पीएम के गोद लिए गांवों का जानिए क्या है हाल
प्रधानमंत्री मोदी के गोद लिए गए गांव का हाल, अभी काफी कुछ होना बाकी है, कई मुश्किलों का अभी भी करना पड़ रहा है सामना
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के जयापुर गांव को गोद लिया था, लेकिन क्या इस गांव की पीएम के गोद लेने के बाद स्थिति बदली, यह एक बड़ा सवाल है। जयापुर उन दो गांवों में से एक है जिसे पीएम ने गोद लिया है, पीएम ने जयानगर को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत 2014 में गोद लिया था जोकि उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आता है। जयानगर के अलावा पीएम ने नागेपुर को भी जोकि यहां से महज दो किलोीटर दूर है उसे भी गोद लिया है, लेकिन स्थानीय लोग यहां हो रहे विकास से कुछ खास खुश नहीं है।
जयापुर- डिग्री कॉलेज का अभाव
अगर जयापुर की बात करें तो यहां के लोगों की सबसे बड़ी दिक्कत है कि यहां लड़कियों के लिए डिग्री कॉलेज नहीं है, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अभाव है, सरकारी अस्पताल का भी यहां अभाव है, जबकि बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। स्थानीय लड़किया जो यहां से स्नातक या परास्नातक की डिग्री लेना चाहती हैं उन्हें बीएचयू जाना पड़ता है जोकि यहां से 20 किलोमीटर दूर है, जबकि जो अन्य कॉलेज हैं वह शहर में ही हैं।
अस्पताल, ट्रांसपोर्ट की दिक्कत
जो लोग बीएचयू में दाखिला पाने में विफल होते हैं उनके पास राम मनोहर लोहिया डिग्री कॉलेज का विकल्प होता है जोकि जयापुर से पांच किलोमीटर दूर है, लोगों का कहना है कि पीएम के इस गांव को गोद लेने के बाद लोगों ने तकरीबन ढाई साल पहले कॉलेज बनवाने की अपील की थी लेकिन आजतक उसपर कोई सुनवाई नहीं हुई है। वहीं अगर अस्पताल की बात करें तो जयापुर में सरकार अस्पताल जख्खिनी गांव से दो किलोमीटर दूर है, लेकिन जो सबसे बड़ी दिक्कत है वह यह कि यहां पहुंचने के लिए कोई भी ट्रांसपोर्ट का साधन नहीं है और लोगों को पैदल ही जाना पड़ता है। यहां सिर्फ एक सिटी बस चलती है जोकि सुबह जाती है और शाम को वापस आती है।
काफी काम हुआ है
जयापुर को गोद लिए जाने से पहले यह गांव बहुत पिछड़ा हुआ था और यहां स्ट्रीट लाइट और शौचालय की सुविधा नहीं थी, सड़के मिट्टी की थीं, इसी की वजह से पीएम ने इस गांव को गोद लिया था, लेकिन अब यहां बस स्टैंड बनाया गया, सोलर लाइट लगाई गई, पोस्ट ऑफिस खोला गया, इसके साथ ही लाइब्रेरी और एक बैंक की शाखा भी खोली गई है। गांव को जब पीएम ने गोद लिया तो यहां 650 शौचालय बनाए गए और 135 सोलर स्ट्रीट लाइटें लगवाई गई, इसके अलावा 25केवीए के दो सोलर पॉवर स्टेशन बनाए गए। गांव में गरीबों को 14 घर मुहैया कराए गए।
चोरी हो जाती है स्ट्रीट लाइट की बैटरी
लेकिन जो सबसे निराश करने वाली बात है वह यह कि आधी से ज्यादा सोलर लाइटों की बैटरी को चुरा लिया गया है, यहां के प्रधान श्रीनारायण पटेल का कहना है कि लोगों को यहां की स्ट्रीट लाइटों को बचाना चाहिए था। पीएम ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की शुरुआत की थी जिसके बाद यहां पैदा होने वाली हर बेटी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाता है और पांच पेड़ लगाए जाते हैं और इसकी देखरेख भी की जाती है, अभी तक यहां कुल 250 पेड़ लगाए गए हैं।
नागेपुर का हाल
वहीं अगर पीएम के गोद लिए दूसरे गांव नागेपुर पर नजर डालें तो यहा भी सरकारी डिग्री कॉलेज, अस्पताल का अभाव है। इस गांव में जो सबसे करीब सरकारी अस्पताल है वह राजतलाब में है, जबकि भैरो नाथ का डिग्री कॉलेज यहां से तकरीबन 3.5 किलोमीटर दूर है। सबसे करीब प्राथमिक चिकित्सा केंद्र तीन किलोमीटर दूर है। यहां के सोशल एक्टिविस्ट नंदलाल का कहना है कि यहां अधिकतर लड़कियां 10वीं और 12वीं के बाद डिग्री कॉलेज नहीं होने की वजह से अपनी पढ़ाई छोड़ देती हैं। यहां सिर्फ पांच लोग सरकारी नौकरी में हैं। नंदलाल का कहना है कि यहां सिर्फ 10 फीसदी लोग ही स्कूल जाते हैं जिसमें से सिर्फ 1 फीसदी लोग स्नातक की पढ़ाई करते हैं।गांव के प्रधान का कहना है कि यहां कुल 130 शौचालय हैं, जबकि 100 और शौचालय जल्दी ही बनाए जाएंगे, इसके अलावा आदर्श आंगनवाड़ी सेंटर बनवाया गया है व एक बस अड्डा भी बनवाया गया है, लेकिन जयापुर की तुलना में नागेपुर का विकास कम हुआ है।
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