444 साल बाद अब इलाहाबाद कहलाएगा 'प्रयागराज' यूपी कैबिनेट ने दी मंजूरी
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लखनऊ। संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर 'प्रयागराज' हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने नाम बदलकर प्रयागराज करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि संत लगातार इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग करने की मांग उठा रहे थे। बता दें कि इलाहाबाद का नाम 444 साल बाद फिर से प्रयागराज हो गया है। दरअसल पुराणों में इसका नाम प्रयागराज ही था लेकिन अकबर के शासनकाल में नाम बदलकर अल्लाहाबाद रख दिया था।
राज्यपाल ने भी दी सहमति
यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने भी अपनी सहमति दे चुके हैं। यूपी सरकार कुम्भ मेले से पहले ही इलाहाबाद का नाम बदलने पर गंभीरता से विचार कर रही थी। हाल ही में मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद में राज्यपाल राम नाईक की अध्यक्षता वाली कुंभ मार्गदर्शकर मंडल की बैठक के बाद इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने का एलान किया था।
मुगल शासक अकबर ने किया था नामकरण
ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार 16 वीं सदी के पूर्व इलाहाबाद को प्रयाग व प्रयागराज के नाम से ही जाना जाता था। लेकिन 1526 में यह पौराणिक भूमि मुगलों के अधीन हो गई। तब मुगल शासक अकबर ने इस ऐतिहासिक नगरी का नाम बदलकर अल्लाहाबाद कर दिया। अंग्रेजी में आज भी इसे अल्लाहाबाद ही कहा जाता है, लेकिन बोलचाल की भाषा में इसे इलाहाबाद कहा जाने लगा और यही नाम अब सरकारी अभिलेखों में दर्ज है।
इलाहाबाद का इतिहास
हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा। जहां भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहां माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहां बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं।
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