UP को सबसे बड़ा सांस्कृतिक केंद्र बनाने की तैयारी में योगी सरकार, जानिए क्या है इसके पीछे का मकसद
लखनऊ, 24 जून: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले अब एक बार फिर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ब्रांडिंग करने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए योगी सरकार उत्तर प्रदेश के पर्यटन बढ़ावा देने के साथ ही अब सभी धार्मिक स्थलों पर आने वाले पर्यटकों की सहूलियत के लिए ऑनलाइन एकीकृत मंदिर सूचना प्रणाली शुरू करने जा रही है। इसे एक जगह यूपी के सारे पर्यटन स्थल और धार्मिक स्थलों के बारे में आसानी से जानकारी मिल जाएगी। दरअसल यूपी में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को गांव गांव और घर-घर पहुंचाने की कवायद में आरएसएस काफी पहले से जुटा हुआ है अब उसी के एजेंडे को सरकार ने आगे बढ़ाएगी ताकि 2024 में इसका अधिक से अधिक लाभ लिया जा सके।

एक वेबसाइट पर मिलेगी मंदिरों की जानकारी
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सभी धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को पहचान दिलाने और वहां तक पर्यटकों की पहुंच को आसान बनाने के लिए ये तरीका खोजा है। सरकार ऑनलाइन एकीकृत मंदिर सूचना प्रणाली विकसित कर सभी सांस्कृतिक और पर्यटन स्थलों को एक बैनर तले लाना चाहती है। इस पोर्टल के जरिए सरकार पर्यटकों को सहूलियत देने के लिए भी कदम उठा रही है। पोर्टल पर सभी जिलों के धार्मिक स्थलों की जानकारी दी जाएगी साथ ही उनकी महत्ता के बारे में बताया जायेगा। साथ ही साथ इसपर ये भी जानकारी होगी की वह जाने और ठहरने के लिए क्या सुविधाएं मिलेंगी।

सांस्कृतिक विरासतों को बचाने और उनकी ब्रांडिंग की कवायद
दरअसल योगी सरकार इसके जरिए एक तरफ जहां संस्कृति और पौराणिक महत्व वाली जगहों तक अपनी पहुंच बनाना चाहती है ताकि 2024 में इसका चुनावी लाभ भी मिल सके। योगी आदित्यनाथ ने पहली सरकार के दौरान ही जिस तरह से काशी मथुरा और अयोध्या पर पूरी तरह से फोकस किया था उससे जनता के बीच एक अच्छा संदेश गया था। सरकार ने वाराणसी की देव दीपावली, अयोध्या में दीपोत्सव और मथुरा में बरसाने की होली की ब्रांडिंग पर करोड़ों रुपए खर्च किए थे। उसी तरह अब सरकार भी अन्य धार्मिक शहरों को भी पर्यटन के मानचित्र पर लाना चाहती है ताकि वहां के लोगों का जो भावनात्मक जुड़ाव है उसका फायदा उठाया जा सके।

बजट में भी योगी सरकार ने किए थे प्रावधान
योगी सरकार ने हाल ही में अपने दूसरी सरकार का पहला बजट पेश किया था। सरकार ने 2022 - 2023 के बजट प्रस्तावों में संत रविदास संग्रहालय के लिए 25 करोड़ और संत कबीर संग्रहालय के लिए भी 25 करोड़ रुपए का बजट दिया था। जनजातीय संग्रहालय के लिए 60 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। अयोध्या में श्री राम मंदिर तक पहुंच के लिए 3 करोड़ रुपए दिए हैं। इसी तरह सरकार ने अन्य परियोजना के लिए भी करोड़ों रुपए खर्च किया है।

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हमेशा संघ और सरकार के एजेंडे में
उत्तर प्रदेश के जब से योगी सरकार बनी हुई तब से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद बीजेपी के एजेंडे में शामिल रहा है। इसकी एक झलक योगी आदित्यनाथ की सरकार ने काशी मथुरा और अयोध्या पर फोकस करके दिखा दिया था। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में योगी को इसका लाभ भी मिला था। अब काशी मथुरा और अयोध्या की तरह ही सरकार अब छोटे धार्मिक शहरों पर फोकस कर उसकी ब्रांडिंग करेगी जिससे उसे स्थानीय जनता के बीच पैठ बनाने में जायदा आसानी होगी। दरअसल संघ हमेशा से ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने पर जोर देता रहा है। संघ के इसी प्रयास को अब योगी सरकार आगे बढ़ाने की कवायद में जुटी है।
यह भी पढ़ें-भव्य राम मंदिर के साथ ही अयोध्या में आकार ले रही नईं योजनाएं, जानिए क्या है इनकी खासियत