लखीमपुर कांड के बाद क्या कांग्रेस को यूपी में बढ़त दिला पाएंगी प्रियंका, जानिए इसके पीछे की कहानी
लखनऊ, 18 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी पूरी तरह से चुनावी मैदान में कूद गई हैं। प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव के बाद से ही यूपी में जिस तरह से सक्रिय दिख रही हैं उससे कांग्रेस में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। पदाधिकारियों का दावा है कि प्रियंका की आलोचना करने वालों को जवाब मिल गया है जो अक्सर कहते थे कि कि प्रियंका गांधी यूपी में पर्यटन के लिए आती हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या प्रियंका गांधी चुनाव से पहले कांग्रेस को उबारने में कामयाब होंगी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार प्रियंका की सक्रियता का 2022 में भले ही उतना असर न दिखे लेकिन उसके दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।
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कांग्रेस के चुनावी मिशन को आगे बढ़ा रही हैं प्रियंका गांधी
क्या उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 में प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगी? यह एक ऐसा सवाल है जो काफी समय से पूछा जा रहा है। दस साल पहले, 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले, राहुल गांधी को राज्य में कांग्रेस का मुख्यमंत्री बनाने के लिए इसी तरह की मांगें उठी थी लेकिन तब उनको दबा दिया गया था। लखीमपुर कांड को जिस तरह से प्रियंका ने लीड किया उससे एक नया संदेश जा रहा है कि प्रियंका को आगे रखकर ही कांग्रेस चुनावी मिशन 2022 में उतरेगी।
प्रियंका के लिए लांच पैड साबित हुई लखीमपुर की घटना
कांग्रेस उत्तर प्रदेश में फिर से शुरू होने का इंतजार कर रही है। कांग्रेस में कुछ लोग लखीमपुर खीरी की घटना को फिर से लॉन्च पैड के रूप में देखते हैं। प्रियंका गांधी ने विपक्षी खेमे में मुख्य भूमिका निभाई है। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी को कांग्रेस का चेहरा बनाए जाने की नई मांग के चलते यह कदम उठाया गया है। उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव के रूप में, प्रियंका गांधी ने लखीमपुर खीरी हिंसा के तुरंत लखीमपुर पहुंची जहां आठ लोगों की मौत हो गई थी। वह अपने राजनीतिक बयानों में आक्रामक दिखीं, उन्हें हिरासत में लेने वाले पुलिस कर्मियों के साथ बहस की और सीतापुर में पुलिस गेस्ट हाउस के फर्श पर झाडू लगाने का एक वीडियो था, जहां उन्हें हिरासत में रखा गया था।
पुलिस के सामने दिखा प्रियंका का आक्रामक अंदाज
लखीमपुर जाते समय प्रियंका गांधी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। उस समय प्रियंका काफी आक्राम अंदाज में दिखी थीं। प्रियंका के ये तेवर देखकर कांग्रेसी भी उत्साहित हैं। प्रियंका ने पुलिसर्कियों से कहा, "क्या तुम मेरा अपहरण करने जा रहे हो? क्या यह आपकी कानूनी स्थिति है? मत सोचो, मैं यह नहीं समझता? तुम चाहो तो मुझे गिरफ्तार कर लो। मैं आसानी से तुम्हारे साथ चलूंगी। आप मुझे जबरन धकेलने की कोशिश कर रहे हैं। यह है शारीरिक हमला, अपहरण का प्रयास, छेड़खानी का प्रयास, नुकसान पहुंचाने का प्रयास का मामला दर्ज करवाउंगी।
प्रियंका की झाडू पॉलिटिक्स
जाहिर तौर पर कांग्रेस पार्टी के एक सदस्य द्वारा शूट किए गए एक वीडियो में प्रियंका गांधी को सीतापुर गेस्ट हाउस के फर्श पर झाड़ू लगाते हुए दिखाया गया है। इसके जवाब में सोशल मीडिया पर कई मीम्स सामने आए। हालांकि, मीम्स से परे, कांग्रेस की नजर प्रियंका गांधी को बड़े पैमाने पर ग्रामीण उत्तर प्रदेश के घरों से जोड़ने पर है। यूपी की 77 फीसदी से ज्यादा आबादी ग्रामीण है। कांग्रेस की योजना लखीमपुर खीरी हिंसा के "भावनात्मक" मुद्दे को किसानों के बड़े मुद्दे से जोड़कर उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 के लिए अपना अभियान बनाने की है। प्रियंका गांधी ने इसका संकेत दिया।
कांग्रेस ने कई मुख्यमंत्रियों को उतार दिया
कांग्रेस ने अचानक उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के समर्थन में पंजाब से लेकर छत्तीसगढ़ तक के राज्यों में पार्टी नेताओं को सक्रिय कर दिया। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चनानी और उनके छत्तीसगढ़ समकक्ष भूपेश बघेल ने लखीमपुर खीरी का दौरा करने की मांग की। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के तीसरे सीएम, ने उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के "लोकतांत्रिक मूल्यों" पर सवाल उठाया और प्रियंका गांधी और अन्य की गिरफ्तारी को "केवल एक तानाशाह सरकार ही कर सकती है"। कांग्रेस के संकटमोचक नवजोत सिंह सिद्धू ने भी कांग्रेस शासित पंजाब में धरने का नेतृत्व किया। उन्हें चंडीगढ़ में हिरासत में लिया गया था। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस प्रियंका गांधी के समर्थन में उतर गई है।
15 साल से यूपी में सक्रिय हैं प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में 15 साल से अधिक समय तक चुनावों का प्रबंधन किया है। 2004 से, उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए लोकसभा चुनावों का प्रबंधन किया। उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी प्रभारी बनाया गया था। पार्टी 2019 में बुरी तरह विफल रही। राहुल गांधी अमेठी से अपनी ही सीट हार गए। इसके बाद से ही प्रियंका अब दोनों सीटों पर मोर्चा संभाले हुए हैं। एक तरफ जहां वह रायबरेली जाती हैं वहीं दूसरी ओर अमेठी में भी स्मृति ईरानी से दो दो हाथ करने पहुंच जाती हैं।