उत्तर प्रदेश का हिस्ट्रीशीटर विकास योगी सरकार की एनकाउंटर पुलिस पर कैसे पड़ा भारी?
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में गुरुवार की रात एक ऐसी घटना हुई जिसने अपराधियों से निपटने की यूपी पुलिस की तैयारी और तरीके पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद सरकार के निर्देश पर पुलिस अपराधियों से मुठभेड़ करने लगी। योगी राज में पुलिस अब तक सैकड़ों एनकाउंटर कर चुकी है। कानपुर के चौबेपुर में जो हुआ, उससे लगता है कि हिस्ट्रीशीटर और उसके गुर्गों ने पुलिस का ही एनकाउंटर कर दिया। उत्तर प्रदेश के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम बिना बुलेटप्रूफ जैकेट या किसी विशेष तैयारी के चली गई जिसका अंजाम यह हुआ कि 8 पुलिसकर्मियों की हत्या हो गई और विकास दुबे वहां से फरार भी हो गया। फिलहाल विकास दुबे की तलाश उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही है और वह अभी पकड़ से बाहर है। जिस प्लानिंग के साथ पुलिसकर्मियों के ऊपर विकास दुबे गैंग ने हमला किया उससे यह संकेत मिलता है कि पुलिस के आने की खबर पहले मिल चुकी थी। विकास दुबे ने हमले की योजना पहले से बनाकर रखी थी और जैसे ही पुलिस टीम आई उसको एके-47 जैसे ऑटोमेटिक हथियारों से लैस इस गैंग ने कई तरफ से घेर कर उन पर हमला कर दिया। फिर 8 पुलिसकर्मियों की घसीट-घसीटकर निर्ममता से हत्या कर दी। इस हमले में सात पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। पुलिस ने भले ही विकास दुबे गैंग के दो बदमाशों को मार गिराने में सफलता पाई हो लेकिन हमले की सारी कहानी यही कहती है कि पुलिस की तैयारी कमजोर थी और अपराधियों ने पूरी तैयारी कर रखी थी।
गुरुवार की रात को क्या-क्या हुआ था?
कुख्यात अपराधी विकास दुबे के खिलाफ राहुल तिवारी नाम के शख्स ने हत्या की कोशिश का केस दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने गुरुवार को रात में विकास दुबे को उसके घर से पकड़ने की योजना बनाई। चौबैपुर, शिवराजपुर और बिठूर थाने की तीन पुलिस टीम को लेकर बिल्हौर के सीओ देवेंद्र मिश्रा विकास की तलाश में बिकरु गांव स्थित उसके घर आधी रात के बाद पहुंचे। विकास दुबे के घर तक पहुंचने वाले रास्ते को पहले से एक जेसीबी लगाकर रोका गया था। मजबूरन पुलिस को गाड़ी से उतरना पड़ा और पैदल ही विकास के घर की तरफ जाना पड़ा। जैसे ही पुलिस विकास के घर के पास पहुंची, छत पर से विकास दुबे गैंग ने उन पर एके-47 जैसे हथियारों से गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। करीब एक घंटे तक पुलिस और बदमाशों के बीच यह लड़ाई चली। लड़ाई तब रूकी जब विकास दुबे साथियों के साथ अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गया। इधर 15 घायल पुलिसकर्मियों को अस्पताल ले जाया गया जहां आठ पुलिसकर्मियों को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। बाकी सात घायलों का इलाज चल रहा है। शहीदों में सीओ देवेंद्र मिश्रा, तीन दरोगा और चार सिपाही शामिल हैं। पुलिस पर हमले की सूचना पर फोर्स के साथ आलाधिकारी तड़के मौके पर पहुंचे। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने भी सुबह आठ बजे घटनास्थल पर पहुंचकर कहा कि पुलिस टीम से चूक हुई है। इसके कुछ समय बाद ही विकास दुबे को तलाश रही पुलिस ने उसके दो साथियों को मुठभेड़ में मार गिराया। फिलहाल विकास की तलाश जारी है।
कैसे लिखी गई इस जघन्य हत्याकांड की स्किप्ट?
