उत्तराखंंड का राज्य पुष्प ब्रह्रमकमल समय से पहले खिला, जानिए 'हिमालयी फूलों के राजा'के बारे में सबकुछ
देहरादून, 5 जुलाई। हेमकुंड साहिब क्षेत्र में इस साल राज्य पुष्प ब्रह्रमकमल समय से पहले ही खिल गए हैं। ब्रह्रमकमल जुलाई अंतिम सप्ताह से लेकर अगस्त में ही खिलते हैं। लेकिन इस साल ब्रह्रमकमल जुलाई में पहले ही सप्ताह में खिल गए हैं। वैज्ञानिक इसे सही संकेत नहीं मान रहे हैं। जिसे क्लामेट चेंज होने के कारण क्लामेट शिफ्ट होना बताया जा रहा है। ब्रह्रमकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। जो कि धार्मिक और औषधीय गुणों से भरपूर है।

उत्तराखंड का राज्य पुष्प है ब्रह्म कमल
ब्रह्म कमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। जो कि 'हिमालयी फूलों के राजा' के नाम से भी जाना जाता है। ब्रह्म कमल को पिंडारी से लेकर चिफला, रूपकुंड, हेमकुंड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी, केदारनाथ में भी इस फूल को देख सकते हैं। जो कि 3500 मीटर से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है।इसकी औषधीय से ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है। हिंदू मान्यता है किइसे देखना शुभ भी माना जाता है। ब्रह्मकमल का अर्थ ही है 'ब्रह्मा का कमल' कहते हैं और उनके नाम ही इसका नाम रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि केवल भाग्यशाली लोग ही इस फूल को खिलते हुए देख पाते हैं और जो ऐसा देख लेता है, उसे सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है। फूल को खिलने में 2 घंटे का समय लगता है। माना जाता है कि यह पुष्प मां नंदा का पसंदीदा फूल है। इसलिए इसे नंदा अष्टमी में तोड़ा जाता है।

औषधीय गुणों से भरपूर है ब्रह्म कमल
वैज्ञानिकों ने भी इस फूल के कई औषधीय लाभ बताए हैं। ब्रह्म कमल के खांसी और सर्दी के इलाज से लेकर यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने तक कई अद्भुत औषधीय लाभ हैं। ब्रह्म कमल दिखने में भले ही आकर्षक हो लेकिन इसकी गंध बहुत तेज और कड़वी होती है। यह एक एक्सीलेंट लिवर टॉनिक है। यह लिवर पर फ्री रेडिकल्स के हानिकारक प्रभावों को कम करने में मदद करता है। एक शोध के अनुसार, ब्रह्म कमल फूल बैक्टीरिया के चार स्ट्रेन और फंगस के तीन स्ट्रेन के खिलाफ रोगाणुरोधी गुण रखता है। ब्रह्म कमल में ज्वरनाशक गुण होते हैं। कई अध्ययनों में बुखार के इलाज में ब्रह्म फूल के पारंपरिक उपयोग का जिक्र किया गया है, इसका काढ़ा दिन में दो बार पीने से फीवर में राहत मिलती है।

अच्छे संकेत नहीं समय से पहले खिलना
ब्रह्रमकमल फूल मानसून के मध्य के महीनों के दौरान खिलता है। यानि इसके खिलने का सही समय जुलाई अंतिम सप्ताह से अगस्त के बीच माना गया है। लेकिन अब यह जुलाई के पहले सप्ताह में खिलना शुरू हो गया है। वनस्पति विशेषज्ञ डॉ महेन्द्र पाल परमार ने बताया कि फूलों का ऐसे खिलना प्री मैच्यौरिंग कहलाता है। जो कि क्लामेट चेंज के कारण के क्लामेट शिफ्ट माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि समय से पहले ये अच्छे संकेत नहीं है। बुरांश में भी ये परिवर्तन देखा गया। बुरांश उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है। राज्य पुष्प और वृक्ष दोनों पर संकट गहरा रहा है। इसके लिए वनों की आग भी प्रमुख कारण है। खास बात ये है कि दोनों का खिलना और उगना ये प्रकृति की देन है। जिसमें हमारा कोई योगदान नहीं होता है। लेकिन जिस तरह समय से पहले दोनों खिल रहे हैं, उसके लिए चिंता करना जरुरी है।