क्या अखिलेश यादव के लिए फिर "लकी" साबित होगा कानपुर, जानिए इसके पीछे क्या है गहरा राज
लखनऊ, 19 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव समाजवादी रथयात्रा निकाल रहे हैं। इसके पहले चरण की शुरुआत उन्होंने कानपुर से कर दी है। यहां से उनका रथ बुंदेलखंड के चार जिलों से होकर गुजरा था उसमें युवाओं का काफी समर्थन मिला था। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में दोबारा सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं। अखिलेश की मंशा के अनुरूप एक हाई-टेक 15 मीटर लंबी मर्सिडीज बस तैयार किया गया है। बताया जा रहा है कि इस बस को तकनीक से लैस करने के लिए 5 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसी रथ में अखिलेश ने कानपुर से 12 अक्टूबर को चार जिलों की "समाजवादी विजय यात्रा" का उद्घाटन किया।
पूरी तरह से हाइटेक है अखिलेश का समाजवादी रथ
हालांकि इससे पहले 12 अक्टूबर 2011 को अखिलेश ने कानपुर से ही सत्ता परिवर्तन के नारे से साथ क्रांति रथयात्रा निकाली थी जिसके बाद वो सीएम बनने में कामयाब हुए थे। तो सवाल ये है कि क्या कानपुर एक बार फिर अखिलेश के लिए लकी साबित होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि बस में बुलेट-प्रूफ कांच लगाए गए हैं और इसमें सिर्फ 12 लोगों के बैठने की जगह है। अखिलेश के लिए एक छोटा कार्यालय भी बनाया गया है, जहां वह छह लोगों के साथ बैठक कर सकते हैं। इसमें एक बैठक, एक बाथरूम और रसोई, सामान रखने की जगह, इंटरनेट और बाहर एलईडी पैनल हैं जो उनकी सरकार की उपलब्धियों और उनके अभियान के नारे- "22 में साइकिल" को प्रदर्शित करते हैं। सुरक्षा गार्डों को एक अलग सेक्शन में रखा गया है। एक पोर्टेबल हाइड्रोलिक लिफ्ट लगी है जिसमें भाषण देने के लिए एक व्यक्ति को सीधे बस की छते पर लेकर जाती है।
भाजपा एक चुटकी लेने का विरोध नहीं कर सकी। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे का कहते हैं कि,
''खुद को समाजवादी बताने वाले पांच सितारा होटल जैसी सुविधाओं से लैस बस में यूपी के दौरे पर जा रहे हैं। ऐसे में ये किस समाजवाद की बात करते हैं। समाज का भला करने के बजाए हमेशा इन लोगों ने अपने परिवार का ही भला किया है। अखिलेश यादव चाहें एसी रथ से चलें या पैदल यात्रा करें, उनकी इन यात्राओं से कुछ मिलने वाला नहीं है। जनता पूरी तरह से बीजेपी सरकार को दोबारा सत्ता में वापस लाने का मन बना चुकी है।''
12
अक्टूबर,
2011
में
कानपुर
से
ही
शुरू
हुई
थी
क्रांति
रथ
यात्रा
यात्रा
ने
दो
दिनों
में
190
किमी
की
दूरी
तय
की।
अखिलेश
यादव
ने
दौरे
की
शुरुआत
के
लिए
कानपुर
को
एक
कारण
से
चुना।
अखिलेश
यादव
के
लिए
कानपुर
भाग्यशाली
रहा
है।
दस
साल
पहले,
बहुजन
समाज
पार्टी
(बसपा)
सरकार
के
दौरान,
12
अक्टूबर,
2011
को,
अखिलेश
यादव
ने
कानपुर
के
फूलबाग
से
"क्रांति
रथ
यात्रा"
शुरू
की
थी।
इसके
बाद
मार्च
2012
में
हुए
विधानसभा
चुनाव
में
सपा
ने
पूर्ण
बहुमत
से
सरकार
बनाई।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कुमार पंकज कहते हैं कि,
"कानपुर की पहचान यूपी के व्यापारिक शहर के रूप में है। केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा 2016 में लागू की गई नोटबंदी से कानपुर शहर के व्यापारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। अखिलेश यादव द्वारा भाजपा सरकार में व्यापारियों की उपेक्षा का मुद्दा बनाने के लिए कानपुर देहात के झिंझक कस्बे में नोटबंदी के समय पैदा हुए पांच साल के बच्चे खजांची नाथ ने समाजवादी विजय यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह केवल सांकेतिक था लेकिन आने वाले समय में अखिलेश के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।''
कई चरणों में राज्य का दौरा करेंगे अखिलेश
यात्रा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कई चरणों में पूरे राज्य का दौरा करेंगे। इस दौरान अखिलेश प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार की कमियों को गिनने के साथ ही पिछली सपा सरकार के दौरान किए गए विकास कार्यों की जानकारी भी जनता को देंगे। तथ्य यह है कि वर्तमान मुख्यमंत्री द्वारा बनाए गए एक्सप्रेसवे पर बस का रास्ता सुगम होगा।