इस शहर में 17 साल से रखे हैं 2800 डेडबॉडी के टुकड़े
वाराणसी। उत्तर प्रदेश का काशी जिसे मोक्ष की नगरी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर मरणोपरांत हर जीव को सीधे शिव लोक की प्राप्ति होती है और उसे बार-बार के पुनर्जन्म के चक्कर से भी मुक्ति मिल जाती है। पवित्र नगरी काशी में पुलिस की लापरवाही की वजह से 2800 लाशों को अपनी मुक्ति का इंतजार था। चौंकाने वाली बात तो ये है कि यह लाशें पूर्ण रूप में नहीं बल्कि टुकड़ों में मौजूद थीं। जिन्हें शीशे के जार में बंद करके रखा गया था।
सालों से 2800 से भी ज़्यादा बिसरा पड़ा था
दरअसल, संदिग्ध हालत में मौत के बाद पुलिस कानूनी कार्रवाई को पूरा करने के लिए अक्सर लाशों के बिसरा को संरक्षित कर लेती है। जिसमें मृतक के शरीर के अंदर का कोई एक अंग निकालकर उस को जांच के लिए भेजे जाने हेतु एक जार में केमिकल डालकर सुरक्षित रखा जाता है। जिसकी जांच न्यायालय के आदेश पर ही किया जाता है, और रिपोर्ट तैयार कर मौत के कारणों का पता लगाया जाता है। पुलिस की लापरवाही के कारण करीब 2800 से ज़्यादा बिसरा को 16 हज़ार से भी अधिक शीशे की जारों में बन्द कर रखा गया था।
पुलिस ने शुरू की पहल
जिले के सभी थानों से 2001-2107 की अवधी में करीब 2800 बिसरा, परीक्षण के लिए विधि चिकित्सा विज्ञान संस्थान (बीएचयू) भेजे गए थे। अब सारे बिसरे से बन्द जार को बीएचयू में सुरक्षित रखा गया है। इस बारे में एसएसपी कार्यलय ने बताया कि उक्त समस्त बिसरा नमूनों में से सिर्फ एक PM 838@17 ममता देवी पत्नी मनोज राम को छोड़कर, बांकि सभी को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। एसएसपी वाराणसी के अनुरोध पर डीएम द्वारा गठित टीम सदस्यों एसीएम प्रथम वाराणसी, सीओ भेलूपुर, डॉ पीयूष राय के निर्देशन में बिसरों को नष्ट करने की कार्रवाई की जाएगी।
संदिग्ध परिस्थितियों में जरूरत पड़ती है बिसरा की
जब किसी की संदिग्ध हालत में मौत होती है तो लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है। जिसमें कभी-कभी मौत के कारणों का पता नहीं चल पाता है। जिसके बाद मानव शरीर के कुछ अंदरूनी भाग को कैमिकल में डालकर संरक्षित किया जाता है। विधि प्रयोगशाला में भेजकर उस की पड़ताल करने के बाद रिपोर्ट कोर्ट को पेश की जाती है। जिसमें मौत के कारणों का खुलासा होने की उम्मीद होती है। यही वजह है कि बीते 17 सालों से 2800 से ज्यादा बिसरा सुरक्षित रखे हुए थे और अब इन्हें नष्ट करने की कार्रवाई शुरू होगी।
ये भी पढ़ें -ज्यादा जलाभिषेक होने से भगवान जगन्नाथ को आ जाता है बुखार, काढ़ा पीकर चले जाते हैं मौसी के घर