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प्रकृति की गोद में सुंदर तालों का समूह, रहस्यों से भरा एक एडवेंचर सफर है 'सहस्त्रताल', जानिए सबकुछ

गढ़वाल के सबसे गहरे और बड़े ताल सहस्त्रताल के बारे में जानिए

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देहरादून, 24 जून। प्रकृति की गोद में सुंदर तालों का समूह, रोमांच भरा रास्ता, नैसर्गिक सुंदरता और रहस्यों से भरा एक एडवेंचर सफर। अगर आप ट्रैकिंग के शौकीन है तो पहुंच जाइए गढ़वाल मंडल के सबसे गहरे और बड़े ताल में सहस्त्र ताल। सहस्त्र ताल का ट्रैक 45 किलोमीटर का एक तरफ है। जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 4600 मीटर है। यह ट्रैक उत्तरकाशी के कमद से कमद तक 7 रात और 8 दिन का है।

टिहरी और उत्तरकाशी जिले के बॉर्डर पर है जगह

टिहरी और उत्तरकाशी जिले के बॉर्डर पर है जगह

सहस्त्रताल यानि सैकड़ों ताल का समूह। हालांकि इस ट्रैक पर 10 से 11 ताल मिल जाते हैं। गढ़वाल मंडल के सबसे बड़े तालों में से एक मानी गई है। जो कि टिहरी और उत्तरकाशी जिले के बॉर्डर पर है। खास बात ये है कि दावा किया गया है इस ट्रैक पर पांडव भी गए थे।​ जिनके ट्रैक पर जाने के कई चिह्न इस ट्रैक पर मिल जाते हैं। ​इसी वजह से इस ट्रैक के बीच में पांडरा बुग्याल भी है। जिसमें शि​​​वलिंग मिल जाते हैं।

करीब 45 किमी का ट्रैक एकतरफा

करीब 45 किमी का ट्रैक एकतरफा

सहस्त्रताल ट्रैक करीब 45 किमी का ट्रैक एकतरफा है। सहस्त्रताल उत्तरकाशी और टिहरी के बॉर्डर पर है। जिसमें से एक धारा उत्तरकाशी के पिलंगना और टिहरी के भिलंगना में मिलती है। बाद में दोनों धारा भागीरथी में एक साथ हो जाती है। इस ट्रैक के लिए ऋषिकेश से पहले उत्तरकाशी आना होता है। जो कि ऋषिकेश से करीब 170​ किमी की दूरी पर है। इसके बाद उत्तरकाशी से कमद जो कि 50 किमी दूरी तक गाड़ी से पहुंचना होता है। कमद से बेलाखाल जो कि केदारनाथ जाने का पुराना रास्ता पर रहा है। इसके बाद कुश कल्याणी, क्यार्की बुग्याल, लिंगताल और यहां से 2 किमी की दूरी पर है सहस्त्रताल।

सितंबर में ज्यादा पंसद होता है यह ट्रैक

सितंबर में ज्यादा पंसद होता है यह ट्रैक

यह ट्रैक एक बार फिर जुलाई से शुरू होने जा रहा है। ​जो कि सितंबर से अक्टूबर तक जारी रहेगा। हालां​​कि सबसे ज्यादा यहां पर सितंबर और अक्टूबर में ही लोग जाना पसंद करते हैं। इस दौरान बरसात भी नहीं होती है। यहां पर ब्रह्रमकमल से लेकर कई दुर्गम फूल और जड़ी बूटियां मिलती हैं। जिनकी सुगंध और प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। जिससे आप खुद को प्रकृति की गोद में पहुंचा हुआ महसूस करेंगे।

पांडवों के इस ट्रैक पर जाने का है इतिहास

पांडवों के इस ट्रैक पर जाने का है इतिहास

मान्यता है कि इस मार्ग पर पांडव भी जा चुके हैं। जिस कारण इसके रास्ते में पांडरा बुग्याल मिलता है। जहां कई शिवलिंग मिलते हैं। इन पर प्राकृतिक झरने गिरते रहते हैं। इस जगह पर पांडवों ने जौ की खेती की थी। क्यार्की में कुदरती पानी के बीच पांडवों के खेत में मिलते हैं। जिस जगह पर पांडवों ने खेती की थी।

20 से 22 हजार का है खर्चा

20 से 22 हजार का है खर्चा

इस ट्रैक पर लोगों को ट्रेकिंग में मदद करने वाले स्थानीय महेश रावत बताते हैं कि एक बार में 6 से 7 लोग एक ग्रुप में जा सकते हैं। ज्यादातर ट्रैकर सितंबर में जाना पंसद करते हैं। उन्होंने बताया कि इस ट्रैक में 20 से 22 हजार तक का खर्चा आ जाता है। इस पूरे ट्रैक में खाने पीने की व्यवस्था खुद से ही करनी होती है। साथ ही मेडिकल फिट लोगों को ही इस ट्रैक पर जाने की सलाह दी जाती है।

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English summary
A group of beautiful locks lap of nature, Sahastratal is an adventure journey full of mysteries,
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