अब तक नहीं बना केदारनाथ आपदा में ध्वस्त हुआ उत्तराखंड का ये पुल, जान हथेली पर लेकर निकलते हैं लोग
uttarakhand news in hindi , गोपेश्वर। उत्तराखंड के चमोली जिले की उर्गम घाटी के कल्पगंगा पर बना पैदल पुल जून 2013 की आपदा में बह गया था। छह साल बाद भी यह पुल बनाया नहीं जा सका है। ऐसे में आज भी यहां के लोग जान हथेली पर रख कर नदी के रास्ते ही आवाजाही कर रहे हैं। ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा ग्रामीणों के साथ हो सकता है। पुल न बनने को लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश है। वैसे भी उर्गम को दुर्गम यूं ही नहीं कहा जाता, यहां लोग कभी सड़क तो कभी पुल के लिए आंदोलन करते नजर आते हैं।
6 साल बाद भी नहीं बना, आपदा में बहा कल्पगंगा का पुल
आंकड़ों के मुताबिक, कल्पगंगा पर पुल निर्माण के लिए दो करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत हुई। जिससे 48 मीटर स्पान कर स्टील गार्डर पुल बनाना है। कार्यदायी संस्था लोनिवि ने पुल निर्माण का कार्य तो शुरू किया है, लेकिन अभी तक पुल के बेसमेंट ही तैयार हो पाये हैं। जिससे ग्रामीणों में विभाग की कार्य प्रणाली को लेकर खासा रोष है। भेटा भर्की के प्रधान लक्ष्मण सिंह नेगी, हर्षबर्धन सिंह, पूर्ण सिंह का कहना है कि पुल निर्माण को लेकर कई बाद शासन प्रशासन को लिखा जा चुका है। यहां तक कि जिलाधिकारी चमोली के कार्यालय पर इसके लिए प्रदर्शन भी किया जा चुका है, लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है।
ग्रामीणों को 15 किमी अतिरिक्त पैदल दूरी तय करनी पड़ रही
लोगों का कहना है कि पुल निर्माण न होने से ग्रामीणों को 15 किमी अतिरिक्त पैदल दूरी तय कर गांव तक पहुंचना पड़ रहा है। कभी ग्रामीण जान हथेली पर रखकर नदी के रास्ते ही गांव पहुंचने को मजबूर हैं। ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। शीघ्र पुल का निर्माण नहीं होता है तो सभी ग्रामीण कपाट खुलने पर बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग में बाल बच्चे और मवेशियों के साथ चक्का जाम करेंगे।
अधिकारी बोले- काम चल रहा है
पुल
का
निर्माण
कार्य
जारी
है।
नदी
के
दोनों
और
बेसमेंट
बन
गये
है।
स्टील
पुल
के
गार्डर
पहुंच
गये
हैं।
दो-चार
दिन
बाद
पुल
जोड़ने
का
कार्य
शुरू
हो
जाएगा।
30
जून
तक
पुल
का
कार्य
पूरा
कर
लिया
जाएगा।
-
डीएस
रावत
अधिशासी
अभियंता
लोनिवि
गोपेश्वर।
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