यूपी में बढ़ाई जा सकती है कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र, जल्द आ सकता है शासनादेश
लखनऊ। यूपी में सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज 60 साल से आगे बढ़ाने से मना करती रही योगी सरकार अब इसे 62 साल तक करने पर विचार कर रही है। सरकार जल्द ही कर्मचारियों की मांग का परीक्षण कराएगी। साथ ही निजीकरण, आउटसोर्सिंग व ठेकेदारी व्यवस्था को समाप्त कर नियमित नियुक्तियों की व्यवस्था बहाल करने संबंधी मुद्दों के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित करेगी।
चुनावों
को
देखते
हुए
राजी
हुई
सरकार!
संवाद
सूत्रों
के
अनुसार,
मुख्य
सचिव
डॉ.
अनूप
चंद्र
पांडेय
ने
वित्त
एवं
कार्मिक
विभाग
को
रिटायरमेंट
की
उम्र
62
तक
करने
की
मांग
का
परीक्षण
करने
की
संयुक्त
रूप
से
जिम्मेदारी
दे
दी
है।
कर्मचारियों
के
मूड
को
भांपते
हुए,
लोकसभा
चुनाव
के
मद्देनजर
सरकार
कोई
नाराजगी
मोल
नहीं
लेना
चाहती।
ऐसे
में
कर्मचारियों
की
कई
अन्य
मांगों
पर
भी
विचार
करने
का
फैसला
किया
है,
जिन
पर
वह
अभी
तक
सुनने
को
तैयार
नहीं
थी।
इन
मांगों
पर
भी
विचार
करेगी
सरकार
सरकार
का
ध्यान
कर्मचारियों
की
शिकायतों
पर
भी
जा
रहा
है
जिनमें
वे
समान
वेतन
और
ट्रांसफर
आदि
पर
नाराजगी
जताते
रहे
हैं।
केंद्र
व
सूबे
सरकार
की
विभिन्न
योजनाओं
व
विभागों
में
निजीकरण,
आउटसोर्सिंग
व
ठेकेदारी
से
की
जाने
वाली
भर्तियों
में
मनमानापन,
भ्रष्टाचार,
कर्मियों
का
शोषण
से
जुड़ीं
शिकायतें
देखने
को
मिलती
रही
हैं।
इसे
देखते
हुए
कई
कर्मचारी
संगठन
इस
व्यवस्था
में
कार्यरत
कर्मियों
को
समायोजित
करने,
रिक्त
पदों
के
सापेक्ष
नियुक्तियां
करने
व
संविदा,
आउटसोर्सिंग
व
अन्य
माध्यमों
से
कार्यरत
कार्मिकों
को
समान
कार्य
का
समान
वेतन
दिए
जाने
की
मांग
करते
रहे
हैं।
इनकी
अध्यक्षता
में
होगा
उच्चस्तरीय
समिति
का
गठन
मुख्य
सचिव
डॉ.
अनूप
चंद्र
पांडेय
ने
उपर्युक्त
समस्याओं
को
देखते
हुए
फिलहाल
अपर
मुख्य
सचिव
कार्मिक
की
अध्यक्षता
में
एक
उच्चस्तरीय
समिति
गठित
करने
का
आदेश
दिया
है।
इसमें
वित्त,
श्रम
व
सार्वजनिक
उद्यम
विभाग
के
भी
अधिकारी
शामिल
होंगे।
यह
समिति
राज्य
सरकार
को
कर्मचारियों
की
मांगों,
दिक्कतों
और
सहमतियों
से
भी
अवगत
करा
सकेगी।
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