'AMU से हटवा क्यों नहीं देते मुस्लिम..' इकबाल के इस बयान पर मुस्लिम लीडर्स की आईं ये तीखी प्रतिक्रियाएं
अलीगढ़। देश की 4 सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में से एक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर विवाद थम नहीं रहे हैं। अब इस यूनिवर्सिटी के नाम को लेकर मशहूर हॉकी प्लेयर ज़फ़र इक़बाल ने भी कई बातें कह दी हैं। इकबाल का कहना है कि यदि किन्हीं को एएमयू में मुस्लिम वर्ड से आपत्ति है तो उसे हटवा क्यों नहीं देना चाहिए?
इकबाल
के
बयान
पर
विरोध
शुरू
एक
हॉकी
टूर्नामेंट
के
मौके
पर
अलीगढ़
मुस्लिम
यूनिवर्सिटी
आए
ओलिंपियन
व
एएमयू
के
पूर्व
छात्र
रहे
ज़फ़र
इक़बाल
ने
कहा
कि
इससे
यूनिवर्सिटी
में
अमन
कायम
होगा।
एक
इंग्लिश
न्यूजपेपर
के
हवाले
से
उनका
यह
बयान
आया।
जिसके
बाद
अब
यूनिवर्सिटी
के
प्रोफ़ेसर,
मुल्लों
एवं
मौलानाओं
की
प्रतिक्रिया
आने
लगी
हैं।
इन
लोगों
ने
इकबाल
के
बयान
की
आलोचना
की
है।
'मुस्लिम'
से
हिंदुस्तान
को
कोई
आपत्ति
नहीं
है
एएमयू
के
सुन्नी
थेयोलॉजी
डिपार्टमेंट
के
असिस्टेंट
प्रोफ़ेसर
रेहान
अख़्तर
क़ासमी
ने
कहा
है
कि
पूरे
हिंदुस्तान
को
कोई
आपत्ति
नहीं
है।
सिर्फ़
ज़फ़र
इक़बाल
को
परेशानी
है।
ये
सिर्फ़
सस्ती
व
छोटी
लोकप्रियता
हासिल
करने
के
लिए
दिया
गया
बयान
मालूम
पड़ता
है।
सवाल
ये
उठता
है
कि
जब
यूजीसी
द्वारा
एएमयू
से
'मुस्लिम'
व
बीएचयू
से
'हिन्दू'
नाम
बदलने
को
लेकर
दी
गयी
अपनी
रिपोर्ट
को
स्वयं
केंद्रीय
मानव
संसाधन
विकास
मंत्री
प्रकाश
जावड़ेकर
ने
सिरे
से
ख़ारिज
कर
दिया
है
तो
फ़िर
ऐसे
बयान
देने
का
कोई
मतलब
नहीं
बनता
है।
अगर
उठाना
ही
है
तो
इनको
अपने
पर्सनल
मुद्दे
को
उठाना
चाहिए
न
कि
यूनिवर्सिटी
के
हिन्दू,मुस्लिम
शब्द
को
लेकर,ज़फ़र
इक़बाल
सिर्फ
गड़े
मुर्दे
उखाड़कर
लाइम
लाइट
ने
आना
चाहते
हैं।
इसके
अलावा
और
कुछ
नहीं
है।
'किसी
दबाव
में
आकर
इकबाल
ने
ये
बोला'
वहीं,एएमयू
के
वरिष्ठ
प्रोफ़ेसर
रहे
मुफ़्ती
मोहम्मद
ज़ाहिद
ने
कहा
कि
एएमयू
एंव
बीएचयू
के
अपना
एक
पुराना
इतिहास
है
जो
चला
आ
रहा
है।
ज़फ़र
इक़बाल
पर
निशाना
साधते
हुए
उन्होंने
कहा
कि
जो
लोग
एएमयू
व
बीएचयू
का
इतिहास
नहीं
जानते
हैं,
वह
इस
प्रकार
से
उल्टी
सीधी
बयानबाज़ी
करते
हैं।
ऐसा
लगता
है,
उन्होंने
किसी
दबाव
में
आकर
इस
प्रकार
का
बयान
दिया
है।
दोनों
यूनिवर्सिटी
ऐतिहासिक
हैं।
इन
दोनों
यूनिवर्सिटी
ने
मुल्क
का
नाम
पूरी
दुनिया
में
रोशन
किया
है।
इनके
नाम
से
किसी
भी
प्रकार
का
कोई
खतरा
मुल्क
को
नहीं
हैं।
लिहाज़ा
हिन्दू
यूनिवर्सिटी
व
मुस्लिम
यूनिवर्सिटी
दोनों
नाम
ऐसे
ही
रहने
देने
चाहिए।
'एएमयू
एक
रजिस्टर्ड
टाइटल
है'
एएमयू
छात्र
संघ
के
पूर्व
उपाध्यक्ष
सय्यद
माज़िन
हुसैन
ज़ैदी
ने
कहा
है
कि
उन्हें
इकबाल
के
बयान
की
जानकारी
नहीं
है।
लेकिन
एक
बात
तो
आईने
की
माफ़िक़
साफ
है
कि
ऐसी
कोई
भी
बात
या
स्टेटमेंट
नहीं
देना
चाहिए,
जिससे
यूनिवर्सिटी
की
गरिमा
को
ठेस
पहुँचे।
एएमयू
एक
रजिस्टर्ड
टाइटल
है
कोई
भी
इसको
ये
कहकर
नहीं
बदल
नहीं
सकता
की
ये
सही
नहीं
है
वो
सही
नहीं
है।
यूनिवर्सिटी
का
इतिहास
उतना
ही
मज़बूत
है,
जितना
देश
की
अखंडता
और
विविधता
हैं।