जानिए यूपी की विधानसभा सीट 'देवबंद' की खासियत, यहां ऐतिहासिक स्थल का है सियासी कनेक्शन
इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले प्रत्याशियों के लिए दारुल उलूम के उलेमाओं का भी अहम रोल होता है। कहा जाता है कि दारुल उलूम के उलेमा जिस प्रत्याशी को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं, उसकी जीत निश्चित है।
सहारनपुर। यूपी की नंबर पांच विधानसभा सीट देवबंद पर इस चुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है क्योंकि यहां पर भाजपा ने अर्से पहले यह सीट गंवा दी थी, इसके बाद ठाकुर बाहुल्य इस सीट को सपा, कांग्रेस ने कब्जाने के लिए काफी जतन किए। लेकिन बीजेपी कामयाब नहीं हो सकी। इस सीट को अपने खाते में करने के लिए भजपा ने इस सीट पर नया चेहरा मैदान में उतारा है। यहां पर बसपा, भाजपा प्रत्याशी को सीधे टक्कर दे रही है।
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दारुल उलूम का भी इस क्षेत्र पर है विशेष महत्व
विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम के कारण देवबंद विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है। इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले प्रत्याशियों के लिए दारुल उलूम के उलेमाओं का भी अहम रोल होता है। कहा जाता है कि दारुल उलूम के उलेमा जिस प्रत्याशी को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं, उसकी जीत निश्चित है। सन् 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने देवबंद सीट को गंवा दिया था। उस वक्त बसपा प्रत्याशी स्व. राजेंद्र राणा ने भाजपा के रामपाल पुंडीर को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था। इसके बाद 2007 के चुनाव में बसपा के प्रत्याशी मनोज चौधरी ने जीत दर्ज की थी। इस वक्त 2016 में हुए उप चुनाव के बाद कांग्रेस प्रत्याशी माविया अली इस सीट से विधायक हैं।
इस बार चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर नया चेहरा कुंवर बीजेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। बसपा की ओर से माजिद और कांग्रेस-सपा गठबंधन की ओर से माविया अली मैदान में हैं। इस वक्त इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
ऐतिहासिक स्थल है देवबंद
पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब मां गौरी के पिता राजा दक्ष ने अपने राज्य में यज्ञ कराया था तो राजा दक्ष ने सभी देवी देवताओं को यज्ञ में आमंत्रित किया। लेकिन उनकी अपनी पुत्री मां गौरी (सती) और उनके पति देवाधि देव महादेव शंकर को इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया था। मां गौरी ने महादेव से यज्ञ में भाग लेने के लिए कहा तो महादेव ने यह कहते हुए जाने से मना कर दिया था कि राजा दक्ष ने उन्हें आमंत्रित नहीं किया है तो वो यज्ञ में भाग लेने नहीं जाएंगे। लेकिन मां गौरी फिर भी अपने पिता राजा दक्ष के आयोजित यज्ञ में भाग लेने के लिए चली गई। इस यज्ञ के दौरान मां गौरी सती हो गई थी और भगवान शंकर उनके पार्थिव शरीर को गोद में उठा कर तीनों लोकों का भ्रमण कर रहे थे। तब भगवान विष्णु ने भगवान शंकर का मां गौरी से ध्यान भंग करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से मां गौरी के पार्थिव शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे। उस वक्त जहां-जहां मां सती के पार्थिव शरीर के अंग गिरे, वहां-वहां पर शक्ति पीठों की स्थापना हुई। जिनमें से एक स्थल देवबंद भी रहा है।
आंखों पर पट्टी बांध किया जाता है धार्मिक स्नान
देवबंद में स्थित श्री त्रिपुर मां बाला सुंदरी के ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर में आज भी मां के स्नान के समय चूड़ियां खनकने की आवाज सुनाई पड़ती है। लेकिन यह आवाज हर किसी को नहीं सुनाई पड़ती। मां के प्रिय भक्तों को ही इसका सौभाग्य प्राप्त होता है। 15 सेमी. ऊंचे औक 10 सेमी. व्यास के लालिमायुक्त धातुनिर्मित मूर्ति यहां स्थापित हैं। जो कांसे के गिलासनुमा आवरण से ढकी रहती है। श्रद्धालु केवल इस गिलासनुमा आवरण के ही दर्शन करते हैं।
देवबंद से कौन-कौन रहे हैं प्रत्याशी?
1991- वीरेंद्र सिंह, जनता दल
1993- शशिबाला पुंडीर, बीजेपी
1996- सुखबीर सिंह पुंडीर, बीजेपी
2002- राजेंद्र राणा, बसपा
2007- मनोज चौधरी, बसपा
2012- राजेंद्र राणा, सपा
2016(उप चुनाव)- माविया अली, कांग्रेस
कितनी है मतदाताओं की संख्या?
पुरुष मतदाता- 1,77,235
महिला मतदाता- 1,49,565
थर्ड जेंडर- 11
कुल मतदाता- 3,26,861
कुल मतदान केंद्र- 178
कुल मतदेय स्थल- 339
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