो उनकी दावेदारी हटने के बाद पार्टी उनकी इच्छा को पूरी कर भी सकती है।
भाजपा का वर्चस्व रहा है डोईवाला पर
डोईवाला विधानसभा सीट भाजपा के वर्चस्व वाली सीट रही है। 2014 के उपचुनाव को छोड़कर कांग्रेस को इस सीट पर जीत नहीं मिली। 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला से जीतकर आए। 2012 के चुनाव में त्रिवेंद्र डोईवाला से रायपुर चले गए और वहां हार गए। लेकिन डोईवाला सीट पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने जीती। 2014 में निशंक हरिद्वार से लोकसभा का चुनाव लड़े और उपचुनाव में त्रिवेंद्र की डोईवाला सीट पर फिर वापसी हुई लेकिन इस बार कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट चुनाव जीते और त्रिवेंद्र सिंह रावत चुनाव हार गए। 2017 में पार्टी ने फिर त्रिवेंद्र रावत पर ही दांव लगाया और वह रिकार्ड 24,608 मतों से विजयी हुए। इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ गए। लेकिन 5 साल तक क्षेत्रवासियों से दूरी उनकी सर्वे रिपोर्ट में पिछड़ने का कारण बनी। भाजपा सूत्रों का दावा है कि इस बार चुनावी पर्यवेक्षकों को मिली सभी रिपोर्ट पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ ही मिली। जिस वजह से पार्टी त्रिवेंद्र को डोईवाला से चुनाव नहीं लड़वाना चाहती है। इससे पहले की भाजपा की लिस्ट से त्रिवेंद्र का नाम गायब हो त्रिवेंद्र ने खुद ही पत्र लिखकर चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया। अब त्रिवेंद्र सिंह रावत को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की भी चर्चा तेज हो गई है।