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यूपी में अनलॉक के बाद महिलाओं के खिलाफ अपराध के बदतर हालात, कानून-व्यवस्था पर घिरी योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध का ग्राफ काफी गिरा था लेकिन एक जून से अनलॉक प्रक्रिया के बाद यह ग्राफ तेजी से ऊपर चढ़ा है। जुलाई महीने में प्रदेश में अपहरण और हत्याकांडों को लेकर उत्तर प्रदेश सुर्खियों में रहा और योगी सरकार विपक्षियों के निशाने पर रही। उसके बाद अगस्त में छात्रा सुदीक्षा भाटी की मौत का मामला, लखीमपुर खीरी समेत अन्य जिलों में हुए रेप और मर्डर की घटनाओं को लेकर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर विरोधी नेता योगी सरकार को लगातार घेर रहे हैं। कांग्रेस इसे जंगलराज कह रही है। कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार पर इतना दबाव है कि बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अपराधियों में भय पैदा होना चाहिए और लोगों में सुरक्षा का भाव इसलिए अभियान चलाकर यह सुनिश्चित किया जाय कि महिलाओं व बालिकाओं के खिलाफ जघन्य अपराध करने वाले बचने न पाएं।

सुदीक्षा भाटी केस से हुई पुलिस और सरकार की किरकिरी

सुदीक्षा भाटी केस से हुई पुलिस और सरकार की किरकिरी

अगस्त में गौतमबुद्ध नगर के दादरी की प्रतिभाशाली छात्रा सुदीक्षा भाटी की मौत का मामला सुर्खियों में रहा। 11 अगस्त को हुई इस घटना में परिजनों के मुताबिक, बाइक सवार शोहदों ने स्कूटर से रिश्तेदार संग जा रही सुदीक्षा भाटी के साथ छेड़खानी की जिस दौरान वह नीचे गिरी और सिर में गंभीर चोट लगने से उसकी मौत हो गई। सुदीक्षा भाटी एक गरीब चाय बेचने वाली की बेटी थी जिसे 3.8 करोड़ की अमेरिकन स्कॉलरशिप मिली थी और वह कैलिफोर्निया के बॉबसन कॉलेज से बीबीए कोर्स कर रही थी। कोरोना वायरस महामारी के दौरान वह हाल में ही अपने गांव लौटी थी कि इस घटना में उसकी मौत हो गई। पुलिस ने परिजनों की शिकायत पर बहुत ही लचर रवैया अपनाते हुए इसे सामान्य हादसा करार दिया। इस पर जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, बसपा सुप्रीमो माायावती ने योगी सरकार पर हमला बोला तो वह जागी और बुलंदशहर पुलिस-प्रशासन हरकत में आई। योगी सरकार ने 16 अगस्त को इस घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया और दो शोहदों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। इस मामले में आरोपियों की बुलेट को पुलिस ने बरामद किया है। केस की जांच जारी है।

लखीमपुर-खीरी की घटना से योगी सरकार पर बढ़ा दबाव

लखीमपुर-खीरी की घटना से योगी सरकार पर बढ़ा दबाव

14 अगस्त को लखीमपुर खीरी में 13 साल की दलित लड़की के साथ गैंगरेप और मर्डर की घटना हुई। ईसानगर थाना क्षेत्र के गांव में लड़की शौच के लिए करीब दस बजे खेत की तरफ गई थी। जब वह नहीं लौटी तो परिजनों ने उसको खोजना शुरू किया। लड़की की लाश गन्ने के खेत में मिली। उसके पैर बंधे थे, आंख फोड़ दी गई थी और जीभ भी छेदी हुई थी। पुलिस ने इस मामले को भी हल्के में लेने की कोशिश की लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव और बसपा चीफ मायावती ने इस घटना पर विरोध जताते हुए कानून-व्यवस्था को लेकर योगी सरकार की आलोचना की। इसके बाद दलित लड़की से रेप-मर्डर का यह खौफनाक मामला सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। लखीमपुर खीरी प्रशासन की किरकिरी हुई तो गांव के ही दो आरोपियों को इस मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया। पहले आरोपियों पर रेप की धाराएं नहीं लगाई गई थी। मीडिया में यह मामला उछला तो आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और गैंगरेप की धाराएं लगाई गईं। लखीमपुर खीरी के डीएम शैलेंद्र सिंह को कहना पड़ा कि दलित लड़की के साथ हुई घटना बहुत दुखद है। आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

