उत्तर प्रदेश के लिए बड़ी खुशखबरी- वापस मिलीं MBBS की 400 सीटें
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश से छीनी गईं 400 एमबीबीएस की सीटें आखिरकार वापस आ गई हैं। एक बार फिर से यूपी में होनहारों को डाक्टर बनने का सुनहरा मौका मिलेगा। यूपी को वापस सीटें मिलने के पीछे सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में हस्तक्षेप है। सर्वोच्च न्यायालय ने राजकीय मेडिकल कॉलेजों में व्याप्त खामियों को दूर करने के लिए योगी सरकार के ईमानदार प्रयास और मेडिकल विद्यार्थियों के हित को देखते हुए भारतीय चिकित्सा परिषद को पुनः एमबीबीएस की सीटे देने का निर्देश दिया है।
राज्य सरकार की ओर से बताया गया है कि यूपी को फिर से 400 सीट लौटा दी गई हैं। सीटें वापस मिलने के बाद एक बार फिर प्रदेश में राजकीय एमबीबीएस सीटों की संख्या 1990 हो गई है। ऐसे में इस बार भी प्रदेश के होनहारो को अधिक संख्या में डाक्टर बनने का मौका मिलेगा। हालांकि शीर्ष कोर्ट ने प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों से छीनी एमबीबीएस की 1700 सीटों पर कोई राहत नहीं दी है और इसकी अब संभावना भी काफी क्षीर्ण नजर आ रही हैं।
क्यों छीनी गयी थी सीटें
भारतीय चिकित्सा परिषद की टीम ने यूपी के मेडिकल कॉलेजों का निरीक्षण किया था।निरीक्षण के दौरान बांदा, सहारनपुर, जालौन व आजमगढ़ के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक से लेकर मेडिकल मशीनों की खामियां सामने आई थी। जिस पर भारतीय चिकित्सा परिषद की टीम ने कडा रुख अख्तियार करते हुए राजकीय मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई की अनुमति देने से ही इंकार कर दिया था। इन स्थानों पर एमबीबीएस की 400 सीटें थी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अब यहां फिर से पढ़ाई होगी और दाखिले होंगे।
निजी मेडिकल कॉलेज पर असमंजस
याद दिला दें कि भारतीय चिकित्सा परिषद की टीम ने यूपी के मेडिकल कॉलेजों का निरीक्षण के दौरान सर्वाधिक कार्रवाई निजी मेडिकल कॉलेजों पर की थी और 1700 सीटों पर चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई की अनुमति देने से ही इंकार कर दिया है। इन कालेज में शिक्षकों की कमी, नर्सिंग स्टाफ व सीटी स्कैन मशीन की कमी तो थी ही यहां पर चिकित्सा शिक्षा तंत्र के मानकों की भी अनदेखी की जा रही थी। जिस पर एमसीआइ ने कार्रवाई की है और कोर्ट से इन सीटो पर कोई राहत नहीं दी गई है। जिससे अब यहां पढाई पर पूरी तरह असमंजस बना हुआ है।
सरकार
के
पाले
में
बॉल
सुप्रीम
कोर्ट
के
आदेश
के
बाद
चारों
राजकीय
मेडिकल
कॉलेजों
में
पढ़ाई
तो
जरूर
शुरू
होगी,
लेकिन
उससे
पहले
शीर्ष
अदालत
ने
गेंद
सरकार
के
पाले
में
डाल
दी
है
और
कहा
है
कि
18
जून
तक
प्रदेश
सरकार
के
मुख्य
सचिव
या
चिकित्सा
शिक्षा
विभाग
के
प्रमुख
सचिव
इन
मेडिकल
कॉलेजों
में
मानकों
के
मुताबिक
सभी
व्यवस्थाएं
उपलब्ध
होना
सुनिश्चित
कराएंगे।
फिलहाल
राज्य
सरकार
ने
एमसीआइ
को
अंडरटेकिंग
देकर
चारों
राजकीय
मेडिकल
कॉलेजों
की
खामियां
दूर
करने
का
दावा
पहले
ही
कर
दिया
है।
लेकिन,
व्यवस्था
पर
पुनः
सुदृढ़ीकरण
के
लिये
कोर्ट
के
निर्देश
के
क्रम
में
सरकार
कदम
उठायेगी।
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