यूपी चुनाव 2022: अखिलेश के गढ़ आजमगढ़ क्यों बार-बार जा रहे हैं योगी, इसके पीछे है भाजपा की बड़ी प्लानिंग
आजमगढ़, 11 दिसंबर। उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगी भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नवंबर और दिसंबर में आजमगढ़ के दौरे पर गए। नवंबर में सीएम योगी के साथ गृह मंत्री अमित शाह भी थे। मौका था आजमगढ़ यूनिवर्सिटी के शिलान्यास का। 6 दिसंबर को सीएम योगी फिर परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने पहुंचे। 10 दिसंबर को उप मुख्यममंत्री केशव प्रसाद मौर्य सड़कों के लोकार्पण और शिलान्यास के लिए आजमगढ़ आए। यहां गृहमंत्री, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के भाषणों में सपा और अखिलेश यादव निशाने पर रहे। कुछ वजहें हैं कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लगातार पूर्वांचल के बड़े जिले आजमगढ़ का दौरा कर रहे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में विकास, कानून-व्यवस्था और हिंदुत्व तीनों ही भाजपा के चुनाव प्रचार के अहम एजेंडों में हैं। साथ ही, भाजपा नेताओं के भाषणों से ऐसा लगता है कि पार्टी मान चुकी है कि उसका मुख्य मुकाबला सपा और अखिलेश यादव से ही है। अखिलेश यादव आजमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद हैं। आजमगढ़ माफिया और आतंकी कनेक्शन के लिए सुर्खियों में रहा है। आजमगढ़ से सटा जिला मऊ है जहां का माफिया मुख्तार अंसारी है। मुख्तार अंसारी की संपत्तियों की कुर्की जब्ती अभियान योगी सरकार ने चला रखा है। आइए उन वजहों को जानते हैं कि आखिर क्यों भाजपा लगातार इस क्षेत्र में रैली कर रही है?

आजमगढ़ का किला फतह करना चाहती है भाजपा
आजमगढ़ पूर्वांचल का ऐसा जिला है जिसमें दस विधानसभा क्षेत्र हैं। दलित, मुस्लिम, यादव की आबादी ज्यादा होने के चलते इस क्षेत्र में सपा और बसपा का दबदबा रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ के दस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई थी। जबकि सपा ने पांच सीटों पर और बसपा ने चार सीटों पर बाजी मारी थी। यह सबसे बड़ी वजह है कि भाजपा अपनी उस हार को जीत में बदलना चाहती है और आजमगढ़ आकर बार-बार जोर लगा रही है। अगर भाजपा सपा और बसपा के हाथों से यहां की कुछ सीटें निकाल ले जाती है तो यह पार्टी की बड़ी सफलता होगी। 2017 के चुनाव में भले ही भाजपा को 300 से ज्यादा सीटें मिली हों और यूपी के अधिकांश जिलों में उसने बाजी मारी हो लेकिन आजमगढ़ जिला उस लहर और असर से अछूता रह गया था। यहां 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा कमल खिलाना चाहती है क्योंकि आजमगढ़ की जीत भाजपा की बड़ी जीत मानी जाएगी।

इटावा से पहले आजमगढ़ जीतने पर भाजपा का जोर
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती समाजवादी पार्टी ही है। आगे भविष्य में भी भाजपा को सामने सपा ही टक्कर देने वाली पार्टी लग रही है। आजमगढ़ और इटावा, समाजवादी पार्टी के दो क्षेत्र ऐसे हैं जिसे मुलायम और अखिलेश अपना गढ़ मानते हैं। ये दोनों क्षेत्र ही समाजवादी पार्टी की पहचान और सम्मान से जुड़े हैं। भाजपा सपा के सम्मान के इस प्रतीक को छीनना चाहती है। इटावा से पहले अभी पूर्वांचल के आजमगढ़ को भाजपा अपना निशाना बना रही है। आजमगढ़ की विधानसभा सीटों पर अगर भाजपा अच्छा प्रदर्शन कर गयी तो वो यह मैसेज दे सकती है कि उसने सपा का किला फतह कर लिया। यह सपा के लिए भी बड़ा झटका होगा और उसकी मजबूती को कमजोर करेगा। भाजपा नेता सपा को कमजोर करने के लिए आजमगढ़ बार-बार जा रहे हैं और उनके भाषणों में एक ही विरोधी नेता निशाने पर हैं, वो हैं - अखिलेश यादव। सीएम योगी ने कहा कि आजमगढ़ ने भले ही दो पूर्व सीएम मुलायम और अखिलेश दिए हों लेकिन जिले के सामने पहचान का संकट बना रहा। कहा कि भाजपा सरकार ने विकास के जरिए आजमगढ़ को पहचान दी है।

