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यूपी-उत्तराखंड चुनाव से ठीक पहले धर्म संसद का क्या है कनेक्शन?

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लखनऊ, 5 जनवरी। साल 2022 के आगाज से पहले देश में हुए दो धर्म संसद सुर्खियों में रहे। तीसरे धर्म संसद का आयोजन नए साल में 1 से 2 जनवरी तक यूपी के गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में होना था जो कि पहले दो धर्म संसदों पर हुए विवाद के बाद फिलहाल टाल दिया गया है। साल 2022 में ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। दो प्रदेशों में हुए धर्म संसदों के पहले आयोजन में संतों ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए वहीं दूसरे आयोजन में महात्मा गांधी को गाली दी गई और गोडसे की तारीफ हुई। इन धर्म संसदों का विधानसभा चुनावों के साथ कनेक्शन है या नहीं, इसकी पड़ताल करने से पहले यह जानना दिलचस्प है कि पहले धर्म संसद का आयोजन भाजपा शासित उत्तराखंड के हरिद्वार में हुआ और दूसरे धर्म संसद का आयोजन कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ। हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर के बीच धर्म संसद में एक समुदाय के तथाकथित नरसंहार के लिए हथियार उठाने तक की बात कही गई। इसके ठीक छह दिन बाद रायपुर में 25 से 26 दिसंबर तक आयोजित किए गए धर्म संसद में भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ विवादित भाषण हुए और महात्मा गांधी को भी गाली दी गई। सबसे पहला सवाल यही उठता है कि चुनाव से ठीक पहले भाजपा और कांग्रेस शासित प्रदेश में दस दिन के अंदर धर्म संसदों का आयोजन क्यों हुआ और इसके पीछे क्या मंशा थी?

हिंदू और हिंदुत्व पर कांग्रेस और भाजपा में संघर्ष

हिंदू और हिंदुत्व पर कांग्रेस और भाजपा में संघर्ष

भाजपा शासित उत्तराखंड में जो धर्म संसद हुआ उसका आयोजन गाजियाबाद डासना देवी मंदिर के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने किया था। यति नरसिंहानंद पहले से ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी के लिए विवादित रहे हैं। कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में धर्म संसद का आयोजन नीलकंड त्रिपाठी सेवा संस्थान ने किया लेकिन इस धर्म संसद के संरक्षक कांग्रेस के पूर्व एमएलए और दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास हैं। रामसुंदर दास राज्य गौसेवा आयोग के अध्यक्ष हैं। हरिद्वार के ठीक बाद छत्तीसगढ़ में धर्म संसद का आयोजन कहीं कांग्रेस ने हिंदू वोटबैंक की राजनीति के तहत तो नहीं किया? राहुल गांधी ने हरिद्वार धर्म संसद में हुए हेट स्पीच पर यह बयान दिया कि हिंदुत्ववादी हमेशा नफरत व हिंसा फैलाते हैं, हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई इसकी कीमत चुकाते हैं, लेकिन अब और नहीं। रायपुर धर्म संसद में महात्मा गांधी को गाली देने पर राहुल गांधी ने महात्मा गांधी का कथन ही ट्विटर पर लिखा, अपनी बात नहीं लिखी। रायपुर धर्म संसद में भी अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हुए भड़काऊ भाषण दिए गए। धर्म संसद में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी समापन के दिन पहुंचे थे लेकिन अचानक वे वहां से चले गए। गांधी को गाली देने की आलोचना धर्म संसद के संरक्षक रामसुंदर दास ने की। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने हिंदू वोटबैंक के एजेंडे के लिए कई काम किए हैं जैसे- 2260 किमी के राम वनगमन पथ का निर्माण, कौशल्या माता मंदिर का जीर्णोद्धार, ग्रामीण स्तर पर मानस प्रतियोगिता। हिंदू वोटबैंक को लेकर भाजपा और कांग्रेस का संघर्ष आज का नहीं है, इसकी बुनियाद में मंडल-कमंडल का वो दौर है जिसका परिणाम बाबरी मस्जिद विध्वंस था।

