गरीबी की मार झेल रही पत्नी बीमार पति को नहीं ले जा पाई अस्पताल, रास्ते में रुक गई सांसे
शाहजहांपुर। यूपी के शाहजहांपुर के एक गांव में सीएचसी के बाहर मोटरसाइकिल के जुगाड़ वाहन पर लेटे इस बिमार शख्स की पत्नी के पास इतने पैसे नहीं थे कि सीएचसी से रेफर किये गए बीमार पति को वह किराया देकर किसी वाहन से 60 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल तक ले आती। जिससे उसका पति ठीक हो जाता। तभी दस मिनट बाद लोगों ने पत्नी को बताया कि उसके पति की सांसे थम चुकी है। उसके बाद पत्नी का रोना देखकर आसपास खड़े लोग भी रोने लगे।
ये तस्वीरें मिर्जापुर ब्लाक के जरियन सामुदायिक स्वास्थ केंद्र की है। यहां एक पत्नी अपने पति कल्लू को बिमारी की हालत में लेकर आई। कल्लू बेहद गरीब था। उसके घर मे खाने के लिए खाना नही था। दवा खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। तभी डॉक्टर ने कल्लू को देखा ओर ग्लूकोज की बोतल लगाने के बाद कल्लू को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। पत्नी अपने बच्चे को गोदी मे लिए बाहर भागी और वहां पर एक उसे मोटरसाइकिल का जुगाड़ वाहन दिखा। पत्नी ने गिड़गिड़ाकर पैसा न होने का बताकर मदद की गुहार लगाई। जुगाड़ वाहन का ड्राइवर अस्पताल के अंदर पहुंचा और लोगों की मदद से कल्लू को उठाकर जुगाड़ वाहन पर लिटाया।
तभी पत्नी को याद आया कि फोन लगाने से फ्री में एंबुलेंस आ जाती है। लेकिन क्या करें गरीबी की मार इसे ही कहते है कि उसके पास एक मोबाइल तक नही था। तभी उसने आसपास खड़े लोगो से फोन लगाने के लिए कहा तो 108 नंबर पर फोन तो किया लेकिन घंटी नही गई। तपती धूप मे जुगाड़ वाहन मे लगी लोहे चादर बेहद गर्म थी। कल्लू की पीट जल रही थी। तभी लोगो ने देखा कि कल्लू की सांसे थम चुकी है जब ये बात कल्लू की पत्नी को बताई तो वह विक्षिप्त सी हो गई। उसके बाद पत्नी फिर डाक्टर के पास गई और कल्लू को देखने के लिए कहा। डॉक्टर ने देखते ही कहा कि कल्लू तो मर चुका है उसके बाद पत्नी का कई घंटे रोना बंद नहीं हुआ।
आसपास खड़े लोगो को पता था कि पैसे न होने के कारण पत्नी जिला अस्पताल नहीं ले जा पा रही है। लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। अगर आसपास खड़े लोग पांच-पांच रूपये देकर उसकी मदद कर देते तो वह जिला अस्पताल पहुंच जाती। क्योंकि सीएचसी से जिला अस्पताल का डग्गामार का किराया महज बीस रूपये है।
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