विकास और माफिया कंट्रोल मुद्दे को लेकर आजमगढ़ में भाजपा
केंद्र की मौदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार लगातार पूर्वांचल के विकास की बात करती रही है। पूर्वांचल के विकास का रोडमैप बनाने के लिए पिछले साल योगी सरकार ने तीन दिवसीय सेमिनार भी कराया था। नवंबर में ही पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। पूर्वांचल एक्सप्रेस इस क्षेत्र के कई जिलों को जोड़ता है जिसमें आजमगढ़ भी है। नवंबर में ही आजमगढ़ यूनिवर्सिटी का शिलान्यास खुद गृह मंत्री अमित शाह ने किया। इसके बाद आजमगढ़ में कई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने किया। विकास परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के मौके पर आयोजित जनसभा में भाजपा नेताओं ने आजमगढ़ में सपा को गुंडा-माफिया की पार्टी बताया। योगी सरकार ने कार्यकाल में माफियाओं की संपत्ति पर बुलडोजर चलाए हैं। भाजपा नेता सपा राज को माफिया राज बताते हैं और सपा कार्यकर्ताओं को गुंडा। इस तरीके से वे कानून व्यवस्था खराब होने का जिम्मेदार सपा को ठहराते हैं। आजमगढ़ में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सपा शासन में आजमगढ़ की पहचान आतंकियों को पनाह देने वाली जगह के तौर पर थी। कहा कि योगी ने पूर्वांचल को माफिया मुक्त कर दिया है। केशव मौर्य ने कहा कि सपा शासन में अपराध चरम पर था। सीएम योगी ने कहा- जिस गाड़ी में सपा का झंडा, समझो उसमें होगा कोई जाना-माना गुंडा। हमारी सरकार ने उन गुंडों की कमर तोड़ने का काम किया है। अमित शाह ने कहा कि सपा के पास JAM है, जिन्ना, आजम, मुख्तार। आजमगढ़ में सपा का खाता न खुले, इसकी व्यवस्था करनी होगी।

अखिलेश-राजभर के साथ आने से भाजपा को परेशानी
पूर्वांचल में 2017 के चुनाव में भाजपा के अच्छा प्रदर्शन करने के पीछे ओम प्रकाश राजभर का साथ भी माना जाता है। आजमगढ़ से सटे जिले को फतह करने में राजभर वोटों की भी भूमिका थी लेकिन इस बार ओम प्रकाश राजभर अखिलेश के साथ हैं इसलिए पूर्वांचल में सियासी समीकरण बदल चुका है। राजभर वोटों के सपा की तरफ झुकने का डर भाजपा को सता रहा है। इसको देखते हुए आजमगढ़ यूनिवर्सिटी का नाम राजा सुहेलदेव के नाम पर रखने का ऐलान सीएम योगी ने कर दिया था। रैली में इस नाम का प्रस्ताव भी गृह मंत्री अमित शाह ने दिया था। राजा सुहेलदेव राजभरों के नायक हैं। हिंदुत्व के बैनर तले सभी जातियों का वोट पाने के लिए सीएम योगी ने आजमगढ़ का नाम बदलकर आर्यमगढ़ रखने की बात भी भाषण में कही। उधर ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश के साथ मिलकर पूर्वांचल में खदेड़ा होबे का नारा दिया है। पूर्वांचल में कई सीटों पर राजभरों का दबदबा है। आजमगढ़ के जरिए भाजपा पूरे पूर्वांचल को साधना चाहती है। सपा और अखिलेश की छवि पर आजमगढ़ जाकर भाजपा नेताओं का प्रहार एक रणनीति के तहत किया जा रहा है। इसलिए आजमगढ़ जीतने के लिए भाजपा ने सारी ताकत झोंक दी है।
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