UP राज्यसभा चुनाव : अखिलेश के गठबंधन की होगी अग्निपरीक्षा, आजम-शिवपाल मिलकर बिगाड़ेंगे सपा का खेल ?
लखनऊ, 13 मई: चुनाव आयोग ने गुरुवार को 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी थी। यूपी की 11 सीटों समेत इन सीटों पर 10 जून को मतदान होना है। उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां भाजपा हाल के विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल करने के बाद उच्च सदन में अपनी स्थिति में सुधार करना चाह रही है, वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और उनके विधायकों के लिए एक लिटमस टेस्ट होगा क्योंकि उन्हें एक साथ रखना उनके लिए बड़ी चुनौती की तरह है। शिवपाल और आजम के साथ मतभेदों के बीच उनको इनसे पार पाना होगा साथ ही अपने गठबंधन के साथियों को भी साधना होगा जो अपने मन में राज्यसभा जाने की तमन्ना पाले हुए हैं।

सपा के अंदर खींचतान के बीच राज्यसभा चुनाव अहम
अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव और अनुभवी आजम खान को लेकर सपा में आंतरिक खींचतान के बीच यह घोषणा हुई। यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जहां राज्यसभा चुनाव में मतदान की आवश्यकता होती है, तो सपा के लिए अपने असंतुष्ट विधायकों को क्रॉस वोटिंग से रोकना एक काम हो सकता है। आजम खान कथित तौर पर सपा नेतृत्व से नाखुश हैं और इसका असर राज्यसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। आजम के इशारे पर कई विधायक क्रास वोटिंग कर सकते हैं जिससे सपा की बेचैनी बढ़ी हुई है।

शिवपाल- आजम के करीबी विधायक राडार पर
रामपुर से सपा विधायक आजम खान दो साल से अधिक समय से जेल में हैं। उन्हें पीएसपीएल प्रमुख शिवपाल यादव का समर्थन मिला है, जिन्होंने शीर्ष अधिकारियों पर दिग्गज नेता की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था। अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्यसभा चुनाव में शिवपाल यादव और आजम खान के साथ इन नेताओं के करीबी विधायक सपा के लिए सरप्राइज दे सकते हैं। दरअसल इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में 34 मुस्लिम विधायक चुनकर सदन पहुंचे हैं और अब इनकी विश्वसनीयता का लिटमस टेस्ट भी होगा।

जयंत चौधरी और अबू आजमी पर दांव लगा सकती है सपा
सूत्रों के अनुसार, सपा तीन राज्यसभा सदस्यों को भेजने की स्थिति में है, जिनमें से एक राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के प्रमुख चौधरी जयंत हो सकते हैं, जबकि दूसरा सेवानिवृत्त आईएएस और पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन हो सकते हैं, जो 2022 से पहले सपा में शामिल हुए थे। यूपी विधानसभा चुनाव तीसरा व्यक्ति जिसे सपा द्वारा राज्यसभा भेजा जा सकता है, वह महाराष्ट्र से अबू आसिम आजमी हो सकते हैं। हालांकि, अगर सपा चौथे उम्मीदवार को मैदान में उतारने का फैसला करती है, तो मतदान हो सकता है और लड़ाई अपने विधायकों को क्रॉस वोटिंग से बचाने की होगी।

बसपा और कांग्रेस को नहीं मिलेगी एक भी सीट
फिलहाल बसपा के तीन राज्यसभा सदस्य हैं, जिनमें अशोक सिद्धार्थ और सतीश चंद्र मिश्रा का कार्यकाल जुलाई में खत्म हो रहा है। बसपा के पास वर्तमान में यूपी विधानसभा में केवल एक सदस्य है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी इस बार एक भी सदस्य को राज्यसभा में नहीं भेज पाएगी। फिलहाल बीजेपी के पांच, समाजवादी पार्टी के तीन, बहुजन समाज पार्टी के दो और कांग्रेस के एक राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। नई विधानसभा में विधायकों की संख्या की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी को 11 में से 7 सीटें मिल सकती हैं जबकि सपा अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ आराम से तीन सीटें हासिल कर सकती है. 11वीं सीट पर बीजेपी और सपा के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है।