हत्याकांड का घटनास्थल विकास दुबे गैंग की योजना और निर्ममता दोनों की गवाही दे रहा है। बिकरु गांव में विकास दुबे का घर किसी किले से कम नजर नहीं आता। चारों तरफ ऊंची-ऊंची दीवारें, जिसके अंदर कोई झांक नहीं सकता लेकिन ऊंची छत से गांव में दूर तक देखा जा सकता है। घर के अंदर जाने के लिए मेन गेट के बाद बड़ा सा अहाता पार करना पड़ता है। पुलिस के आलाधिकारियों ने माना है कि पुलिस टीम से चूक हुई है। विकास दुबे को पुलिस टीम के आने की भनक मिल चुकी थी, यह उसकी तैयारियों से लग रहा है। उसने पुलिसकर्मियों को गाड़ियों से उतारने के लिए अपने घर के ठीक सामने के रास्ते को जेसीबी लगाकर जाम कर दिया। इसके बाद विकास दुबे गैंग घर की छत पर हर तरफ और आसपास के मकानों पर अत्याधुनिक हथियारों के साथ पुलिस को हर तरफ से घेरने के लिए पहले से खड़ी थी। जैसे ही पुलिसकर्मी वाहनों के साथ विकास दुबे को पकड़ने आई तो उसका सामना रास्ते में खड़ी जेसीबी से हुआ। वाहनों को वहीं रोककर तीन थानों की पुलिस टीम को लेकर सीओ देवेंद्र मिश्रा आगे बढ़े और गेट के अंदर दाखिल होते ही उन पर चारों तरफ से गोलियों की बौछार होने लगी। बिकरु गांव में अंधेरा था। पुलिस के पास सर्च लाइट थी। पुलिस इधर से फायरिंग करती और जैसे ही सर्चलाइट जलाती थी, उधर से गोलियों की बौछार कर दी जाती। आसपास के मकानों से भी पुलिस पर फायरिंग हो रही थी। घटनास्थल पर बिखरे खून के निशान इस बात की गवाही दे रहे है कि पुलिसकर्मियों को घसीट-घसीटकर निर्ममता से मारा गया। एडीजी कानपुर जय नारायण सिंह ने कहा कि विकास दुबे और उसके साथी पूरी प्लानिंग के साथ छतों पर मुस्तैद थे और लगातार फायरिंग करते रहे जिसका पुलिस को अंदाजा नहीं था।
विकास दुबे की कैसे हुई इतनी हिम्मत?
विकास दुबे की गुंडागर्दी प्रदेश के राजनेताओं के संरक्षण में फली-फूली। चौबेपुर के पूर्व विधायक हरिकिशन श्रीवास्तव और पूर्व सांसद समेत अन्य नेताओं का हाथ विकास दुबे के सिर पर रहा। हत्याकांड के बाद नेताओं के साथ की उसकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो इस बात की तरफ इशारा करती हैं। विकास दुबे को सत्ता का संरक्षण प्राप्त था इस वजह से उसकी हिम्मत बढ़ती चली गई। उसने भाजपा नेता और 2003 में तत्कालीन श्रममंत्री संतोष शुक्ला की शिवली थाने में घुसकर हत्या कर दी। किसी पुलिसकर्मी तक ने गवाही नहीं दी थी जिस वजह से वह इतने बड़े हत्याकांड को अंजाम देने के बाद भी छूट गया था। इसके बाद अपराध की दुनिया में उसका कद बहुत बड़ा हो गया और नेता उसको पुलिस की गिरफ्त में आने से बचाते रहे। लखनऊ में सत्ता के गलियारे तक उसकी पहुंच बनी रही। बसपा की सरकार जब तक उत्तर प्रदेश में रही उसकी शिवली इलाके में तूती बोलती रही। वह बसपा से जुड़ा और जिला पंचायत सदस्य भी बना। उसने अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाया। विकास दुबे पर हत्या समेत अपराध के करीब 60 केस थाने में दर्ज हैं। विकास दुबे का इतना खौफ है कि पुलिस हत्याकांड पर गांव के लोग बोलने को तैयार नहीं हैं।
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