कांग्रेस के हिंदू एजेंडे को ले उड़ी भाजपा

कांग्रेस के हिंदू एजेंडे को ले उड़ी भाजपा

1985 में शाह बानो केस के बाद राजीव गांधी सरकार पर जब मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगा तो हिंदुओं को खुश करने के लिए अयोध्या में बाबरी मस्जिद परिसर का ताला खुलवा दिया गया। इसके बाद भाजपा ने विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस की मदद से राम मंदिर निर्माण आंदोलन खड़ा कर दिया। इसका सीधा फायदा भाजपा को लोकसभा चुनाव और यूपी विधानसभा चुनाव में हुआ। 1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 2 सीटों से बढ़कर 85 पर पहुंच गई। 1991 के यूपी चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला और कल्याण सिंह की सरकार बनी थी। 1991 के इसी चुनाव में यह साबित हो गया था कि अगर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण किया जाय तो सत्ता पाई जा सकती है। मुस्लिम वोटों के बगैर भी सरकार बनाई जा सकती है। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हालांकि कमंडल और हिंदुत्व की राजनीति मंडल और गठबंधन की राजनीति के आगे कमजोर पड़ गई। लेकिन 2014 के बाद हिंदुत्व की राजनीति को नरेंद्र मोदी ने नया उभार दिया। एक तरफ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने सबका साथ सबका विकास का नारा दिया वहीं राम की राजनीति को आगे बढ़ाया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के अन्य नेता भी चुनावों में परोक्ष या प्रत्यक्ष तौर पर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ बयान देते रहे हैं। यूपी चुनाव 2017 में पीएम मोदी ने श्मशान बनाम कब्रिस्तान की बात कही तो 2019 के झारखंड चुनाव में उन्होंने दंगाइयों को कपड़े से पहचानने की बात कह डाली। यूपी के संत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि कट्टर हिंदुत्ववादी की है। हरिद्वार और रायपुर के धर्म संसदों में संतों ने हिंदुओं को एकजुट होकर जाति से ऊपर उठकर हिंदुत्व के लिए वोट करने और यहां तक कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हथियार उठाने की अपील कर दी। कट्टर हिंदुवादी नेता को चुनने के लिए वोट करने की अपील करते-करते ही कालीचरण महाराज ने गांधी को गाली दे दी।

कालीचरण महाराज के बयान में छुपा है हिंदुत्व की राजनीति का सच

कालीचरण महाराज के बयान में छुपा है हिंदुत्व की राजनीति का सच

अल्पसंख्यकों पर निशाना साधते हुए रायपुर धर्म संसद में कालीचरण महाराज ने कहा कि मुस्लिमों ने पाकिस्तान, बांग्लादेश राजनीति के जरिए कब्जाया। इसके बाद गांधी को गाली देते हुए कालीचरण महाराज ने गोडसे को नमस्कार किया। फिर मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बातें कही। कहा कि पुलिसवाले मुसलमान एरिया से भगवा रैली निकालने से रोकते हैं। पुलिस प्रशासन की गुलाम है, प्रशासन शासन का गुलाम है, शासन नेताओं का गुलाम है। पुलिस तब तक सपोर्ट नहीं कर सकती जब तक राजा कट्टर हिंदुत्ववादी न हो। सोशल मीडिया पर कालीचरण महाराज का एक भाषण है जिसमें वो कह रहे हैं कि सड़ा हुआ जातिवाद लोगों के अंदर भरा है जिसने हिंदुओं को टुकड़ों में बांट दिया है। हिंदुओं के हाथ से इरान, इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तिब्बत, नेपाल, इंडोनेशिया, कंबोडिया, भूटान, म्यानमार, श्रीलंका गया। केरल, पश्चिम बंगाल जाने के कगार पर है और हिंदुओं के हाथ से कश्मीर भी चला गया होता अगर नरेंद्र मोदी नहीं होते। रायपुर धर्म संसद में कालीचरण महाराज किस कट्टर हिंदुत्ववादी राजा को चुनने की राजनीति की बात कह रहे हैं यह उनके दूसरे भाषण में स्पष्ट है। सड़े हुए जातिवाद का जिक्र कालीचरण महाराज ने इसलिए किया क्योंकि मंडल की राजनीति ने कमंडल की राजनीति को बहुत नुकसान पहुंचाया है। हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए मतदाताओं से जातिवाद छोड़ने की अपील कालीचरण महाराज कर रहे हैं ताकि भाजपा के लिए सत्ता की राह आसान हो सके। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने जब मध्य प्रदेश के खजुराहो से कालीचरण महाराज को गिरफ्तार किया तो प्रदेश भाजपा सरकार के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसका विरोध किया। यही नहीं, हरिद्वार के धर्म संसद के भड़काऊ भाषण पर भी उत्तराखंड पुलिस ने कार्रवाई करने में बहुत समय लगा दिया।

