डिप्टी CM ब्रजेश पाठक से पंगा क्यों ले रहे हैं IAS अमित मोहन प्रसाद, जानिए इसके पीछे की कहानी
लखनऊ, 5 जुलाई: उत्तर प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों के तबादले को लेकर हंगामा मच गया है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के पास स्वास्थ्य विभाग है। लेकिन बिना पूछे सैकड़ों डॉक्टरों का तबादला कर दिया गया। जब डॉक्टरों के तबादले की लिस्ट आई तो डिप्टी सीएम हैदराबाद पहुंच चुके थे, जहां बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही थी। जब वे लखनऊ लौटे तो डॉक्टरों के तबादले की लिस्ट देखकर उनका गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने अपर मुख्य सचिव को लंबा चौड़ा पत्र लिखकर पूरी जानकारी मांगी है। हालांकि अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने कहा है कि सारे तबादले डिप्टी सीएम के अनुमोदन पर ही हुए हैं। दरअसल सरकार बनने के 100 दिन के भीतर ही ब्रजेश पाठक और अमित मोहन प्रसाद कई बार आमने सामने हो चुके हैं लेकिन इसकी वजह क्या है।

क्या मंत्री से पूछे बिना ही अमित मोहन ने कर दिया डॉक्टरों का तबादला
लखनऊ के बड़े सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं थे। क्योंकि उसे राज्य के अन्य शहरों में भेजा गया था। यूपी के अलग-अलग इलाकों से गंभीर बीमारी के मरीज इलाज के लिए लखनऊ आते हैं। लेकिन उन जानकार डॉक्टरों को लखनऊ से ही हटा दिया गया। वो भी बिना उनकी जगह किसी और डॉक्टर को तैनात किए। आपको बता दें कि यूपी में हर साल 30 जून तक तबादलों की परंपरा रही है। आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने मंत्री से बिना पूछे ही डॉक्टरों का तबादला कर दिया।

अपर मुख्य सचिव के खिलाफ ब्रजेश पाठक ने खोला मोर्चा
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की मनमानी के खिलाफ अब डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने मोर्चा खोल दिया है. हैदराबाद से लखनऊ लौटते ही उन्होंने अमित मोहन को जवाब तलब किया है। मंत्री ने पत्र लिखकर पूछा है कि बिना बताए डॉक्टरों को यहां से वहां क्यों शिफ्ट कर दिया गया। डॉक्टरों के स्थानांतरण का आधार क्या है? यदि किसी विशेषज्ञ चिकित्सक को अस्पताल से हटा दिया गया था, तो उसके स्थान पर किसी अन्य चिकित्सक को क्यों तैनात नहीं किया गया?

डिप्टी सीएम लगातार औचक दौरे से घबरा गए हैं अमित मोहन
ब्रजेश पाठक डिप्टी सीएम बनने के बाद से लगातार अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा कर रहे हैं। वे सामान्य मरीज की तरह अस्पताल पहुंचते हैं। फिर कहां गलत हो रहा है इसकी जानकारी लेते हैं। किसी अस्पताल में डॉक्टर गायब मिले तो मरीजों को बाहर से दवा लाने को मजबूर किया जा रहा था। पाठक को जहां भी गड़बड़ी मिली, उन्होंने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की, लेकिन अमित मोहन प्रसाद सारी फाइलों को दबाकर बैठ गए। लेकिन इस बार डिप्टी सीएम ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद को सबक सिखाने का मन बना लिया है। मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है।

एक साल पहले कोरोना को लेकर भी ब्रजेश ने खोला था मोर्चा
दरअसल योगी आदित्यनाथ की पिछली सरकार में ब्रजेश पाठक कानून मंत्री थे। तब उन्होंने कोरोना के मामले को लेकर एक पत्र लिखा था जिसके बाद योगी सरकार पर काफी सवाल खड़े हुए थे। तब ब्रजेश पाठक ने अपने पत्र में कोरोना के दौरान लखनऊ में बिगड़ते हालात को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की थीं। तब उन्होंने कहा था कि लखनऊ के अस्पतालों में हालत बेहद खराब है। मरीजों को न तो एंबुलेंस मिल पा रही है और न तो बेड की सुविधा मिल पा रही है। उस समय में भी स्वास्थ्य विभाग में अमित मोहन प्रसाद ही बतौर अपर मुख्य सचिव तैनात थे। पाठक के इन सवालों को लेकर तब सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।

किसकी शह पर अमित मोहन प्रसाद ले रहे डिप्टी सीएम से पंगा
योगी आदित्यनाथ अपनी सरकार में सभी मंत्रियों की नकेल कसने के लिए तरह तरह के कदम उठा रहे हैं। जानकारों की माने तो हालांकि ब्रजेश पाठक ने अमित मोहन प्रसाद को जो पत्र लिखा है वह जानबूझकर मीडिया में लीक किया गया है ताकि यह सुर्खियां बने अन्यथा डिप्टी सीएम अपने मातहत आने वाले अपर मुख्य सचिव को तलब कर पूरी स्थिति को जान सकते थे फिर ऐसे में पत्र क्यों लिखा गया। दरअसल सूत्रों की माने तो अमित मोहन प्रसाद और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के बीच अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। वह चाहकर भी उन्हें हटा नहीं पा रहे हैं या अमित मोहन प्रसाद का रसूख उनपर भारी पड़ रहा है। आखिरकार अमित मोहन प्रसाद किसकी शह पर डिप्टी सीएम पाठक से पंगा ले रहे हैं यह बड़ा सवाल है।
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