हाईकोर्ट में उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हुआ भ्रष्टाचार, हरिद्वार के डीईओ बेसिक ब्रह्मपाल सिंह निलंबित
देहरादून। उत्तराखंड में हरिद्वार के जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक (डीईओ) ब्रह्मपाल सिंह को रिटायरमेंट से एक महीने पहले निलंबित कर दिया गया है। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षीसुंदरम ने डीईओ ब्रह्मपाल सिंह को निलंबित करने का आदेश जारी किया। सरकार ने हाईकोर्ट को भी इस कार्रवाई की जानकारी दे दी है। डीईओ बेसिक ब्रह्मपाल सिंह पर भ्रष्टाचार के 18 आरोप हैं और हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिए थे। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षीसुंदरम ने बताया कि ब्रह्मपाल सैनी को उनके खिलाफ आरोपों की चार्जशीट दी गई है। ब्रह्मपाल सैनी को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से अटैच किया गया है। ब्रह्मपाल सिंह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया है।
हाईकोर्ट में सरकार ने दिया जवाब
हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा था कि डीईओ बेसिक के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई है? गुरुवार को इसका जवाब देते हुए उत्तराखंड सरकार ने कोर्ट को बताया कि डीईओ बेसिक ब्रह्मपाल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई है। इस पर कोर्ट ने सरकार से कार्रवाई करने को कहा। सुनवाई के दौरान ही सरकार ने कोर्ट को बताया कि सैनी को सस्पेंड कर दिया गया है और उनको निदेशालय से संबंद्ध कर दिया गया है। इस मामले पर कोर्ट में अगले सप्ताह फिर सुनवाई होगी।
शिक्षा सचिव ने निलंबन की कार्रवाई के बारे में बताया
शिक्षा सचिव आर मीनाक्षीसुंदरम ने आदेश जारी कर डीईओ बेसिक ब्रह्मपाल सिंह को सस्पेंड करने की कार्रवाई के बारे में बताया कि हाईकोर्ट नैनीताल में दाखिल जनहित याचिका पदम कुमार बनाम उत्तराखंड राज्य और 30 जुलाई 2020 को पारित आदेश के क्रम में डीईओ बेसिक को 5 अगस्त 2020 को आरोप पत्र दिया गया। उनके ऊपर लगाए गए आरोप काफी गंभीर हैं जिसको देखते हुए उनको निलंबित करने की कार्रवाई की गई है। उन पर पहले भी गंभीर आरोप लगे हैं जिस वजह से उनका हरिद्वार से ट्रांसफर किया गया था लेकिन फिर से उनको हरिद्वार में ही तैनाती मिल गई थी।
डीईओ बेसिक ब्रह्मपाल सैनी पर क्या हैं आरोप?
डीईओ बेसिक ब्रह्मपाल सैनी पर आरोप है कि उनके कार्यकाल में ऐसे स्कूलों को मान्यता दी गई जो शिक्षा विभाग के द्वारा तय किए गए मानकों को पूरा नहीं करते थे। आरोप है कि डीईओ बेसिक ने 250 नए स्कूलों को मान्यता दी और 50 स्कूलों की मान्यताओं को रिन्यू किया। उत्तराखंड सरकार के मुताबिक, ब्रह्मपाल सिंह का ट्रांसफर बागेश्वर किया गया था लेकिन उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपना ट्रांसफर हरिद्वार करवा लिया। सरकार का कहना है कि ब्रह्मपाल सिंह ने ऐसा करके गंभीर अनुशासनहीनता का काम किया है। ब्रह्मपाल सैनी पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी वाहन का इस्तेमाल किया और हर महीने वेतन से की जाने वाली कटौती नहीं कराई। आरटीआई के तहत जानकारी लेने पर पता चला कि सरकारी वाहन के इस्तेमाल पर 18 महीने में उन्होंने 7,72,426 रुपए खर्च किए थे। सैनी पर शिक्षा विभाग में शिक्षकों और अधिकारियों के ट्रांसफर में भ्रष्टाचार करने के भी आरोप हैं। इस भ्रष्टाचार की शिकायत शिक्षकों ने की थी।
पदम सिंह बनाम उत्तराखंड सरकार
रुड़की विकास खंड रहमतपुर निवासी पदम कुमार ने जिला शिक्षा अधिकारी ब्रह्मपाल सैनी के खिलाफ 18 बिंदुओं पर आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी। ब्रह्मपाल सैनी पर याचिका में उन्होंने शिक्षा विभाग में अनियमितताएं करने और 2017 से गृह जनपद हरिद्वार में ही नियुक्ति पाने के आरोप लगाए थे। याचिकाकर्ता का कहना था कि ब्रह्मपाल सिंह ने गृहजनपद में नियुक्ति पाकर शासनादेश का उल्लंघन किया था क्योंकि नियम के मुताबिक ग्रुप अ के अधिकारी गृह जनपद में नियुक्त नहीं हो सकते हैं। याचिका में आरोप लगाया गया था कि ब्रह्मपाल सिंह का ट्रांसफर बागेश्वर किया गया था लेकिन रसूख के चलते हुए उन्होंने फिर से अपना ट्रांसफर गृह जनपद हरिद्वार में करा लिया। याचिकाकर्ता का कहना था कि इस बारे में मुख्य सचिव, लोकायुक्त, महानिदेशक शिक्षा समेत अन्य आलाधिकारियों के उन्होंने इसके बारे में प्रत्यावेदन दिया लेकिन शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। हाईकोर्ट के निर्देश पर उत्तराखंड सरकार ने डीईओ के खिलाफ जांच की कार्रवाई की जिसके बाद अब उनको सस्पेंड कर दिया गया है।