बनारस में इसलिए कराई जाती है मेंढक और मेंढकी की शादी, कुछ ऐसे होते हैं इंतजाम
वाराणसी। बैंड-बाजे की धुन पर नाचे गाते बाराती, घोड़े पर बैठा दूल्हा, इंतजार करती दुल्हनें ये नजारा अपने हर शादी में देखा होगा। लेकिन शायद ही कभी आप ऐसी शादी में गए हो, जहां दूल्हा-दुल्हन मेंढक-मेढकी बने हो। लेकिन उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक ऐसा रिवाज है, जिसमें मेंढकों की शादी होती है। इस शादी में शामिल होकर लोग अपने आप को भाग्यशाली मानते है।
इस
लिए
होती
है
शादी
भीषण
गर्मियों
के
ताप
को
झेल
रहे
काशी
वासियों
ने
भगवान
इंद्र
को
प्रसन्न
करने
और
बारिश
के
लिए
अनूठा
आयोजन
किया
है।
लोगों
ने
मिसिर
बाबा
के
मंदिर
में
हिंदू
रीति-रिवाज
के
साथ
मेंढक
और
मेढकी
के
प्रतीकात्मक
स्वरूप
की
शादी
कराई
है।
ताकि
सूखी
और
बंजर
धरती
पर
बारिश
की
बूंद
बरस
सके।
इस
शादी
में
ढोल
नगाड़े
भी
बजाए
गए,
साथ
ही
साथ
कई
नवविवाहित
जोड़ों
ने
भी
इस
शादी
समारोह
में
शामिल
होकर
मेंढक
और
मेढकी
से
आशीर्वाद
भी
लिया।
क्या
है
टोटका
दरसअल
इस
शादी
समारोह
का
आयोजन
करने
वाले
रविकांत
विश्वकर्मा
और
संदीप
मिश्रा
की
माने
तो
हिंदू
धर्म
में
ऐसी
मान्यता
है
की
बारिश
का
समय
आने
के
बावजूद
भी
जब
कभी
बारिश
नहीं
होती
है
तो
मेंढक
और
मेढकी
की
शादी
कराने
से
भगवान
इंद्र
प्रसन्न
होते
हैं।
भगवान
के
प्रसन्न
होने
के
बाद
बारिश
भी
होती
है।
ये
भी
बताया
कि
यह
एक
प्रकार
का
टोटका
है
जिसे
करने
से
भगवान
इंद्र
प्रसन्न
होते
है।
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