IAS-IPS विवाद का योगी सरकार ने निकाला हल, लेकिन अभी भी फंसा है एक पेंच
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ समय से आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बीच अधिकारों को लेकर जंग छिड़ी हुई थी। दोनों उच्च स्तर के अधिकारी एक दूसरे के अधिकार को लेकर आमने-सामने हो गए थे। इसके चलते दोनों अधिकारियों के संगठनों में भी टकराहट की स्थिति पैदा हो गई थी और आईपीएस संगठन ने तो अपने अधिकार में कटौती पर खुल्लमखुल्ला मोर्चा खोल दिया था। लेकिन बिगड़ती बात को बनाने के लिये अब योगी सरकार ने यूपी में बीच का रास्ता निकाल लिया है और IPS अधिकारियों के अधिकार में हो रही कटौती वाले आदेश को वापस ले लिया गया है।
थानेदार
की
तैनाती
कर
सकेंगे
आईपीएस
अफसर
यूपी
में
अब
आईपीएस
अफसर
फिर
से
थानेदारों
की
तैनाती
थाने
में
करेंगे
और
इसके
लिए
उन्हें
DM
की
परमीशन
या
सहमति
नहीं
लेनी
होगी।
जिस
तरह
पहले
पुलिस
कप्तान
थानों
में
फेरबदल
करते
थे
उसी
तरह
वह
अभी
अपने
उस
शक्ति
का
इस्तेमाल
कर
सकेंगे।
बीच
में
DM
का
कोई
आधिकारिक
रोल
नहीं
होगा
।
क्या
था
मामला
गौरतलब
है
कि
प्रमुख
सचिव
गृह
अरविंद
कुमार
की
ओर
से
पिछले
9
मई
को
एक
शासनादेश
जारी
किया
गया
था।
जिसमे
कहा
गया
था
कि
किसी
भी
थाने
में
थानेदारों
की
तैनाती
स्वयं
कप्तान
नहीं
करेंगे।
बल्कि
डीएम
की
लिखित
अनुमति
भी
इसके
लिये
आवश्यक
होगी।
यानी
यह
साफ
था
कि
डीएम
की
मंशा
के
बगैर
पुलिस
कप्तान
प्रभारी
निरीक्षकों/थानेदारों
की
तैनाती
व
तबादला
नही
कर
सकते
थे।
यही
आदेश
आईपीएस
अफसरों
के
अधिकारों
पर
सीधा
हमला
वाला
विषय
बन
गया।
जिसके
विरोध
में
आईपीएस
संगठन
ने
मोर्चा
खोल
दिया।
बढ़
रहा
था
दबाव
इस
आदेश
के
जारी
होने
बाद
अधिकांश
जिलों
में
थानेदार
बदले
गए,
लेकिन
डीएम
की
सहमति
संबंधित
कप्तानी
द्वारा
नहीं
ली
गई।
जिस
पर
डीजीपी
ओपी
सिंह
सहित
अन्य
पुलिस
अफसरों
को
शासनादेश
का
रिमाइंडर
भेजा
गया
और
जिलों
में
थानेदारों
की
तैनाती
डीएम
की
लिखित
अनुमति
से
ही
किये
जाने
की
अनिवार्यता
याद
दिलाई
गई।
रिमाइंडर
में
इस
शासनादेश
का
सख्ती
से
अनुपालन
को
कहा
गया
और
जब
यह
आदेश
अमल
में
लाने
का
दबाव
बढ़ा
तो
आईपीएस
अफसरों
ने
सीधे
तौर
पर
विरोध
जताया।
विरोध
के
बाद
डीजीपी
ओपी
सिंह
ने
मुख्यमंत्री
से
वार्ता
की
और
विचार-विमर्श
के
बाद
शासनादेश
को
संशोधित
कर
थानेदारों
की
तैनाती
की
आधिकारिक
पावर
पुलिस
कप्तान
को
दे
दी
गई
है।
क्या
है
पेंच
प्रमुख
सचिव
गृह
अरविंद
कुमार
की
ओर
से
जारी
आदेश
में
कहा
गया
है
कि
थानेदारों
की
तैनाती
में
डीएम
की
मंजूरी
जरूरी
नहीं
है
और
लिखित
अनुमति
की
बाध्यता
समाप्त
कर
दी
गई
है।
हालांकि
डीएम
से
परामर्श
कर
सहमति
के
आधार
पर
कप्तान
प्रभारी
निरीक्षकों/थानेदारों
की
तैनाती
व
तबादला
कर
सकेंगे।
फिलहाल
IPS
अफसरों
के
अधिकार
क्षेत्र
में
आईएएस
अफसरों
के
हस्तक्षेप
को
जगह
दी
गई
है
और
भविष्य
में
यह
भी
संबंधित
विवाद
को
फिर
से
उपजने
का
मौका
देगा
।
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