योगी क्यों कर रहे 350 से अधिक सीटें जीतने का दावा, ये हैं उनके 10 मास्टर स्ट्रोक जिनसे पलटेगी बाजी ?
लखनऊ, 23 सितंबर: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सारी पार्टियां अपनी अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने कुछ दिनों पहले दावा किया था कि इस बार यूपी में सपा 400 सीटें जीतेगी। वहीं, सरकार के साढ़े चार साल पूरे होने पर योगी ने दावा किया कि सरकार अपने अच्छे कामों के बल पर विधानसभा चुनाव में 350 से ज्यादा सीटें हासिल कर दोबारा सरकार बनाने में कामयाब होगी। हालांकि योगी के इस दावे में कितना दम है यह तो समय बताएगा लेकिन हम आपको योगी सरकार से जुड़ी वो दस अहम बातें बताएंगे जिसके दम पर योगी आदित्यनाथ ये दावे कर रहे हैं।
अपने चुनावी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे योगी
यूपी में 2017 के चुनाव के बाद बीजेपी की सरकार बनी थी। सरकार बनने के बाद सीएम बने योगी ने अपनी पहली कैबिनेट में ही राहत देने वाले ताबतोड़ कई फैसले लिए थे। हालांकि योगी ने इन साढ़े चार सालों में केवल अहम फैसले ही नहीं लिए बल्कि हिन्दुत्व के कोर एजेंडे को भी अपने साथ जोड़े रखने में कामयाब रहे। उन्होंने विपक्ष के हर उस बयान का जवाब दिया जो उनके लिए राजनीतिक तौर पर अहम थे। चाहे अब्बाजान का विवाद हो या फिर सरकार के एजेंडे में काशी-मथुरा- अयोध्या को महत्व देकर हिन्दुत्व से अपने आपको कनेक्ट करना हो, योगी हर कदम पर फूंक फूक कर कदम रखते रहे।
अब्बाजान के बहाने हिंदुत्व पर फोकस
पिछले चुनाव के दौरान पीएम मोदी भी कब्रिस्तान और शमसान जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते रहे हैं। अब मोदी के दिखाए रास्ते पर ही योगी आगे बढ़ रहे हैं और ऐसे ऐसे शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं जो सुर्खियां तो बटो रहे हैं उन्हें हिन्दुत्व से कनेक्ट कर र रहे हैं। कुछ दिनों पहले लखनऊ में एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में बोलते हुए सीएम योगी ने अखिलेश के पिता और पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव को अब्बाजान कहकर संबोधित कर दिया था। इस कार्यक्रम में अखिलेश ने अपने बयान में कहा था कि वह भाजपा वालों से बड़े हिन्दू हैं। नेताजी तो हनुमान जी की पूजा काफी समय से करते आ रहे हैं। इसी कार्यक्रम में बाद में शामिल हुए योगी ने अखिलेश के हिन्दू वाले बयान पर पलटवार किया था।
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राम मंदिर निर्माण को बता रहे अपनी उपलब्धियां
सरकार बननने के बाद से ही अयोध्या योगी सरकार के एजेंडे में सबसे उपर रहा। पिछले साढ़े चार साल में योगी सरकार ने अयोध्या के कायाकल्प के लिए काफी कदम उठाए। योगी ने सबसे पहले फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या जिला रखा। इसके बाद अयोध्या में सरकार ने श्रीराम एयरपोर्ट बनाने का ऐलान किया था। योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में दीपोत्सव की शुरुआत की जो अब तक का सबसे बड़ा आयोजन है। दीपोत्सव में सरकार अयोध्या की पूरी ब्रांडिंग पर करोड़ों रुपए खर्च करती है। दीपोत्सव के साथ ही दशहरे पर रामलीला भव्य आयोजन सरकार की तरफ से किया जाता है और स्वयं मुख्यमंत्री हमेशा वहां जाते रहे हैं। इस बीच राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ जिस पर योगी हमेशा नजर बनाए हुए हैं। ये कार्यक्रम योगी सरकार ने हिन्दुत्व के एजेंडे के तहत ही आगे बढ़ाया है।
लव जिहाद के बहाने पश्चिमी यूपी में ध्रुवीकरण की कवायद
योगी सरकार में यूपी में लव जिहाद के खिलाफ प्रस्ताव लागया गया। प्रदेश में 'लव जिहाद' के आरोप लगातार लगते रहे हैं। योगी सरकार का यह कदम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद आया था जिसमें कहा गया था कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केवल शादी के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहीं है। उधर, विपक्ष ने कानून की मंशा पर सवाल उठाया है। समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा कि योगी सरकार 'लव जिहाद' कानून को आगे बढ़ाकर महिलाओं और बाल अधिकारों के मुद्दों पर अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश कर रही है।
काशी और मथुरा पर भी फोकस