लॉकडाउन के दौरान एंटी रोमियो दल पड़ा सुस्त

लॉकडाउन के दौरान एंटी रोमियो दल पड़ा सुस्त

इंडिया टु़डे से बातचीत में लखीमपुर निवासी क्रिमिनल लॉयर आदेश सिंह ने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने आते ही महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए एंटी रोमियो दल का गठन किया। कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन के दौरान एंटी रोमियो दल सुस्त पड़ गया। स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थानों के बंद रहने की वजह से नौजवान इधर-उधर आवारागर्दी करते फिरते हैं। जैसे ही महिलाएं और लड़कियां घर से निकलती हैं, उनके साथ छेड़खानी की घटनाएं करते हैं। लेकिन गांवों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के बढ़ने पर पुलिस अधिकारी की राय अलग है। वे इसके लिए ग्रामीण समाज के ताने-बाने को जिम्मेदार ठहराते हैं।

'लॉकडाउन में लौटे प्रवासी कर रहे हैं वारदात'

'लॉकडाउन में लौटे प्रवासी कर रहे हैं वारदात'

इंडिया टुडे से बात करते हुए लखनऊ हेडक्वार्टर में तैनात एसपी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान करीब 30 लाख प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं जिनमें से करीब अस्सी प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। उनके पास काम नहीं है तो वो इस तरह की असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हैं। आजमगढ़, सीतापुर, ललितपुर और बरेली जिले में महिलाओं के खिलाफ जो अपराध हुए हैं उसमें प्रवासियों के शामिल होने की बात सामने आई है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध की लगाम थामने के लिए प्रदेश सरकार ने पहली बार गोरखपुर, आगरा और लखनऊ में महिला पीएसी बटालियन के गठन का फैसला लिया है। महिला पीएसी की पहली तैनाती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में होगी जिस पर वाराणसी और आजमगढ़ के इलाकों की भी जिम्मेदारी दी जाएगी। इन जिलों के हर सर्किल में महिला पीएसी की तैनाती होगी। लखनऊ बटालियन सेंट्रल यूपी को देखेगी वहीं आगरा बटालियन के पास पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी होगी।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए 'शेरनी दस्ता'

महिलाओं की सुरक्षा के लिए 'शेरनी दस्ता'

महिलाओं की सुरक्षा की तरफ कदम बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शेरनी दस्ता का गठन किया जिसको 6 जुलाई को गोरखपुर में हरी झंडी दिखाकर उन्होंने रवाना किया। इस स्कीम के तहत पुलिस लाइन में तैनात 100 महिला पुलिसकर्मियों को स्कूटी, जीपीएस और पीए सिस्टम, साइरन, फ्लैशलाइट्स और पीपर स्प्रे दिया गया है। ये महिला पुलिसकर्मी सड़कों पर पेट्रोलिंग करेंगी। एक स्कूटी पर दो महिला पुलिसकर्मी बैठेंगी। इस बारे में यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को रोकने के लिए कड़े एक्शन लिए जा रहे हैं और इसको रोकने के लिए पेट्रोलिंग बढ़ाई गई है। बहरहाल, योगी सरकार इस मामले को लेकर काफी चिंतित है और बुधवार को भी मुख्यमंत्री ने अपराधियों पर लगाम कसने और उनके मन में कानून-व्यवस्था का डर पैदा करने के निर्देश पुलिस-प्रशासन को दिए हैं।

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English summary
Yogi govt facing criticism on rising crime against woman graph after unlock
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