काशी में गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल, गाय के दूध से हुआ रोजा इफ्तार
काशी में एक मुस्लिम महिला बीतें 4 सालो से इफ्तार के दावत में मुस्लिम और हिन्दू बहनों को बुलाकर इफ्तार करा रही हैं वो भी गाय के दूध से।
वाराणसी। धर्म और संस्कृति के अलावा तहजीब और तमीज के शहर बनारस में वैसे तो हर साल कई मुस्लिम परिवार हिन्दू परिवारों को बुलाकर रमजान के पाक महीने में अपने घर और बंगलों को रोजा इफ्तार कराया करते हैं। पर इस सबसे दूर एक मुस्लिम महिला ऐसी भी है जो बीतें 4 सालो से इफ्तार के दावत में मुस्लिम और हिन्दू बहनों को बुलाकर इफ्तार करा रही हैं वो भी गाय के दूध से।
इफ्तार पार्टी को शाकाहारी में बदल दिया
इस तरिके के इफ्तार पार्टी करने वाली शबाना आफताब ने oneindia से बात करते हुए कहा की वैसे तो मैं बीते 30 सालों से मुस्लिम और हिन्दू बहनों को अपने घर बुलाकर इफ्तार की दावत देते आयी हैं पर बीतें 4 सालो से मैंने अपने इफ्तार को पूरी तरीके से शाकाहारी में तब्दील कर दिया और मैंने अपने इफ्तार के दावत में गाय का दूध पीला कर रोजा खोलने की नसीहत देते हुए काशी की गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल पेश करना चाहती हूं।
क्यों आया गाय के दूध के रोजा खोलने और इफ्तार का ख्याल
oneindia से बात करते हुए शबाना आफताब ने बताया कि मैंने ये अहसास किया की रमजान का महिला पाक और पवित्र माना जाता हैं और इस समय की यदि पूरी तरीके से सिर्फ शाकाहारी चीजों से रोजा यानि व्रत को पूरा करे तो अच्छा होगा। ऐसे में 4 साल पहले ही मुझे सपना आया और जिससे मुझे ये सन्देश मिला की मैं पूरे एक महीने अपने घर पर रोजा-इफ्तार के दावत में लोगो को गाय का दूध पिलाऊं।
शुरूआत में लोगों ने मारे ताने
शबाना ने आगे बताया कि ऐसा करना आसान नहीं था। गाय के दूध से रोजा खोलने की बात सुन लोग मुझे ताने मारने शुरू कर दिए। लोग कहते की आप एक विशेष कौम के लिए ऐसा करती हैं पर मुझे नाराजगी नहीं लगी और अब मुझे गर्व महसूस होता हैं जब लोग हमारे घर पर आते हैं और रोजा इफ्तार की दावत में अपने रोजा गाय का दूध पीकर खोलते हैं।