उत्तर प्रदेश मकी योगी सरकार ने अयोध्या के बाद काशी और मथुरा पर भी पूरा फोकस किया है। सरकार को पता है कि मथुरा और काशी को एजेंडे में ही रखकर लोगों से कनेक्ट किया जा सकता है। अयोध्या में राम मंदिर को भाजपा और योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक के रूप में पेश किया जा रहा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा कार्यकर्ता "अयोध्या तो सिरफ झाँकी है, काशी, मथुरा बाकी है" के नारे को आगे बढ़ाने का काम करते रहेंगे। एक पदाधिकारी ने कहा कि काशी में, स्थानीय अदालत ने पहले ही खुदाई की अनुमति दे दी है। भले ही वह कानूनी चक्रव्यूह में बंधा हो, महत्वाकांक्षी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना नवंबर 2021 तक तैयार हो जाएगी, और यह दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण होगा। मंदिर परिसर की भव्यता महामारी की सभी दुखद यादों को मिटा देगी।
किसानों को साधने की कवायद
मुख्यमंत्री ने सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट से ही किसानों के लिए मैसेज देने का काम किया था। सरकार ने पहली कैबिनेट में ही 36000 करोड़ रुपए के बकाए का भुगतान किया था। कुछ दिन पहले ही योगी ने ऐलान किया है कि जल्द ही गन्ना मूल्य बढ़ाया जाएगा और इस संबंध में सभी हितधारकों के साथ बातचीत के बाद निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पश्चिमी क्षेत्र की चीनी मिलें 20 अक्टूबर से और पूर्वी क्षेत्र की चीनी मिलें 25 अक्टूबर से काम करना शुरू कर देंगी। सरकार का दावा है कि 2010 से लंबित 1.42 लाख करोड़ रुपये के गन्ने के बकाया का भुगतान किया गया है और अगले पेराई सत्र की शुरुआत से पहले, सभी लंबित भुगतानों को मंजूरी दे दी जाएगी।राज्य ने महामारी के कारण प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से रिकॉर्ड 56 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की थी।
यूपी में बाहरी इन्वेस्टमेंट का दावा
सरकार का दावा है कि देश की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य दूसरा सबसे बड़ा बन गया है। कभी अराजकता से जुड़ा और दंगों के राज्य के रूप में जाना जाने वाला, यूपी आज कानून और व्यवस्था के मामले में एक आदर्श बन गया है। योगी ने एक कार्यक्रम में कहा, "राज्य में निवेश का एक नया युग शुरू हो गया है और पिछले चार वर्षों में, 4 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है," उन्होंने कहा कि यूपी बीमारू राज्य के टैग से बाहर आ गया है। आदित्यनाथ ने आगे दावा किया, "53 महीनों में एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ और हर नागरिक में सुरक्षा की भावना है।"
एंटी इनकंबेंसी को काउंटर करने की तैयारी
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एंटी इकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) को काउंटर करने का प्लान तैयार कर लिया है। बीजेपी के सूत्रों की माने तो एंटी इंकबेंसी से निपटने के लिए संगठन 70 साल के उपर उन विधायकों का टिकट काटने की तैयारी में है जो एक तरह से 'यूजलेस' हो गए हैं। विधायकों के साथ उन मंत्रियों के टिकट पर भी तलवार लटक रही है जो संगठन और सरकार के पैरामीटर पर खरे नहीं उतरेंगे।
हारी हुई सीटें पर फोकस करेगी बीजेपी
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने हाल ही में अपने साढ़े चार साल का कार्यकाल पूरा किया है। कोरोना महामारी के बीच इन साढे़ चार वषों में सरकार की उन मुख्य योजनाओं का डॉटा तैयार कर रही है जिनको लेकर बीजेपी जनता के बीच जाएगी। योगी सरकार के साथ ही मोदी सरकार के काम को भी गिनाया जाएगा। साथ ही योगी ने एंटी इकंबेंसी से निपटने के लिए नया फार्मूला तैयार किया है। योगी ने कहा है कि उनके कार्यक्रम उन विधानसभाओं में लगाएं जाएं जहां बीजेपी कभी नहीं जीती। एंटी इकंबेंसी से होने वाले नुकसान से बचने के लिए उन सीटों पर जोर लगाया जाए जहां बीजेपी कभी नहीं जीती क्योंकि उन सीटों पर भी वर्तमान विधायकों के खिलाफ इसी तरह की एंटी इकंबेंसी का खतरा रहता है। यूपी में इस तरह की 60 सीटें हैं जहां पर बीजेपी आज तक चुनाव नहीं जीती है।
योगी और मोदी की फ्लैगशिप योजनाओं पर फोकस
इसके साथ ही बीजेपी के पदाधिकारियों को यह भी लगता है कि विधायक और मंत्री के खिलाफ भले ही एंटी इंकंबेंसी उनके इलाके में हो लेकिन चुनाव के समय मतदाता मोदी-योगी के नाम पर ही मुहर लगाता है। इसलिए संगठन इस बात की प्लानिंग करने में जुटा है कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में एंटी इंकंबेंसी हैं वहां मंत्रियों और विधायकों के बजाए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार की योजनाओं पर फोकस किया जाएगा और संगठन से जुड़े हर विंग को वहां घर घर प्रचार करने के लिए उतारा जाएगा।