धर्म संसद में भड़काऊ भाषण पर अब तक क्या हुई कार्रवाई?

धर्म संसद में भड़काऊ भाषण पर अब तक क्या हुई कार्रवाई?

हरिद्वार धर्म संसद में हेट स्पीच के मामले में दो केस दर्ज किए गए हैं। पहला केस 23 दिसंबर 2021 को दर्ज किया गया जिसमें जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को नामजद किया गया। बाद में इस केस में यति नरसिंहानंद गिरी, साध्वी अन्नपूर्णा, सागर सिंधुराज और धर्मदास का नाम भी जोड़ा गया। दूसरे केस में कुल दस संतों को नामजद किया गया है। हरिद्वार कोतवाली थाने में दोनों केस की जांच चल रही है। इसके लिए तीन जनवरी को एसआईटी का गठन किया गया। आरोपियों के खिलाफ धारा 153ए और धारा 295 समेत अन्य धाराएं लगाई गई हैं। हरिद्वार में हेट स्पीच के खिलाफ कार्रवाई के लिए पूर्व सेना प्रमुखों, ब्यूरोक्रेट्स, बुद्धिजीवियों, पूर्व आईपीएस अफसरों ने सीएम पुष्कर धामी, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को चिट्ठियां लिखी थीं। रायपुर धर्म संसद मामले में कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी हुई है। इस पर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश सरकार में तकरार भी हुई। कालीचरण महाराज की जमानत याचिका कोर्ट में खारिज हुई। उनको 14 दिन के न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है। महाराष्ट्र पुलिस कालीचरण महाराज को ट्रांजिट रिमांड पर ले गई है जहां उनको पुणे की कोर्ट में छह जनवरी को पेश किया जाएगा।

धर्म संसद पर सियासत भी तेज

धर्म संसद पर सियासत भी तेज

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार धर्म संसद बुलाकर नकल कर रही है और यह भी नहीं पता है कि किसको बुलाना चाहिए। रमन सिंह ने यह भी कहा कि भूपेश बघेल सरकार राम को अपशब्द कहने वालों को कब गिरफ्तार करेगी। खजुराहो से कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी पर एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्रवाई को संघीय नियमों के खिलाफ बताया। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल किया कि गांधी को अपशब्द कहने वाले की गिरफ्तारी से नरोत्तम मिश्रा खुश हैं कि नहीं? इस पर नरोत्तम मिश्रा का जवाब आया कि कालीचरण महाराज का बयान आपत्तिजनक है तो छत्तीसगढ़ पुलिस ने जिस तरीके से गिरफ्तार किया, वह भी आपत्तिजनक है। कहा कि भूपेश बघेल जी आपके तरीके पर हमें आपत्ति है। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता कालीचरण महाराज की रिहाई की मांग कर रहे हैं। वहीं मध्य प्रदेश में कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने गिरफ्तारी पर नाराजगी जताई और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जिक्र करते हुए कहा कि संतों के प्रति कांग्रेस नेताओं को थोड़ा लिबरल रहना चाहिए। कहा कि भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह का नारा लगाने वालों की पीठ राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता थपथपाते हैं।

धर्म संसद विवाद: सशस्त्र बलों के 5 पूर्व प्रमुखों ने राष्ट्रपति और पीएम मोदी को लिखा पत्रधर्म संसद विवाद: सशस्त्र बलों के 5 पूर्व प्रमुखों ने राष्ट्रपति और पीएम मोदी को लिखा पत्र

English summary
UP Uttarakhand election and dharm sansad connection
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