चिपको आंदोलन की जननी गौरा देवी के गांव रैणी में अवैध रूप से पेड़ों को किया जा रहा नष्ट
Uttarakhand news, चमोली। देश और दुनिया में पेड़ों को बचाने की शिक्षा देने वाली चिपको आंदोलन की नेत्री स्व. गौरादेवी के गांव रैणी के जंगलों में पिछले तीन-चार दिनों से अवैध रूप से कुछ नेपाली मूल के मजदूर अवैध रूप से पेड़ों का पतन कर रहे है। जिस गौरादेवी ने पेड़ों को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना पेड़ पर ही चिपक गई थीं, आज उसी जंगल को नष्ट होता देख ग्रामीण भी खासे दुःखी नजर आ रहे है।
जहां हुआ आंदोलन, अब वहीं के काटे जा रहे पेड़
वहीं वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस संबंध में ग्रामीणों से शिकायत मिली है जिस पर कार्रवाई की जा रही है। चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक मुख्यालय से 26 किमी आगे चिपको नेत्री गौरादेवी का गांव रैणी है। जिस गांव ने वनों को बचाने के लिए पूरी दुनिया को चिपको जैसे आंदोलन से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। आज उसी गांव में एक पावर प्रोजेक्ट में काम करने आए नेपाली मजदूर जलावनी लकड़ी के लिए अवैध रूप से पेडों का पतन कर रहे हैं।
नेपाली मजदूर काट रहे पेड़
स्थानीय निवासी व छात्र नेता लक्ष्मण सिंह बुटोला का आरोप है कि रैणी के जंगल जिन्हें बचाने में महिलाओं के साथ ही आसपास के ग्रामीणों की अहम भूमिका रही है लेकिन, आज उसी जंगल में अवैध रूप से घुसकर नेपाली मजदूर उसे हानि पहुंचा रहे हैं। जिससे ग्रामीणों में खासा रोष व्याप्त है। उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीणों ने इसकी शिकायत वन विभाग से भी की है। परंतु इसके बाद भी पेड़ों का अवैध काटना जारी है। उन्होंने कहा कि बाहरी लोग यहां आकर ऐसा घटिया काम कर रहे हैं। जिन पर अंकुश लगाए जाने की आवश्यकता है। शीघ्र ही ऐसे लोगों को क्षेत्र से बाहर न किया गया तो ग्रामीणों को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
क्या कहते हैं अधिकारी?
ग्रामीणों की शिकायत पर मामले की जांच की गई है। जिसमें वन क्षेत्र में पेड़ों के कटाने की पुष्टी हुई है। जिसके आधार पर पार्क प्रबधंन की ओर से दोषियों से जुर्माना वसूलने की कार्रवाई की जा रही है। साथ ही कर्मचारियों को वन क्षेत्र में गश्त बढ़ाने के भी आदेश दिये गये हैं।