'पंजाब के फॉर्मूले' से उत्तराखंड में पासा पलटने की तैयारी में कांग्रेस, जानिए पूरा मास्टर प्लान
पंंजाब में दलित को सीएम बनाने के बाद कांग्रेस ने चला दलित कार्ड
देहरादून,
21
सितंबर।
पंजाब
में
चरणजीत
सिंह
चन्नी
को
सीएम
बनाने
के
बाद
कांग्रेस
अब
आगामी
चुनावों
में
दलित
कार्ड
पर
फोकस
करने
जा
रही
है।
उत्तराखंड
में
भी
पंजाब
के
इस
दलित
फेस
को
पूर्व
सीएम
हरीश
रावत
चुनावी
मुद्दा
बना
रहे
हैं।
परिवर्तन
यात्रा
के
समापन
पर
फेरूपुर
में
हरीश
रावत
ने
अपने
संबोधन
में
दलित
चेहरे
का
जिक्र
किया।
जिसके
बाद
उत्तराखंड
की
राजनीति
में
एक
बार
फिर
दलित
वोटबैंक
की
सियासत
गर्मा
गई
है।
तराई पर कांग्रेस का फोकस
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस तराई क्षेत्र पर खास फोकस कर रही है। किसानों की केन्द्र में भाजपा सरकार से नाराजगी का लाभ पहले ही कांग्रेस चुनावों में उठाने की कोशिश में जुटी है। किसानों के अलावा अब कांग्रेस तराई के दलित वोटरों को भी लुभाने में जुट गई है। पंजाब के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के दलित चेहरे को लेकर हरीश रावत उत्तराखंड में जनता से परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। दलित वोट के सहारे कांग्रेस तराई के हरिद्वार, यूएसनगर, देहरादून में अपनी जमीनी पकड़ को मजबूत करना चाहती है। इसके लिए समय देखकर हरीश रावत ने हरिद्वार में दलित कार्ड को खेला है। बता दें कि हरिद्वार में ही सबसे ज्यादा दलित वोटर हैं।
20 से ज्यादा सीटों पर दलित वोट का असर
उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीटों में 13 सीट अनुसूचित जाति और 2 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। उत्तराखंड में 18 से 20 परसेंट दलित वोटर हैं। जिनका असर 20 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर रहता है। साफ है कि हरीश रावत की नजर इन सीटों पर है। पिछले विधानसभा चुनावों में दलित वोट बीजेपी, कांग्रेस और बसपा में बंटा है। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी भी दलित वोट पर सेंधमारी कर सकती है। दलित वोटबैंक पर सबसे ज्यादा बसपा का असर नजर आता रहा है। लेकिन पिछले चार विधानसभा चुनावों में बसपा का प्रदर्शन लगातार खराब होता गया है। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में उसने 7 सात सीटें जीतीं थीं। 2008 में उसकी सीटें बढ़कर 8 हो गईं। लेकिन 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में बसपा के खाते में एक सीट भी नहीं आई। 2012 से दलितों का वोट बीजेपी, कांग्रेस में ज्यादा खिसका है। ऐसे में हरीश रावत हरिद्वार और दूसरे जिलों में दलित कार्ड के जरिए वोट को अपनी और खिंचने में लगे हैं।
किसान के बाद दलित वोट के खिसकने का बीजेपी को डर
पूर्व सीएम हरीश रावत के दलित कार्ड से बीजेपी के लिए नई चुनौती खड़ी कर रहा है। पहले से ही किसानों का विरोध झेल रहे बीजेपी को अब दलित वोट के खिसकने का डर सताने लगा है। हरीश रावत के दलित कार्ड के बाद बीजेपी तुरंत एक्टिव मोड में आ गई है। बीजेपी की और से प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने मोर्चा संभाल लिया है। दुष्यंत गौतम ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेस चुनाव में दलित वोट पर डाका डाल रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ये चुनावी शिगुफा है जिसे सत्ता मिलते ही दोबारा दलित को सीएम न बनाकर किसी दूसरे समुदाय को सीएम बना देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का इतिहास हमेशा दलित विरोधी रहा है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि पंजाब प्रभारी चुनाव तक दलित चेहरे के रुप में मुख्यमंत्री चन्नी की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस का महिमामंडन कर रहे हैं,लेकिन आगामी चुनाव में सिधू को चेहरे के रूप में घोषित कर यह साफ कर चुके हैं कि द्लित समुदाय को महज चुनाव तक ही सीमित रखा जाएगा। यह सरासर दलित समाज का अपमान भी है।