विस चुनाव आते ही मुख्यमंत्री किसानों को दे रहे तरह-तरह का लालच, अखिलेश यादव ने कहा
विस चुनाव आते ही मुख्यमंत्री किसानों को दे रहे तरह-तरह का लालच, अखिलेश यादव ने कहा
लखनऊ, 26 सितंबर: साल 2022 में उत्तर प्रदेश के अंदर विधानसभा चुनाव होने है, जिसमें अब छह महीने से भी कम का समय समय बचा है। तो वहीं, चुनावों को देखते हुए जुबानी जंग भी तेज हो गई हैं। इस बार विस चुनाव में किसानों का मुद्दा सबसे बड़ा साबित हो सकता है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार को घेरने की कोशिश राजनीतिक पार्टियों ने शुरू कर दी है। इसी कड़ी में यूपी के पूर्व सीएम व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश की योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा, उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों को दृष्टिगत मुख्यमंत्री किसानों को तरह-तरह का लालच देकर राजनीतिक स्वार्थपूर्ति करना चाहते है। मुख्यमंत्री साढ़े चार वर्ष बाद चाहे जो घोषणा करे उससे किसानों का कोई दीर्घकालिक लाभ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का किसानों के प्रति रवैया पूर्णतया अपमान जनक और संवेदनशून्य है। तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने तथा एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान आंदोलन को चलते हुए 10 महीने हो रहे है। उसका स्वरूप और आकार बढ़ता ही जा रहा है।
अखिलेश यादव ने कहा कि अर्थव्यवस्था में ग्रामीण कृषि का प्रथम स्थान आता है। भाजपा राज में गांव पूर्णतया उपेक्षित हैं। खेती-किसानी बर्बाद है। किसान को न तो फसलों का एमएसपी मिल रही है और नहीं किसान की आय दुगनी करने का वादा निभाया जा रहा है। गन्ना किसानों का 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है। जब भाजपा सरकार बकाया ही नहीं दे पा रही है तो वह उस पर लगने वाला ब्याज कहां से अदा करेगी?।
कृषि
को
उद्योग
बनाने
का
कर
रही
षड्यंत्र
पूर्व
सीएम
ने
कहा
कि
भाजपा
कृषि
की
स्वतंत्रता
समाप्त
कर
उसे
उद्योग
बनाने
का
षड्यंत्र
कर
रही
है।
किसान
हितों
की
उपेक्षा
करना
भाजपा
के
चरित्र
में
है।
भाजपा
राज
में
किसान
नहीं
पूंजी
घरानों
को
संरक्षण
मिलता
है।
उसकी
कृषि
नीति
इसीलिए
किसान
के
बजाय
पूंजीघरानों
और
बहुराष्ट्रीय
कम्पनियों
के
हितों
को
आगे
बढ़ाती
है।
तीन
कृषि
कानून
इसके
स्पष्ट
उदाहरण
है।
एमएसपी
की
अनिवार्यता
की
मांग
पर
भाजपा
सरकार
इसलिए
ढुलमुल
रवैया
अपना
रही
है।
कृषि
के
उपयोग
में
आने
वाली
चीजें
हुई
महंगी:
अखिलेश
यादव
ने
कहा
कि
भाजपा
की
किसान
विरोधी
नीतियों
के
चलते
कृषि
में
उपयोग
आने
वाली
चीजें
महंगी
हो
रही
है।
सिंचाई
में
काम
आने
वाला
डीजल
महंगा
हो
गया
है।
बिजली
महंगी
हो
गई
है।
कीटनाशक,
बीज,
दवा,
खाद
सभी
मंहगी
है।
इससे
कृषि
उत्पादों
की
लागत
स्वभाविक
रूप
से
बढ़ी
है
जबकि
किसान
को
लागत
मूल्य
भी
फसल
बिक्री
से
नहीं
मिल
पाता
है।
कहने
को
भाजपा
ने
अपने
तीन
काले
कृषि
कानूनों
में
किसान
को
देश
में
कहीं
भी
अपना
उत्पादन
बेचने
की
छूट
दे
रही
है
पर
इसके
साथ
ही
परिवहन
और
कृषि
उपयोगी
चीजों
के
दाम
बढ़ाकर
किसान
को
लाचार
बना
दिया
गया
है।
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किसानों
को
सरकार
ने
नहीं
दिया
मुआवजा
किसानों
की
बर्बादी
की
यह
पूरी
पटकथा
लिखकर
भाजपा
ने
जता
दिया
है
कि
वह
किसानों
को
पूरी
तरह
बर्बाद
करके
ही
दम
लेगी।
वो
यही
नहीं
रूके,
उन्होंने
आगे
कहा
कि
असमय
की
अतिवृष्टि
ने
भी
किसानों
और
खेती
को
काफी
नुकसान
पहुंचाया
है।
सरकार
ने
उन्हें
कोई
मुआवजा
नहीं
दिया।
धान-गेहूं
खरीद
में
बड़ी
कम्पनियों
को
लाभ
पहुंचाने
के
लिए
बहुत
जगह
क्रयकेन्द्र
खुले
नहीं
और
जहां
खुले
भी
तो
किसान
की
फसल
खरीदी
नहीं
गई।
किसान
की
फसल
बिचैलियों
के
हाथों
औने
पौने
दामों
में
बिक
गई।
भाजपा
सरकार
यही
तो
चाहती
है।