जब इंदिरा गांधी की हत्या की खबर सुनते ही सिर पर हाथ रखकर बैठ गए थे अटल जी
मिर्जापुर। अटल जी का व्यक्तित्व ऐसा था कि विपक्षी भी उनका आदर करते थे। अटल जी ने कांग्रेस की मुखालफत करते हुए पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने। उनके व्यक्तित्व की तारीफ नेहरू और इंदिरा भी करते थे। अटल जी ने भी इंदिरा को देवी दुर्गा को रूप कहा था। विरोधी होने के बाद भी इंदिरा और अटल में मानवीय आत्मीयता बरकरार थी। 31 जुलाई 1984 को जब इंदिरा को को गोली मारी गई थी तो, अटल बिहरी वाजपेयी मिर्जापुर में ही थे। इंदिरा पर हमले की सूचना मिलते ही अटल जी अपना सारा काम छोड़कर दिल्ली भागे थे।
वर्तमान
गृहमंत्री
ने
अटल
जी
को
आमंत्रित
किया
था
जिले
के
भाजपा
इकाई
ने
पार्टी
फंड
के
लिए
उस
समय
करीब
80
हजार
रुपया
इकट्ठा
किए
थे।
यही
पैसा
अटल
जी
को
सुपुर्द
करने
के
लिए
रखा
गया
था।
उस
समय
जिले
में
सक्रिय
रहे
वर्तमान
गृहमंत्री
राजनाथ
सिंह
व
प्रेम
सिंह
गर्ग
ने
उन्हें
विशेष
रूप
से
आमंत्रित
किया
था।
इन
दोनों
नेताओं
के
बुलावे
पर
अटल
जी
मिर्जापुर
आए
थे।
मिर्जापुर
में
जान्ह्रवी
होटल
में
रुके
थे।
होटल
के
बाहर
निकले
तो
इंदिरा
पर
हमले
की
हुई
जानकारी
जान्ह्रवी
होटल
में
भाजपा
नेताओं
ने
इकट्ठा
की
गई
धनराशि
उन
तक
पहुंचाई
और
आगे
की
रणनीति
पर
चर्चा
करने
लगे।
इस
दौरान
जिले
के
नेता
प्रेम
सिंह
गर्ग
खाने-पीने
के
लिए
बाहर
निकले
तो
उन्हें
इंदिरा
पर
हमले
के
जानकारी
मिली।
वे
भागे-भागे
अंदर
गए
और
अटलजी
को
जानकारी
दी।
यह
सूचना
मिलते
ही
अटल
जी
बेचैन
हो
गए
और
सिर
पर
हाथ
रखकर
वहीं
बैठ
गए।
कुछ
देर
बाद
ही
दिल्ली
के
लिए
रवाना
हो
गए।
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