शतक लगाने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी के सामने अब ये सबसे बड़ी चुनौती, 5 साल पूरा करने के लिए जरुरी है ये कदम
देहरादून, 1 जुलाई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार को 100 दिन पूरे हो गए हैं। इस दौरान धामी सरकार ने कई अहम फैसले और निर्णय लिए है। जिस वजह से धामी सरकार का अब तक का कार्यकाल संतोषजनक माना जा रहा है। लेकिन अब 100 दिन पूरे होने के बाद सीएम धामी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सरकार और संगठन में सामंजस्य बैठाने के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपने की है। इसके लिए सीएम धामी के दायित्व बांटने का इंतजार हो रहा है। जो कि शतक मारने के बाद उम्मीद लगाए हुए है।

100 से ज्यादा दावेदार
उत्तराखंड में एक बार फिर दायित्वधारियों को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। चंपावत से पूर्व विधायक कैलाश गहतोड़ी को वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही भाजपा में अंदरखाने दायित्वों को लेकर चर्चा तेज है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर सीनियर विधायकों और कार्यकर्ताओं को दायित्व बांटने का दबाव बढ़ता जा रहा है। जिनमें 100 से ज्यादा दावेदार बताए जा रहे हैं। दायित्व बंटने का इंतजार कर रहे कार्यकर्ताओं को सरकार के 100 दिन पूरे होने का इंतजार था। जो कि पूरे होते ही अब एक बार फिर दायित्व को लेकर सुगबुगाहट है। हाल ही में सीएम ने मंत्रियों को जिम्मेदारी देते हुए जिलों के प्रभार भी बांटे। प्रभारी मंत्री बनाने के बाद अब दायित्वधारियों का ही नंबर माना जा रहा है। सीएम धामी ने अब तक सिर्फ चंपावत के पूर्व विधायक कैलाश गहतोड़ी को वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाकर दायित्व बांटा है। संगठन को 150 से ज्यादा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने दायित्व को लेकर आवेदन कर दिए हैं। हल्द्वानी में हुई कार्यसमिति की बैठक में खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दायित्वों के बंटवारे को लेकर संकेत दिए थे।

दायित्वधारियों की भूमिका है अहम
सरकार बनने के बाद से ही पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों को दायित्व का इंतजार रहता है। जिसमें विभिन्न बोर्ड, निगम और आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्षों की नियुक्ति की जाती है। जो कि सरकार के रहते काम करते हैं। ये दायित्व भी सरकार में अहम भूमिका निभाते हैं। दायित्व बांटना सीएम के लिए जरुरी होता है। ये विकास में अहम भूमिका निभाने के साथ ही सरकार और संगठन में सामंजस्य बिठाने में अपना योगदान देते है। पूर्ववर्ती सरकारों में भी 100 के आसपास दायित्वधारी रहे हैं। कई बार कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने के लिए भी दायित्व अहम माने जाते हैं। ऐसे में सरकार को संतुलित तरीके से चलाने के लिए दायित्व का बंटवारा अहम माना जाता है।

पूर्ववर्ती सरकार में नाराजगी का कारण बना था दायित्व
पिछली सरकार में 85 से ज्यादा दायित्व बंटे थे। लेकिन दायित्व देरी में बंटने से कार्यकर्ता तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर खुलकर नाराजगी देखने को मिली। जिस के बाद त्रिवेंद्र को लेकर संगठन के अंदर विरोध भी देखने को मिला था। त्रिवेंद्र के हटने के बाद तीरथ सिंह रावत भी दायित्वधारियों को लेकर फैसला नहीं कर पाए। जिससे भाजपा सरकार को लेकर पार्टी के अंदर ही विरोध देखने को मिले। ऐसे में इस बार पार्टी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ये रिस्क नहीं उठाना चाहते हैं। जिसके लिए जल्द ही होमवर्क पूरा कर लिया जाएगा। इस बार ऐसे नाम भी रेस में बताए जा रहे हैं जो कि चुनाव हार गए लेकिन सीएम के काफी करीबी हैं इनमें स्वामी यतीश्वरानंद, संजय गुप्ता और राजेश शुक्ला का नाम भी लिया जा रहा है। जो कि सीएम के काफी करीबी माने जाते हैं।